ज्ञान-विज्ञान

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद की ओर से सम्मानित होगे अहरौरा के दो छात्र वैज्ञानिक


0 नगरपालिका इण्टर कालेज अहरौरा मे दसवी मे पढते है दोनो छात्र 
0 26 सितंबर 2019 को विज्ञान भवन प्रौद्योगिकी में डॉक्टर हर्षवर्धन करेंगे पुरस्कृत
विमलेश अग्रहरि, मिर्जापुर @ विन्ध्य न्यूज

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की ओर से इनोवेशन एवार्ड फार स्कूल चिल्ड्रेन 2018 के लिए कुल चयनित 11 छात्रों में से उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के 2 छात्रों का चयन अवार्ड के लिए किया गया है। इनमें से प्रिंस कुमार अहरौरा का चयन थर्ड पोजिशन तथा अर्जुन सोनकर का चौथे स्थान पर किया गया है। इस चयन पर दोनो छात्रो के अभिभावको सहित उनके विद्यालय मे खुशी का माहौल है। दोनो छात्रो ने जिला विज्ञान क्लब के कोऑर्डिनेटर सुशील कुमार पाण्डेय को भी इसका श्रेय दिया है ।

छात्र प्रिंस कुमार ने धान में होने वाले घास को कुचलने वाली मशीन तथा अर्जुन सोनकर ने मिनी रोटावेटर का नया मॉडल किया है, जो किसानों के लिए सहायक है। इसके लिए 26 सितंबर 2019 को विज्ञान भवन विज्ञान भवन प्रौद्योगिकी में डॉक्टर हर्षवर्धन पुरस्कृत करेंगे। पुरस्कार के रूप में तृतीय पुरस्कार को ₹30000 का नगद पुरस्कार एवं चतुर्थ को ₹20,000 एवं प्रमाण पत्र प्रदान किया जायेगा।

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा चयनित अर्जुन सोनकर के यंत्र के नवाचार का शीर्षक मिनी रोटावेटर है।
इनके पिता का नाम रामबदन सोनकर और निवास पियरवा पोखरा अहरौरा है। अर्जुन नगर पालिका इंटर कॉलेज, अहरौरा मे कक्षा 10 का छात्र है।

उसने बताया कि हमारा यह उद्देश्य है कि हम कम पैसे में ही खेतकी गुड़ाई की उपयोगी मशीन बनाई गई है।जहां पर ट्रैक्टर नहीं पहुंच पाता, वहां पर गुड़ाई कर सके। कार्य विधि के बारे मे उसका कहना है कि मैंने जो मशीन बनाई है। इसका नाम मिनी रोटावेटर है। हमारा यह मशीन खेतों से संबंधित है। जब हम किसी छोटे खेत के टुकड़े (1 बिस्वा से 3 बिसवा) पर खेती करते हैं ,तो हम स्वर प्रथम उस खेत पर बुराई करते हैं। गुड़ाई करते समय हम फावड़े एवं कुदाल का इस्तेमाल करते हैं।जिससे काफी मेहनत तथा काफी समय लगता है। जब मैं खेत में काम करने गया तो मैंने इस समस्या को समझा। मेरे दिमाग में एक सुझाव आया कि क्यों ना एक ऐसा उपकरण बनाया जाए, जिससे हम किसी भी खेत जैसे जहां पर ट्रैक्टर पहुंच नहीं पाता, वहां पर हमारा उपकरण काम कर सके।

इसलिए हमने एक मशीन बनाया है। जो कि ट्रैक्टर की भांति कार्य करता है,हमारा मशीन पेट्रोल इंजन से स्वचालित है। इसकी सहायता से हम किसी भी छोटे – बड़े खेत जहां पर ट्रैक्टर नहीं पहुंच पाता, वहां पर आसानी से खेतों की गुड़ाई कर सकते हैं।जिससे हमारा काम जल्दी, आसानी तथा कम मेहनत में हो जाता है।

