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अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अधिवेशन में पुरानी पेंशन बहाली समेत 21 समस्याओं के निवारण पर प्रस्ताव पास

◆ विंध्याचल मंडल ने सक्रिय सहभागिता के साथ दर्ज कराई अपनी दमदार उपस्थिति

मीरजापुर।

अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का चल रहा अष्टम राष्ट्रीय अधिवेशन का तीन दिवस में ग्यारह सत्रों के साथ सफलता पूर्वक समापन हुआ। अधिवेशन में देश के विभिन्न संस्कृतियों व विविधताओं से आच्छादित प्रतिनिधियों की गौरवपूर्ण उपस्थिति रही। समापन समारोह में प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया। देश भर से आये शिक्षक प्रतिनिधि एक नई ऊर्जा, नए विचार, नए उद्देश्य के साथ अपने अपने मूल गंतव्य को रवाना हुए। इस दौरान महासंघ द्वारा पुरानी पेंशन, पदोन्नति, स्थानांतरण, प्राथमिक शिक्षकों को विधान परिषद मत देने का अधिकार, कैशलेश चिकित्सा समेत 21 समस्याओं पर प्रस्ताव पास हुआ।

देश के प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के शिक्षकों के सबसे बृहद संगठन के अखिल भारतीय राष्ट्रीय अधिवेशन का शुभारंभ बेंगलुरु, कर्नाटक के चेनन्हल्ली में स्थित जनसेवा विद्या केंद्र के परिसर में मुख्यमंत्री बसवराज एस बोम्मई जी, भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी एवं सुनील भाई मेहता (सह बौद्धिक प्रमुख, आरआरएस) ने दीप प्रज्वलित करके किया। सत्र प्रारंभ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए संस्कृत के विद्वान चांद किरन सलूजा ने कहा कि शिक्षा वह जो हमें ज्ञान दे, शिक्षा वह जो जीवनोपयोगी हो, शिक्षा वह जो हमें साथ रहना सिखाए और शिक्षा वह जो हमें मानवता सिखाए। अधिवेशन के दूसरे दिन कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा जी के साथ-साथ कर्नाटक के स्कूल शिक्षा मंत्री बी.सी.नागेश जी और उच्च शिक्षा मंत्री व गुरु श्री श्री शिवरुद्रा महास्वामीगालु (श्री बेलिमथा महासम्स्थाना, बेंगलुरु) का सानिध्य प्राप्त हुआ।

शिक्षा जगत में आजीवन किये गए उत्कृष्ट योगदान को रेखांकित करते हुए अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के इस महत्वपूर्ण अधिवेशन में राष्ट्र के तीन शिक्षकों डा. चाँद किरन सलूजा, प्रोफेसर एम.के श्रीधर एवं सुश्री भारती ठाकुर को “शिक्षा भूषण सम्मान” से एक लाख रुपये, रजत पत्रक, प्रशस्ति पत्र, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। “इंडिया से भारत की ओर” विषयक विचार गोष्ठी में राष्ट्र निर्माण के क्रम में नई शिक्षा नीति के महत्व एवं अनुपालन को लेकर विद्वानों ने परस्पर अपने विचारों को साझा किया। अधिवेशन में वर्तमान अंतरराष्ट्रीय परिवेश में भारत की भावी अर्थनीति पर भी चर्चा हुई। समापन दिवस पर आरआरएस के अभ कार्यकारिणी सदस्य प्रो अनिरुद्ध देशपांडे का पाथेय प्राप्त हुआ।

अधिवेशन के दौरान अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. सिंघल, राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, राष्ट्रीय महासचिव शिवानन्द सिन्दनकेरा, सह संगठन मंत्री जी. लक्ष्मण, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. निर्मला यादव उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय प्रभारी उच्च शिक्षा संवर्ग महेंद्र कुमार प्रदेश प्रभारी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड,भगवती सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष प्राथमिक संवर्ग, अजीत सिंह प्रदेश अध्यक्ष, उ प्र, पवन शंकर दीक्षित प्रदेश कोषाध्यक्ष, उ प्र, शिव शंकर सिंह प्रदेश संगठन मंत्री, उ प्र, शशांक पांडेय संयुक्त मंत्री, अधिवेशन में विंध्याचल मंडल से मण्डल अध्यक्ष अखिलेश मिश्र वत्स, महामंत्री संतोष सिंह, सह संयोजक विमलेश अग्रहरि, सोनभद्र जिला संयोजक अशोक त्रिपाठी, धीरज सिंह जिलाध्यक्ष भदोही, क्रांतिमान, अर्चना, मुकेश, सौरभ, गणेश पांडेय, रितेश, प्रतीक, रवि कांत, बृजेश, देवेंद्र, दिनेश, आनंद, रूक्मणीकांत, महेश, अरुणयति, डेविड आदि ने दमदार उपस्थिति प्रदर्शित करते हुए शिक्षकों की समस्याओं को उठाया।

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