विधानसभा चुनाव 2022

ग्राउंड रिपोर्ट मिर्जापुर: सभी दलों के प्रत्याशियों को डरा रही मतदाताओं की खामोशी

0  सभी सीटो पर जबरदस्त घमासान और कांटे की लडाई, कही आमने सामने तो कही त्रिकोणीय मुकाबले के आसार
0 बोले स्थानीय राजनीति के जानकार- थोक में जिसे मिलेगा महिलाओं का वोट, वही बनेगा विजेता  
0 जिससे पूछिए यही कह रहा कि चार प्रमुख दलों में से कोई भी पहन सकता है विजय का हार
0 भाजपा को पीएम मोदी व सीएम योगी के नाम का सहारा, मुद्दों पर कोई नहीं कर रहा है बात
0 पिछली बार सहयोगी अपना दल एस के साथ भाजपा ने जीती थी जिले की पांचों विधानसभा सीटें
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मिर्जापुर।
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पिछली बार की तुलना में इस बार मिर्जापुर की पांचों विधानसभा सीटों पर कांटे की लडाई है। मतदाताओं की चुप्पी से सभी दलों के प्रत्याशियों में बेचैनी है। स्थानीय मुद्दे दर किनार हो गए हैं। वोटरों के एक वर्ग की नजर में पीएम मोदी व सीएम योगी ने अच्छा काम किया है, तो अधिसंख्य मतदाता मौन हैं। यही सभी दलों को सशंकित किए हुए है। स्थानीय राजनीति पर बारीक नजर रखने वाले जानकारों की मानें तो इस बार कांटे की लड़ाई में महिला वोटर निर्णायक होंगी। थोक में उनका वोट जिस प्रत्याशी के खाते में जाएगा वही 10 मार्च को विजय का हार पहनेगा। भाजपा प्रत्याशियों के लिए पीएम मोदी व सीएम योगी के काम और नाम का सहारा है तो विरोधी दल महंगाई, भ्रष्टाचार और सत्ता विरोधी लहर के सहारे हैं। जिले या अपने विधानसभा क्षेत्र की जरूरतों पर न प्रत्याशी बात कर रहे हैं, न दलों की ओर से इस संबंध में कोई कार्य योजना ही दिखाई पड़ती है। हालांकि, अंतिम चरण में सात मार्च को मतदान होने से अभी चुनावी सरगर्मी ने जोर नहीं पकड़ा है। राजगढ़, मड़िहान और नगर क्षेत्र में कुछेक दलों के प्रचार वाहनों को छोड़ दें तो बैनर, पोस्टर भी नहीं दिखाई दे रहे हैं। दलों के स्थानीय पदाधिकारी व समर्थक घर-घर जाकर जनसंपर्क पर जोर दे रहे हैं।

– भाजपा ने तीन सीटों पर उतारे हैं पुराने चेहरे
भाजपा ने तीन सीटों चुनार, मड़िहान और नगर में पुराने चेहरों पर दांव लगाया है तो छानबे सीट पिछली बार की तरह अपना दल एस को दी है। वहीं अपनी एक और सहयोगी निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल यानी निषाद पार्टी को मझवां से चुनाव लड़ने का मौका दिया है। इसमें रोचक यह कि भदोही की सीट से सपा के घोषित उम्मीदवार डाॅ विनोद कुमार बिंद ने अंतिम समय में पाला बदल निर्बल इंडियन शोषित दल का दामन थाम लिया। दरअसल वे सपा से इसी सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें भदोही से टिकट थमा दिया। ऐसे में उन्होंने निषाद पार्टी से मैदान में आने का फैसला किया।