परियोजना शीर्षक चुनने के कारण
जब हमने अपने गांव में किसी किसानों को फावड़े से खेतों में खुदाई करते देखा। तो हमने पूछा की गुड़ाई आसानी से हो जाती है। तब उन्होंने कहा कि जब हम जुड़ाई करते हैं। तब हमारा बाल बहुत ज्यादा लगता और हमारे हाथों में छाले पड़ जाते हैं ।तो इस समस्या को लेकर हमने मिनी रोटावेटर का अध्ययन किया जिससे कि किसानों की खेती की गुड़ाई आसानी से हो जाए। सारांश
हमारी समस्या थी। कि हमें जुड़ाई करते समय ज्यादा बल लगता था और हमारे हाथों में छाले पड़ जाते थे।इससे हमारा समय बहुत अधिक लगता था। इससे हमारा समय बहुत अधिक लगता था।

इसलिए हमने एक यंत्र के द्वारा समय की बचत होती है। तथा कार्य भी आसानी से हो जाता है। हमने इस मशीन का सर्वेक्षण किया तो हमें ज्ञात हुआ यह 1 लीटर पेट्रोल में नमी मिट्टी हो तो(3 से 4 बिस्वा) तक गुड़ाई की जा सकती है। इसलिए 30 मिनट में हाथ के द्वारा लगभग 1 /10 तक बिस्वा गुडाई कर सकते हैं और हम मशीन से 30 मिनट में (2 से2.5) तक की गुड़ाई कर सकते हैं। इससे हमको यह फायदा है कि हम मशीन से (2 आदमियों) का कार्य कर सकते हैं ।अगर हम रुपए की बात करें, तो अगर एक व्यक्ति को हम(1दिन की कीमत ₹300 )देते हैं। तो(2 व्यक्तियों) को ₹600 दे देते हैं ।मशीन के द्वारा केवल हम(70 से80) लगेगा और इस मशीन की कीमत लगभग(2500से ₹3000) है। और इस मशीन को कोई भी! गरीब किसान आसानी से खरीद सकता है। हमारा यह उद्देश्य है। कि हम किसानों की मदद करें।

छात्र प्रिंस कुुमा ने धान में होने वाले घास को खाचने (कुचलने) की मशीन बनाया है जिसके लिए उनहे सीएसआईआर द्वारा सम्मानित किया जा रहा है। प्रिंस के
पिता का नाम भगेलू गुप्ता है। वह सत्यानगंज अहरौरा काा निवासी है और नगर पालिका इंटर कॉलेज,अहरौरा मेे दसवी मे पढता है।

बताया कि हमारी यह समस्या थी कि धानो में कुछ समय बाद घास होने लगते थे जो की धानो को बढ़ने में बाधा उत्पन्न करते थे जिसको हाथों से उखाड़ना बहुत ही मुश्किल का काम होता था इससे हमारा अधिक बल और समय खराब होता था।

ऐसे मे जो मशीन हमने तैयार की है वह मशीन प्रथम प्रकार के उत्तोलक के सिद्धांत पर आधारित है सर्वप्रथम हमने मोटरसाइकिल का रिंग लिया और उसके रिंग के इस किनारे से लेकर उस किनारे तक चार-पांच नकली बुलेट लगाएं ताकि वह घास पर चलाया जाए तो या तो वह खचा जाये या तो कट ही जाए।

फिर हमने साइकिल के हैंडल से लेकर पूरे नीचे तक के भाग को लिया पीछे के पूरे भाग को छोड़ दिया और उसमें मोटरसाइकिल का जो रिंग थी उसको फिट कर दिया ताकि वह आसानी से आगे पीछे कि जा सके फिर हमने उसमें एक मोटरसाइकिल का स्टैंड फिट किया इसलिए क्योंकि वह कहीं भी से खड़ा किया जा सके।

बताया कि हमारा यह उद्देश्य है कि हम कोई ऐसा मशीन बनाएं जो की धानो में कुछ समय बाद होने वाले घासो को आसानी से खाच (कुचल) चल सके जो की धानो को बढ़ने में बाधा उत्पन्न करती है।

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