आध्यात्म

माता पिता की सेवा से बढ़कर कोई तीर्थ यात्रा नहीं: दिलीप कृष्ण भारद्वाज

विमलेश अग्रहरि,  मिर्जापुर @ विंध्य न्यूज़
माता पिता के रहते अगर हम तीर्थयात्रा और तप करते हुए भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए उन्हें ढूंढते हैं तो सारा तीर्थ यात्रा व प्रयास बेकार है । जिसको हम ढूंढते रहे वह तो घर में विराजमान हैं । उक्त प्रसंग श्रीलक्ष्मीनारायण महायज्ञ के अवसर पर संगीतमय कथा के दौरान व्यासपीठ से दिलीप कृष्ण भारद्वाज ने छठवें दिन व्यक्त किया ।
उन्होंने कहा कि माता के चरणों में चंद्रमा का वास होता है तो पिता के चरणों में सूर्य का वास होता है । प्रतिदिन जो संतान अपने मां बाप की चरण रज लेकर प्रणाम करता है । उसे किसी और के आशीर्वाद की जरूरत नहीं है ।  कहा कि जब माता-पिता प्रसन्न हो जाते हैं तो समस्त देवी देवता प्रसन्न हो जाते हैं । उनकी प्रसन्नता मात्र से सभी अनुष्ठान और तप का फल मिलता है । मां-बाप कष्ट में हो और टूटी खाट पर सो रहे हो तथा आप डनलप के गद्दे पर सो रहे हैं तो इससे आप का कल्याण होने वाला नहीं है । कहा गया है कि माता पिता के मन में पुत्र के चलते पीड़ा हो तो सभी ग्रह उलटा परिणाम देते हैं । अगर वह प्रसन्न हो गये तो सभी देवता प्रसन्न हो जाते हैं । उनकी कृपा से सदैव सुख, समृद्धि और खुशहाली प्रदान करते हैं । संगीतमय स्वर के बीच जब उन्होंने पंक्ति दोहराया कि बदलते वक्त में ऐसा दौर आया है, हमीं से अलग हो गया हमारा साया है । जिसको हमने बोलना सिखाया, वही हमको चुप कराता है ।
श्री भारद्वाज ने कहा कि एक वृद्ध को चार बेटे थे । सब अपने कमाई में व्यस्त थे । पिता वृद्धाश्रम में रहते थे । उनका जब अंतिम समय आया अपने चारों बेटों को बुलाया । उन्होंने सोचा कि कोई राज की बात बताना चाहते हैं । चारों बेटे उनके पास पहुंचे । पिता ने कहा कि बेटा मेरा तो अंतिम वक्त आ गया है । इस कमरें में चौकी के ऊपर एक पंखा लगवा देना । मैंने तो अपनी जिंदगी गुजार दी । तुम में से  किसी को अगर यहा आना पड़ा तो गर्मी लगेंगी । इतना कहकर वह अंतिम यात्रा पर निकल गये ।
। पिता की बात सुनकर बच्चों की आंखों में आंसू छलक पड़े । पिता के मन में अपने बेटों की चिंता देखकर वह कुछ कह पाते उससे पूर्व वह अपना नश्वर शरीर छोड़ कर निकल चुके थे ।
कथा मंच पर व्यासपीठ की पूजा अर्चना संजय अग्रवाल, कृतार्थ बंसल एवं महेश तिवारी ने सपत्नीक किया ।
कथा पंडाल में विश्वनाथ अग्रवाल, मनोज श्रीवास्तव, आलोक अग्रवाल, ओपी गुप्ता, आशुतोष तिवारी, प्रदीप तिवारी, रमाकांत दुबे, मौजी दूबे, रामकुमार तिवारी मणिशंकर मिश्र, अनुज पांडेय, रामचंद्र शुक्ला, सुभाष सिंह , रविशंकर साहू, मनोज दमकल, रामदत्त पाण्डेय एवं सुशील दुबे आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
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