स्वास्थ्य

चमकी रोग से लड़ने को स्वास्थ्य विभाग तैयार, बढी सतर्कता

0 मीरजापुर में चमकी रोग से पीड़ित नहीं है कोई बच्चा
0 पर्याप्त दवाओं के साथ उपचार करने में चिकित्सक सक्षम

मिर्जापुर @ विन्ध्य न्यूज.

जनपद में चमकी (इंसफेलाईटिस) बुखार से बच्चों को बचाव हेतु जिला मण्डलीय अस्पताल समेत प्राथमिक/सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रो में उपचार की सभी सुविधायें उपलब्ध है। आशाओं के माध्यम से बुखार से पीड़ित बच्चों के खून की स्लाइड बनाकर जांच करायी जा रही है। चिकित्सक को सचेत रहने की हिदायत दे दी गयी है।

जनपद के मुख्य चिकित्साधिकारी डा0ओ0पी0 तिवारी ने बताया कि जनपद में चमकी रोग से पीड़ित कोई भी बच्चा नहीं है। जनपदवासियों को अफवाहों से सतर्क रहने की जरूरत है। टेलीमेडिसीन की सुविधा होने से हैदराबाद के अपोलों अस्पताल समेत महानगरोां में स्थित चिकित्सा संस्थानों के चिकित्सकों से सुझाव लेकर मरीजों का उपचार करने में सभी चिकित्सक सक्षम है। सभी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में दवा उलब्ध है। इस तरह के रोगियों के लिये मण्डलीय चिकित्सालय स्थित एक वार्ड में छह बेड सुरक्षित रख लिया गया है।

बताया कि टेलीमेडिसीन की सुविधा देने के लिये जनपद के सात प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रो को चयनित किया गया है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कछवा में टेलीमेडिसीन की सुविधा इसी वर्ष फरवरी में ही शुरू कर दी गयी है। मुख्य चिकित्साधिकारी ने बताया कि चमकी बुखार से बच्चों को बचाने के लिये इस तरह की सावधानी बरतनी चाहिये। इसके अलावा यदि किसी बच्चे में सात प्रकार के लक्षण दिखायी पड़े तो तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिये। इस तरह की सावधानियों बरतने और चिकित्सकीय उपाय कने से चमकी बुखार पर पूरी तरह से काबू पाया जा सकता है।

और यह है बचाव के लिए उपाय

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने चमकी बुखार से बच्चों के बचाव हेतु कुल दस प्रकार की सावधानियों बरतने हेतु उपाय बताया है। इसके अन्तर्गत बच्चों को धूप से दूर रखना चाहिये, अधिक से अधिक पानी का सेवन कराया जाय। बच्चों को जंक फूड से दूर रखें। हल्का व साधारण खाना खिलाये। बच्चों को रात में खाना खाने के बाद थोड़ी मात्रा में मीठा खिलाना आवश्यक है। घर के आसपास पानी जमा नही रहना चाहिये। नियमित रूप से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करते रहना चाहिये। रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग व बच्चों के पूरे बदन पर कपड़ा पहनाना आवश्यक है। बच्चों को अधिक से अधिक पानी पिलाना नितान्त आवश्यक है। जिससे बच्चों के शरीर में पानी की कमी न होने पावे। इसके अलावा बच्चों को ताजा फल ही खिलाना चाहिये।

यह है चमकी बुखार के सात लक्षण

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने बच्चों में कुल सात प्रकार के लक्षण दिखायी पड़ते ही सरकारी अस्पताल/चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिये। सी0एम0ओ0 ने बताया कि यदि किसी बच्चे को अचानक तेज बुखार आ जाये, हाथ पैर में अकड़न हो जाये अथवा टाइट हो जाय, बेहोश हो जाये, शरीर में कपकपी हो जाये, शरीर में चकत्ता निकल जाय, शरीर में ग्लूकोज की कमी हो जाये अथवा सूगर कम हो जाय जो तत्काल सतर्क हो जाना चाहिये। इस तरह का कोई लक्षण बच्चों में आये तो तुरन्त अस्पताल पहुंच जाना चाहिये। चमकी बुखार की बीमारी 10 वर्ष तक की उम्र वाले बच्चों को अधिक प्रभावित कर रहा है। यह बात अलग है कि इस जनपद में चमकी बुखार से कोई बच्चा प्रभावित नही है।जनपद के सभी केन्द्रो पर अन्नप्रशासन दिवस मना जनपद के समस्त 2668 आंगनबाड़ी केन्द्रो पर अन्नप्रशासन दिवस बड़े ही घूमघाम से मनाया गया। जिसमें छह वर्ष की उम्र पूरी कर चुके नैनिहालों को आहार खिलाकर अन्नप्रशासन दिवस मनाया गया।

जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास एवं पुष्टाहार पी0के0सिंह ने बताया कि महिलाओं को स्तनपान के साथ-साथ उपरी आहार की भी अत्यन्त आवश्यकता होती है। इसलिए उनको उचित मात्रा में उपरी आहार देने की जरूरत होती है। इससे बच्चों का शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक विकास तेजी से होने में सहायक होता है। साथ ही साथ छह माह के बच्चों को दिन में कम से कम तीन बार में लगभग 100 ग्राम मसला हुआ दाल एवं रोटी, चावल-दाल या मौसमी फल, घर में बनने वाली हरी साग सब्जियां व अन्य ठोस आहार तैयार करके दिन में कम से कम तीन बार देना आवश्यक है। पक्का पोखरा स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र पर शान्ति त्रिपाठी ने बताया कि बच्चों की उम्र बढ़ने के साथ-साथ भोजन की गरिष्ठता और मात्रा बढ़ाने की जरूरत है। आंगनबाड़ी कार्यकत्र्री ने कटोरी चम्मच बच्चें के अभिभावक को देकर समझाया जाता है कि माप के अनुसार भोजन बच्चों को कराते रहना चाहिए। साथ ही यह भी बताया जाता है कि यदि बच्चों को उपरी आहार नही दिया जाता है जिससे बच्चे कुपोषित की श्रेणी में आ सकते हैं।

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