हरिकिशन अग्रहरि
डिजिटल डेस्क, अहरौरा (मिर्जापुर)।
जनपद स्तर पर पुलिस को गुमराह करके मुकदमें लिखाने की होड़ मची हुई है। सत्य परक तथ्यों पर आधारित वाद को अनुत्तरित कर दिया जाता है तो वह वादी न्यायालय की शरण में जाता है। अधिकांश वादी न्यायालय में जानकारी के अभाव में नहीं जा पाते हैं और पुलिस की कार्रवाई को अपना भाग्य मान लेते हैं जबकि ऐसे कुछ प्रकरणों में पुलिस गुमराह भी होती है। झूठी रिपोर्ट लिखवाने वाले, पुलिस को गुमराह करने की कोशिश करने वालों के विरूद्ध जांच अधिकारी सही ढंग से जांच करके अगर सीआरपीसी की धारा 182 के अन्तर्गत कार्यवाही करनी शुरू कर दें तो सिर्फ उचित और जायज मामले ही थाने स्तर पर आयेंगे।
असंज्ञेय अपराधों का निस्तारण सरकार चाहती है कि थाने स्तर पर ही हो जाय। थाना दिवस, तहसील दिवस इसीलिए आयोजित होते रहते हैं। सरकार चाहती है कि न्यायालय पर अकारण बोझ न पड़े। थाने स्तर पर आये शिकायतों के विषय में जांच अधिकारी लगभग नब्बे प्रतिशत केसो में सच्चाई जानते हैं। राजस्व, वन, पाषाण, आबकारी विषयक अपराध भी थाने स्तर पर समझे जाते हैं लेकिन अपराध पुष्टि हेतु संबंधित विभागों से जांच रिपोर्ट मांगनी पड़ती है। अगर पुलिस असंज्ञेय अपराधों को अपने स्तर पर ही सुलझानी शुरू कर दें, झूठे वाद पर 182 के तहत कार्रवाई शुरू कर दे, पुलिस को अगर यातायात माह की तरह शांति माह का टार्गेट भी मिले तो पुलिस अपनी पूरी योग्यता झोंक कर अपनी छवि सुधार सकती है और इससे न्यायलय में लंबित मामले जल्द सुलझाये जा सकेंगे।पुलिस जनता सम्मिट का आयोजन मीरजापुर पुलिस करती रही है जिसका परिणाम यह था कि जनता पुलिस से सीधे न्याय हेतु संवाद करती है। आन लाइन एफ आई आर, मुख्यमंत्री पोर्टल, जनसूचना अधिकार, 112, 1076, 1090 आदि नम्बरों की उपयोगिता न्याय हेतु ज्यादा होने लगा। इसलिए थाने स्तर पर कानून व्यवस्था मजबूत बनाने की जरूरत है। जनपद के अधिकांश ग्रामीण थानों के किनारे न्याय की गुहार लगाने वाले गरीबों, आदिवासियों के कुनबे आज भी बाहर बैठे मिल जायेंगे।