सबसे ज्यादा मड़िहान व मझवां में तो सबसे कम प्रत्याशी छानबे में
जिले की पांचों सीटों में से सर्वाधिक 14-14 प्रत्याशी मड़िहान और मझवां में तो सबसे कम उम्मीदवार छानबे विधानसभा क्षेत्र में भाग्य आजमा रहे हैं। मड़िहान व मझवां में प्रमुख दलों को छोड़ दे ंतो ज्यादातर वोटकटवा ही बनेंगे। चुनाव से पहले अपना दल कमेरावादी से गठबंधन करने वाली समाजवादी पार्टी ने चुनार में प्रत्याशी न उतार कर अपने सहयोगी को मौका दिया तो मड़िहान में सपा प्रत्याशी के नाम वापस न लेने से स्थिति रोचक हो गई है।
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मड़िहान में गठबंधन के सहयोगी हुए आमने-सामने
सब कुछ तय होने व प्रेस वार्ता में प्रत्याशी न उतारने की घोषणा के बाद भी मड़िहान से रवींद्र बहादुर सिंह पटेल ने सपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन कर दिया। लोग कयास लगा रहे थे कि वे नामांकन वापस ले लेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। जिससे अपना दल कमेरावादी के प्रत्याशी अवधेश सिंह पप्पू की लड़ाई कमजोर हो गई है। जानकार मड़िहान में भाजपा और बसपा के बीच लड़ाई मान रहे हैं, मगर कुछ लोग अपना दल कमेरावादी के अवधेश सिंह को भी कम नहीं आंक रहे। रिटायर्ड तहसील कर्मी राम प्रसाद तिवारी कहते हैं कि सपा प्रत्याशी नामांकन वापस ले लेते तो स्थितियां कुछ और होतीं। कहा कि रवींद्र सिंह पटेल का एक सीमित बेल्ट है। वहीं परिवहन विभाग के रिटायर्ड कर्मी 86 वर्षीय जनार्दन सिंह कहते हैं कि यहां सभी बीजेपी से लड़ रहे हैं। भाजपा के सिटिंग विधायक और सरकार में मंत्री रहे रमाशंकर सिंह पटेल को टक्कर देने की स्थिति में बसपा के नरेंद्र कुशवाहा ही हैं। बीटीसी, डीएलएड के साथ ही टीईटी व सीटीईटी पास करने के बाद भी बेरोजगार जय शंकर कहते हैं कि हर मोर्चे पर सरकार ने भले ही अच्छा किया, मगर रोजगार देने में फेल रही है। इस सरकार में अफसरशाही हावी है। कुल मिलाकर 14 प्रत्याशियों की दावेदारी के बीच लड़ाई त्रिकोणीय रहने की उम्मीद है।

– क्या हैं मुद्दे
सिंचाई सुविधा का विकास, उच्च शिक्षा के लिए राजकीय काॅलेज व तकनीकी संस्थान का अभाव और पेयजल की समुचित व्यवस्था। यहां के धर्मेंद्र सिंह कहते हैं कि भाजपा को मोदी और योगी का सहारा है। जो हुआ है वह सरकारों ने ही किया है। छोटे-मोटे काम कराने में भी रमाशंकर सिंह पटेल विफल रहे हैं।

कितने हैं मतदाता
कुल मतदाता: 366161
पुरुष वोटर: 191730
महिला वोटर: 174417
अन्य: 14

ये हैं प्रमुख दलों के प्रत्याशी
भाजपा – रमा शंकर सिंह पटेल
सपा – रवींद्र बहादुर सिंह पटेल
कांग्रेस – गीता कोल
बसपा – नरेंद्र सिंह कुशवाहा

कांग्रेस- गीता कोल

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नगर विस क्षेत्र में सिटिंग विधायक रत्नाकर मिश्रा की घेराबंदी की संभावना
नगर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की ओर से विंध्य पंडा समाज से आने वाले भगवान दत्त पाठक उर्फ राजन पाठक की उम्मीदवारी और बसपा की ओर से राजेश कुमार पांडेय को प्रत्याशी बनाए जाने से भाजपा के सिटिंग विधायक और विंध्य पंडा समाज के ही पुरोहित रत्नाकर मिश्र के समक्ष थोडी मुश्किल खड़ी हो गई है। ऐसे में सपा प्रत्याशी और यहां से तीन बार विधायक रह चुके कैलाश चैरसिया थोडी राहत महसूस कर रहे हैं। हालांकि, राजनीतिक जानकार राजन पाठक को उतना मजबूत नहीं मान रहे, फिर भी राजन पाठक अपने व्यक्तित्व और विचारों के दम पर मैदान मेे है और जन समर्थन जुटा रहेे हैं। राजनीतिक पंडितो के अनुसार लड़ाई अंततः रत्नाकर मिश्रा और कैलाश चौरसिया के बीच ही रहेगी। उद्यमी अनिल अग्रहरि कहते हैं कि इस बार महिलाओं का वोट निर्णायक होगा। खासकर केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं से लाभान्वित अन्य दलों से जुड़ी महिलाएं इस बार सत्ताधारी दल के साथ जा सकती हैं। सरकार ने कोरोना काल में राशन से लेकर दूध, सब्जी आदि घर-घर जाकर पहुंचाया है। इसका लाभ उसे मिलना चाहिए। वे एक दल विशेष का नाम लेते हुए कहते हैं कि इस बार इनका वोट बंटेगा। अब तो 10 मार्च को आने वाला चुनाव परिणाम ही इस बात की तस्दीक करेगा। एक समुदाय के तीन प्रत्याशियों के प्रमुख दलों की ओर से मैदान में उतरने से विंध्याचल के पश्चिमी व उत्तरी भाग के वोटरों का मत निर्णायक हो गया है। यदि यहां के वोटों का एकसाथ ध्रुवीकरण हुआ तभी भाजपा आगे निकलेगी, यदि इसमें बंटवारा हुआ तो किसी न किसी की संभावना पर असर पड़ेगा।

