0 दो बेटे और दो बेटियों की मां खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर
0 कभी-कभी जाती थी मास्टरनी अब भीख मांग कर भर रही पेट
विमलेश अग्रहरि, मिर्जापुर।
नगर समेत जनपद में कम से कम 2 हजार से अधिक ऊपर स्वयंसेवी संस्थाएँ हैं, लेकिन सब अपने अपने मे व्यस्त हैं । वृद्धों की भी संस्था है, लेकिन जब कागज पर ही सब ओके हो जा रहा है, तो धरातल पर काम की क्या जरूरत है?
काल (समय) क्या क्या दिखा देता है, यह कोई नहीं जानता। राजा को फ़क़ीर तो, फ़क़ीर को बादशाहियत भी दिला देता है समय। ये बातें नगर के गैवीघाट (कोटघाट) पर किराए की मकान में रहने वाली लकवाग्रस्त 75 वर्षीया राजकुमारी देवी पर शतप्रतिशत लागू होती हैं ।
राजकुमारी कभी मास्टरनी से सम्बोधित होती थीं । पति कछवा में निजी स्कूल में पढ़ाते रहे। स्कूली बच्चे तथा आसपास के लोग मास्टरनी जी, पाय लागू कहा करते थे। उसी राजकुमारी को अब दुर्र-दुर्र का भी सामना करना पड़ रहा है।
दो बेटियों और दो बेटों की माँ राजकुमारी का नसीब सच मे खोटा लगता है। बेटियों की शादी हो गयी। मां के पास फूटी कौड़ी नहीं लिहाजा बेटी-दामाद जो गैर जिले में हैं, खोज खबर लेने नहीं आते।
राजकुमारी को दो बेटे हैं जिसमें एक का दिमाग खराब हो गया है और दूसरा अभी अविवाहित तो जरूर है लेकिन मां से जब झगड़ता है तो घर से बाहर कर देता है। मां के कलेजे की गहराई नापी नहीं जा सकती । कोई जब कहता है कि चलो पुलिस-थाने तो वह बेटे का बचाव करते देखी जाती है । बात बदलती है कि कभी कभी बाहर रहना पड़ता है । लेकिन रविवार (24 नवम्बर) की रात वह मन्दिर के बाहर ही सोने पर विवश रही। विधवा और वृद्धावस्था का पेंशन बहुत सी ऐसी महिलाएं लेती हैं जिनके बच्चे गाड़ी-घोड़ा वाले हैं। लेकिन शायद राजकुमारी का पेंशन बंद हो गया है। इधर बहुत दिनों से उसे पेंशन नहीं मिला ।
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