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अंतिम पायदान तक न्याय की पहुँच की रफ़्तार बहुत धीमी है, उसे तेज करने की दरकार है: केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल

0 आखिरी दिन अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पुरानी संसद को शीश झुकाकर प्रणाम किया, भावुक हो कर कहा, “इस संसद को सादर प्रणाम, मुझे बहुत कुछ सिखाया”

नई दिल्ली/मीरजापुर।

“सामाजिक न्याय का सिद्धांत हमें यह भी सिखाता है कि न्याय की पहुंच अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक होना चाहिए। राष्ट्रपति महोदया ने भी संविधान दिवस के दिन अपनी चिंता से अवगत कराया था। अंतिम तबके तक न्याय की पहुँच की रफ्तार बहुत धीमी है, इसे तेज करने की दरकार है। अभी हमें बहुत प्रयास करने हैं। हमारे न्यायपालिका में सामाजिक विविधिता हो। न्यायपालिका में समाज के अंतिम पायदान से आने वाले होनहार युवाओं को भी अवसर मिले। इस दिशा में भी काम करने की जरूरत है, जब हम सब मिलकर उस तंत्र को मजबूत करने का प्रयास करेंगे, तो ये चिंताए दूर होंगी।“ अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने सोमवार को संसद के विशेष सत्र के शुभारंभ के अवसर पर पुराने संसद भवन में अपनी बात रखते हुए यह विचार व्यक्त किया आखिरी दिन अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पुरानी संसद को शीश झुका कर प्रणाम किया, भावुक हो कर उन्होंने कहा, “इस संसद को सादर प्रणाम, मुझे बहुत कुछ सिखाया”।

केंद्रीय मंत्री श्रीमती पटेल पुराने संसद भवन में आयोजित विशेष सत्र में अपनी बात रखते हुए काफी भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि पिछले नौ सालों के दौरान संसद से काफी कुछ सीखने को मिला। आज का दिन हम सभी के लिए भावुक कर देने वाला है। पुरानी संसद एक विरासत के तौर पर इतिहास में दर्ज हो जाएगी। कल हम सभी नए भव्य संसद भवन में प्रवेश करेंगे।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्रीमती पटेल ने संविधान सभा से लेकर 75 सालों के स्मृतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आजादी के पिछले 75 सालों के दौरान हमने कई उपलब्धियां हासिल की हैं, जो हमें गौरवांवित करती हैं। साथ ही हमारे पास कई सबक भी हैं। उन्होंने कहा कि इसी संसद भवन में संविधान निर्माण पर जीवंत बहस हुई। यहीं पर अश्पृश्यता निवारण का कानून बना, 90 के दशक में मंडल कमीशन लागू हुआ। इसी संसद भवन ने देश को एक परमाणु शक्ति के तौर पर उभरते हुए देखा है। तो आज देश को चांद के दक्षिण ध्रुव पर उतरते हुए देखने का सौभाग्य मिला है। यह वो संसद भवन है, जो भारत को दुनिया का पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था देखने का भी साक्षी बना है।

देश पर आपातकाल थोपा गया:
केंद्रीय मंत्री श्रीमती पटेल ने कहा कि इस पुराने संसद भवन ने 1975 में देशवासियों पर थोपे गए आपातकाल को भी देखा है। दशकों तक ओबीसी को सरकारी नौकरियों में भागीदारी देने के लिए अलग-अलग जो रिपोर्ट्स आईं, उन्हें जानबूझकर दबा कर रखा गया। 90 के दशक में मंडल कमीशन तो लागू हुआ, लेकिन उसकी सिफारिशों में जो अनेक खामियां रहीं, उसे लंबे समय तक पूर्ववर्ती सरकारों में दूर नहीं किया गया।

प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में दलित-पिछड़ों का हो रहा है सामाजिक व आर्थिक उत्थान:
केंद्रीय मंत्री श्रीमती पटेल ने कहा कि आज यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार दलित व पिछड़े समुदाय के सामाजिक व आर्थिक उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।  प्रधानमंत्री जी ने गरीब कल्याण योजनाओं के जरिए सामाजिक असमानता दूर करने का कार्य किया है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री जी ने 17 सितंबर को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया। इस योजना के जरिए सामाज के नीचले तबके के परंपरागत शिल्पकारों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव होने जा रहा है।

ओबीसी की बैकलॉक वैंकेसी को भरा जाए:

श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ.भीम राव आंबेडकर जी के प्रमुख कथन (मजबूत से मजबूत संविधान फेल हो सकता है और कमजोर से कमजोर संविधान सफल हो सकता है, यदि इसे लागू करने वाला तंत्र मजबूत हो।) का उल्लेख करते हुए कहा कि  हमें तंत्र को सुदृढ़ करने की जरूरत है, ताकि ओबीसी की बैकलॉग वैकेंसी को जल्द से जल्द भरा जाए।

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