ब्यूरो रिपोर्ट, मिर्जापुर।
जिले में सोमवार को सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मदिवस नगर में रतनगंज स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में सोमवार को श्री गुरु गोविंद सिंह का 351 वां प्रकाश पर्व के रूप मे धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान विविध आयोजन हुए। सबद कीर्तन से कार्यक्रम की शुरुआत होने के बाद गुरु का अटूट लंगर वितरित हुआ जिसमें लोगों ने प्रसाद छका। सुबह अखंड पाठ साहिब जी समाप्ति के बाद ज्ञानी अजमेर सिंह व उत्तराखंड से आए ज्ञानी कुलंत सिंह रसीला ने कीर्तन दरबार व कथा विचार किया। गुरुनानक गर्ल्स इंटर कालेज और गुरुनानक बालिका विद्यालयों की छात्र- छात्राओं ने भी मधुर कीर्तन किया। सभा के प्रधान जसबीर सिंह चंड्योक व धार्मिक मंत्री भूपेंद्र सिंह डंग ने गुरु गोविंद सिंह के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डााला। पूर्व अध्यक्ष गुरमिन्दर सिंह सरना उर्फ बल्लू सरदार ने बताया कि गुरु ने ही खालसा पंथ की स्थापना की थी और उन्होंने अपनी माता, पिता व चार पुत्रों को देश व कौम के लिए कुर्बान कर दिया। उन्होंने कहा था कि इन पुत्रों के शीश पर वार दिए पुत चार, चार मुए तो क्या हुआ जीवत कई हजार। सिक्ख साध संगत मे उपस्थित लोगो ने उन्हें शत- शत नमन किया। इस अवसर पर लंगर में श्रद्धालुओं ने प्रसाद छका। संचालन हरदीप सिंह खुराना व रविन्द्र सिंह ने किया। इस अवसर पर धर्मपाल सिंह सरना, चरणजीत सिंह, जगजीत सिंह, महेंद्र सिंह चंड्योक, जसवंत सिंह, जसवीर सिंह, हरदीप सिंह खुराना, रवींद्र सिंह सलूजा, गुरमिन्दर सिंह सरना उर्फ बल्लू सरदार, रवींद्र सिंह सरना, रवींद्र सिंह चड्ढा समेत सिख समुदाय के तमाम लोग मौजूद रहे।
हमारे अहरौरा संवाददाता के अनुसार गुरु गोविंद सिह जी का 351 वां प्रकाश उत्सव सत्यानगंज स्थित गुरुद्वारा दस्खती में श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर शनिवार से सोमवार तक अखंड पाठ का आयोजन किया गया। अंतिम दिन श्रद्वालुओं ने दोपहर के बाद लंगर छका। शाम को शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा गुरुद्वारा से होकर चौक बाजार, खड़ंजा, पांडे जी का गोला एवं दक्षिणी फाटक होते हुए पुन: देर शाम गुरुद्वारा पहुंचकर समाप्त हुआ। इसके पूर्व सुबह गुरुद्वारा में सबद कीर्तन का आयोजन किया गया। जिसमें संगत शोभायात्रा में नगर पालिका अध्यक्ष गुलाब मौर्या ने शिरकत की और सभी को गुरू गोविंद सिंह जयंती की बधाई दी। इस अवसर पर सरदार बनवारी सिंह, गुलाब सिंह, जीत सिंह, महेंद्र सिंह, संत सिंह, ईश्वर सिंह, मुन्नू सिंह आदि रहे।