क्या हैं मुद्दे
गोपीगंज व रामपुर के बीच में प्रस्तावित पुल निर्माण, जर्जर शास़्त्री ब्रिज की जगह दूसरे पुल का निर्माण, शहर का सुनियोजित विकास, संकरी सड़कें, महंगाई और बेरोजगारी प्रमुख मुद्दे हैं। हालांकि, इन पर कोई बोल नहीं रहा है।

कितने हैं मतदाता
कुल मतदाता: 402842
पुरुष वोटर: 212239
महिला वोटर: 190574
अन्य: 29

ये हैं प्रमुख प्रत्याशी
भाजपा: रत्नाकर मिश्रा
सपा: कैलाश चैरसिया

कांग्रेस: भगवान दत्त पाठक उर्फ राजन पाठक

बसपा: राजेश पांडेय
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छानबे विधानसभा क्षेत्र में अब भी है बोल वचन की गूंज  
जिले में सबसे पिछड़ी विधानसभा सीट छानबे की मानी जाती है। आदिवासी बहुल इस क्षेत्र को समुचित विकास का इंतजार है। न ढंग के सरकारी अस्पताल हैं तो न उच्च शिक्षा संस्थान। मध्य प्रदेश से सटे इस पठारी व जंगली भाग के कुछ हिस्सों में गर्मी के दिनों में पेयजल का भी संकट रहता है। सिंचाई साधनों के विकास से खेती किसानी की दशा तो सुधरी है, मगर उद्योग धंधों का सर्वथा अभाव है। भाजपा ने पिछली बार की तरह इस सीट को सहयोगी अपना दल एस के खाते में डाल दिया है। जिससे इस बार भी सिटिंग विधायक राहुल कोल मैदान में हैं। कांग्रेस ने यहां से एक बार विधायक रह चुके पुराने चेहरे भगवती प्रसाद चैधरी पर भरोसा जताया है तो सपा से पूर्व सांसद और यहां से दो बार विधायक रह चुके स्वर्गीय भाई लाल कोल की बेटी कीर्ति कोल को मैदान में उतारा है। वहीं बसपा ने पिछली बार की तरह अधिवक्ता धनेश्वर गौतम को फिर टिकट दिया है, जो गत चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे थे। इस बार अगड़ी पंक्ति के लोग राहुल कोल का विरोध कर रहे हैं। इसकी वजह है कुछ माह पूर्व इनके पिता और राबर्ट्सगंज से अपना दल एस के सांसद पकौड़ी लाल कोल का यहां के एक गांव में दिया गया भाषण, जिसमें उन्होंने एक समुदाय विशेष के खिलाफ ऐसी टिप्पणी की थी जिसकी गूंज अब चुनाव में भी सुनाई पड़ रही है। वहीं सपा कीर्ति कोल के बहाने सहानुभूति वोट जुटाकर कैडर के सहारे नैया पार करने की जुगत में है। बसपा को हमेशा की तरह कैडर वोटों का आसरा है।

क्या हैं मुद्दे
पेयजल व्यवस्था, बेरोजगारी, पलायन, उच्च शिक्षा के साथ अच्छे चिकित्सा संस्थान का अभाव। इसके साथ गत चुनाव में राहुल कोल ने हलिया ब्लाॅक को तहसील बनाने का वादा किया था, इस संबंध में कोई ठोस प्रयास नहीं हुआ।

कितने हैं मतदाता
कुल मतदाता: 373787
पुरुष वोटर: 196247
महिला वोटर: 177494
अन्य: 46

ये हैं प्रमुख प्रत्याशी
अपना दल एस: राहुल प्रकाश कोल
सपा: कीर्ति कोल
बसपा: धनेश्वर गौतम
कांग्रेस: भगवती प्रसाद चैधरी

