धर्म संस्कृति

मर्यादा से हटकर कभी कोई कार्य नहीं करना चाहिए: शास्त्री

विमलेश अग्रहरि, मिर्जापुर @ विन्ध्य न्यूज
 क्षेत्र के बहुआर गांव के रविन्द्रालय स्थित मानस मंडप में चल रहे नौ दिवसीय राम कथा के छठवां दिन सोमवार को मानस कोकिला पं विजय लक्ष्मी शास्त्री ने कहा कि कलयुग,द्वापर, त्रेता,सतयुग तथा प्रभु राम व कृष्ण का 27बार अवतार है।जिसका प्रमाण मत्स्यपुराण में मिलता है।जब ज्ञान व वैराग्य संयुक्त रूप से मिल जाता है तो भक्ति स्वयं मिल जाती जो दुर्लभ है।बिना गुरु के भगवान के चरणों तक पहुचाने वाला गुरु भक्ति है।बाबा तुलसी ने रामचरितमानस में दो वाटिका का वर्णन किया है।पुष्प वाटिका व अशोक वाटिका लेकिन दोनों के वागवा के विचार भिन्न-भिन्न प्रकार के है।पुष्प वाटिका के वागवां योगी धर्मशिल राजा जनक है तो अशोक वाटिका के वागवां राजा रावण जो भोगी अधर्मी और छलिया है।जनक सुता माता जगत जननी सीता जगत मर्यादित पुत्री है।कथा को विस्तार से बताते हुए कहा कि जब ब्रह्म व भक्ति का मिलन होता है तों वैराग्य शारणागत हो जाता है।राम कथा मात्र कथा नही है यह चरित्र की कथा है।कहा कि वैदिक परम्पराओ का सम्मान होना चाहिए।पश्चिमी सभ्यता का विनाश होना चाहिए।मनुष्य को जीवन में कभी भी मर्यादा से हटकर कभी कोई कार्य नहीं करना चाहिए।प्रभु श्री राम ने कभी मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया।इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहा जाता है। सच्ची श्रद्धा भाव,प्रेम,मन,कर्म, बचन के कारण ही भगवान भक्तों को दर्शन देते हैं। शास्त्री ने  हनुमान जी को लंका पहुंचे की कथा को विस्तार देते हुए श्रोताओं से कहा कि मंदिर मंदिर प्रति कर शोधा जह तह देखा अगणित जोधा।लंका पुरी व विभीषण की कुटिया का मार्मिक वर्णन किया।कहा जिस घर में रोजाना सुन्दर काण्ड का पाठ होता है उस घर में विपत्ति नहीं आती है।   इस दौरान पुरा पंडाल प्रभु श्री राम के जयकारे से गुज उठा।कहा कि बाबा तुलसी ने रामचरितमानस में प्रभु श्री राम के चार लीलाओं का वर्णन किया है।ईश्वर जीव अविनाशी भगवान ने सभी जीव में अपना अंश माना है।मनुष्य को अहंकार नहीं करना चाहिए।श्रोताओं से कहा कि कभी भी क्रोध में भजन-कीर्तन नही करना चाहिए।मनुष्य जब भक्ति,ज्ञान व वैराग का हाथ पकड़ कर चलता है तो उसके जीवन में  दुख नहीं आता है।कहा कि सनातन धर्म का कभी लोप नहीं हो सकता है। क्योंकि यह युगों युगों से चला आ रहा है।मनुष्य जीवन को बिषय भोग मे बर्वाद न करें जितना हो सके प्रभु का ध्यान करें। मनुष्य जीवन भर पाप किया हो अगर एक बार भी भाव से भगवान का नाम लिया तो उसका जीवन सुधर जाता है।इस दौरान रविप्रकाश तिवारी,रविन्द्रनाथ तिवारी,ज्ञानधर तिवारी,हरे कृष्ण मिश्रा,अवधेश सिंह, विजेन्द्र सिंह,बबलू सिंह,दिलीप सिंह, राधेश्याम तिवारी, सुशील सिंह,बप्पी तिवारी, दिलीप सिंह, अरूण तिवारी,शिखर नंदनी,उर्मिला सिंह, वीणा उपाध्याय,उमेश सिंह,सरिता तिवारी, चन्द्रकांता पाण्डेय, रंजना,माही,उर्मिला सहित सैकड़ों नर नारी श्रोताओं ने कथा का रसास्वादन किया।संचालन राजेश कुमार  दूबे ने किया।
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