अभिव्यक्ति

महिला दिवस पर शक्ति को दिया गया प्रशासनिक टिप्स

हरिकिशन अग्रहरि
डिजिटल डेस्क, अहरौरा(मिर्जापुर)।
‘या देवि सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमोतस्यै नमोतस्यै नमोतस्यै नमो नम:’ यह मंत्र के साथ के साथ ही साथ भारतीय संस्कृति का मूल बीज है, लेकिन ऐसा वैश्विक स्तर पर नहीं है। लैंगिक असमानताएं, वैचारिक शोषण, राजनीति में निषिद्धता, धार्मिक स्वतंत्रता पर रोक, शैक्षणिक योग्यता पर प्रतिबंध का महिलाओं को सामना करना पड़ा था जिसके कारण समय समय अलग अलग देशों में विभिन्न जाति, धर्म और संस्कृति में रहने वाली महिलाओं ने आन्दोलन किये जिसमें उनको सफलता मिली। महिलाओं के सम्मान में आठ मार्च को महिला दिवस वैश्विक स्तर पर मनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र संघ में पारित हुआ। आज महिलाएं वैश्विक स्तर पर पुरूषों के साथ बराबरी का दर्जा प्राप्त कर रही है लेकिन कुछ न कुछ लैंगिक समानता हेतु लक्ष्य बना रहता है। सन् 2021 में महिला दिवस का थीम है चूज द चैलेंज। देश काल वातावरण के अनुसार चैलेंज अलग अलग है और भारत में भी कुछ चैलेंज है जिसे महिला सशक्तिकरण के नाम पर राज्य सरकारें महिलाओं से सीधे जुड़ने की कोशिश कर रही है। महिलाओं को आत्मरक्षार्थ ट्रेनिंग दी जा रही है। उनके अधिकार, उन अधिकारों के इस्तेमाल की प्रविधियों की जानकारी दी जा रही है। इन सरकारी योजनाओं का सीधे उनके जीवन पर प्रभाव पड़ा है लेकिन रिस्तों की जननी महिलाओं की शैक्षणिक योग्यताएं आज भी कम है। शारीरिक विकास के कारण महिलाओं की योग्यता को रिस्तों में दबाने की पारिवारिक परम्पराएँ आज भी हावी है। बाल विवाह पर प्रतिबंध से इसे रोकने का सरकारी प्रयास हुआ है लेकिन यह प्रयास आज भी काफी नहीं है। आर्थिक सम्पन्नता हेतु महिलाओं को महिला सशक्तिकरण को जोड़ने का प्रयास हुआ है लेकिन मातृत्व भार के दौरान सरकार द्वारा उन्हें आर्थिक सम्पन्नता का बोध कराने वाले कोई योजना सामने नहीं आया है।
   लड़कियों को पराये धन के रूप में पोषित करने की परम्पराओं ने कही न कही पुरूषों की बराबरी करने से रोका है। यही पारिवारिक भावनाएँ महिलाओं की योजना पर प्रश्न चिन्ह खड़ा किया है। महिलाओं के विकास हेतु महिलाओं को ही सामने आना होगा वर्ना *पुरूष समाज को क्या पड़ी कि महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिलाये। मगर हां, में हां करना, महिलाओं के सम्मान में एक दिन सिर झुकाना, सरकारी आदेशों का पालन करते हुए महिलाओं को शिक्षित करना पुरूषों को बखूबी आता है। अगर इतना भी पुरूष समाज महिलाओं के लिए करता है तो इसी में ही महिलाओं को अवसर उन्हें ढूढ़ना होगा और अपनी प्रतिभा द्वारा पुरूष समाज को चमत्कृत करना होगा।
     मां का सम्मान सभी करते हैं और स्त्री ही मां होती है। जब स्त्री सम्मान बोध भारतीय पुरूष के दर्शन में शामिल होगा, उसी दिन महिला सम्बन्धित अपराधों में व्यापक कमी आयेगी जिसपर राज्य सरकारों को भी काम करना होगा।
      महिला सशक्तिकरण को लेकर यूपी स्तर आज कार्यक्रम आयोजित किये गये थे। इसी के मद्देनजर अहरौरा थाना में कार्यक्रम आयोजित की गई थी जिसमें महिलाओं से संबंधित सुरक्षा की जानकारी पुलिस की ओर से दी गई। अहरौरा एसओ अमित कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि महिलाओं के सर्वांगीण अधिकार से सम्बन्धित शासकीय जानकारी कालेज की बच्चियों को दी गई।
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