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चुनार में भाजपाई भतीजे की राह में खड़े हुए चाचा
भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली जिले की चुनार विधानसभा सीट पर इस बार लड़ाई दिलचस्प मोड़ पर है। यहां से हमेशा भाजपा के कद्दावर नेता ओम प्रकाश सिंह ही जीतते रहे। उनके बाद बेटे अनुराग सिंह ने राजनीतिक विरासत को संभाला। इस बार भी वे सिटिंग विधायक की हैसियत से चुनाव मैदान में हैं, मगर चाचा के निर्दल प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरने से उनकी राह आसान नहीं रह गई है। भाजपा के पूर्व जिला उपाध्यक्ष रहे उनके चाचा दिनेश प्रकाश सिंह ने उनके खिलाफ ताल ठोंक दी है। वे अनुराग पर उनके कोल्ड स्टोरेज को बंद करने की साजिश रचने का आरोप लगाते हैं। चाचा-भतीजे की लड़ाई ने चुनाव को रोचक बना दिया है। इसके अलावा कांग्रेस ने सीमा देवी को मैदान में उतारा है तो बसपा ने विजय कुमार सिंह को टिकट दिया है। सपा के समर्थन के साथ यहां से अपना दल कमेरावादी के रमाशंकर प्रसाद सिंह जोर आजमाइश कर रहे हैं। असली लड़ाई इन्हीं प्रत्याशियों के बीच है। हालांकि यहां से आम आदमी पार्टी ने सत्येंद्र कुमार व जदयू ने संजय सिंह पटेल को मौका देकर सेंधमारी की तैयारी की है। जानकारों के अनुसार यहां भाजपा की लड़ाई अपनादल कमेरावादी और बसपा से है। निर्दल दिनेश सिंह और जदयू प्रत्याशी जितने भी वोट पाएंगे उससे नुकसान भाजपा को ही होगा।

– क्या हैं मुद्दे
खेती प्रधान इस क्षेत्र में बेरोजगारी व रोजगार की तलाश में पलायन, पद्मावती कोल्ड स्टोरेज का लाभ किसानों को न मिल पाना भी मुद्दा बताया जा रहा है तो सिटिंग विधायक अनुराग सिंह का यहां के सरकारी कार्यक्रमों में न रहना और क्षेत्र को समय न देना भी मुद्दा बन रहा है।

कितने हैं मतदाता
कुल मतदाता: 353391
पुरुष वोटर: 184513
महिला वोटर: 168865
अन्य 13

ये हैं प्रमुख दावेदार
भाजपा: अनुराग सिंह
अपना दल कमेरावादी: रमाशंकर प्रसाद सिंह
कांग्रेस: सीमा देवी
बसपा: विजय कुमार सिंह
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मझवां विधानसभा क्षेत्र में अभी मझधार में हैं हर दल
मझवां विधानसभा क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। पंडित कमलापति त्रिपाठी के बाद उनके बेटे लोकपति त्रिपाठी ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इस क्षेत्र को सिंचाई संसाधनों से लैस करने का काम भी इन्हीं दोनों के कार्यकाल में हुआ, खासकर पंडित कमलापति ने मुख्यमंत्री रहते कई विकास कार्य कराए। इन दोनों के बाद यह कभी बसपा तो कभी भाजपा के खाते में जाती रही। इस बार भाजपा ने यह सीट सहयोगी निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल यानी निषाद पार्टी को दी है, जिसने सपा के बागी प्रत्याशी डाॅ विनोद कुमार बिंद को मैदान में उतारा है। हालांकि, भाजपा से टिकट की आस लगाए लोग अब इनका कितना समर्थन करेंगे यह तो परिणाम बताएगा, मगर अंदरखाने खबर यही है कि भितरघात की संभावना भी है। वहीं सपा ने रोहित शुक्ला, कांग्रेस ने शिवशंकर चौबे को टिकट दिया है। बसपा ने पुष्पलता बिंद को चुनाव मैदान में उतार कर विजय की उम्मीद लगाई है। इस सीट से कुल 14 दावेदार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, हालांकि यहां लड़ाई भाजपा समर्थित डाॅ विनोद कुमार बिंद, सपा के रोहित शुक्ला, बसपा की पुष्पलता के बीच ही है। कांग्रेस प्रत्याशी शिवशंकर चैबे इनमें से दो लोगों का खेल बिगाड़ सकते हैं।

क्या हैं मुद्दे
बेरोजगारी, महंगाई के साथ जर्जर होती सिंचाई सुविधाओं की बेहतरी। रोजगार की तलाश में युवाओं का पलायन। उच्च शिक्षा संग अच्छे चिकित्सा संस्थान का अभाव

कितने हैं मतदाता
कुल मतदाता: 397107
पुरुष वोटर: 209046
महिला वोटर: 188033
अन्य: 28

इनके बीच सिमटेगी लड़ाई
निषाद पार्टी: डाॅ विनोद कुमार बिंद
सपा: रोहित शुक्ला
बसपा: पुष्पलता बिंद
कांग्रेस: शिव शंकर चौबे


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