0 राष्ट्र ऋषि से नानाजी देशमुख का मिर्जापुर से रहा अटूट रिश्ता
0 दीन दयाल शोध संस्थान चित्रकूट मेे समाज स्वास्थ्य शिल्पी परिवार मे रहे सहयोगरत
0 दर्जनो बार मिला आशीर्वाद एवं सानिध्य
विमलेश अग्रहरि, मीरजापुर @ विन्ध्य न्यूज
भारत रत्न नानाजी देशमुख के सानिध्य मे मिर्जापुर के छानबे ब्लाक के विजयपुर गाव निवासी एडवोकेट श्रीश कुमार अग्रहरि और पडरी निवासी पत्रकार मिथलेश अग्रहरि के तीन साल बीते है। एडवोकेट श्रीश अग्रहरि उन दिनो दीन दयाल संस्थान के प्रकल्प समाज स्वास्थ्य शिल्पी परिवार के रूप मे रहे तो वही मिथिलेश अग्रहरि ने यही उनके सानिध्य मे जूनियर हाई स्कूल की पढाई की।
नाना जी देशमुख ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं पं दीनदयाल उपाध्याय के सपनो को साकार करने के लिए दीनदयाल शोध संस्थान की चित्रकूट मे स्थापना की थी।
इस संस्थान का प्रमुख उद्देश्य भगवान राम के वनवास क्षेत्र के दलित उपेक्षित पिछडे और निर्धन आदिवासी बस्तियो मे समाज स्वास्थ्य शिल्पी परिवार के द्वारा समाज, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वावलंबन, सदाचार इन पाच बिन्दुओ के माध्यम से वहा की जनमानस के जीवन को नयी दशा देने मे संजीवनी का काम किये। जिनमे आदिवासी आवासीय बालिका विद्यालय, कृृषि विज्ञान केन्द्र, आरोग्य धाम, एवं ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना भी नाना जी के ही कर कमलो द्वारा हुआ था। लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार के गलत नीति के चलते ग्रामोदय विश्वविद्यालय को छोड दिया। इनहोने पूरे भारत मे संचालित भारतीय शिशु मंदिर की स्थापना भी की थी, जो आज देश के कोने कोने मे चल रहा है।
मदन चंद अग्रहरि ने बताया कि जनसंघ के कार्यकाल मे समर्पित एवं निष्ठावान आर एस एस पदाधिकारी स्व0 अमरनाथ अग्रहरि के नेतृत्व मे विजयपुर स्थित काली माता मंदिर पर पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न स्व0 अटल बिहारी बाजपेयी, स्व0 नाना जी देशमुख, हरिश चंद्र श्रीवास्तव ‘हरिश जी’, यादव रावजी आदि लोग यहा पहुचे थे। जहा राजा विजयपुर श्री निवास प्रसाद सिंह सहित एक सौ एक महिलाओ ने घडे के जलकलश के साथ नाना जी व अटल जी का दिव्य स्वागत किया था।
एडवोकेट श्रीश कुमार अग्रहरि वर्ष 1998 से 2000 तक दीन दयाल शोध संस्थान चित्रकूट मे समाज स्वास्थ्य शिलपी परिवार के रूप मे अनवरत लगे रहे और उनकी सेवा टहल भी करते रहे। राष्टीय स्वयंसेवक संघ व्यक्ति निर्माण एवं राष्ट्र निर्माण की पाठशाला है तो वही पर शिशु मंदिर के माध्यम से राष्ट्रभक्त एवं भारतीय संस्कृति केे दरशन को जीवंत रखने के लिए बाल शिक्षा के माध्यम से ही संस्कार एवं समाज को दिशा देेने की पहल भी की, जिसकी कारण इन्हे राष्ट्र ऋषि के नाम से जाना जाता है।
बताया उन्होने अपना पूरा जीवन हिन्दू समाज और भारतिय संस्कृति, कक साथ ही तेरा वैभव अमर रहे मा हम दिन चार रहे न रहे की सोच के साथ राष्ट्रहित मे समर्पित कर दिया। एडवोकेट श्रीश अग्रहरि के साथ ही पडरी निवासी मिथलेश अग्रहरि भी रहे और राष्ट्र ऋषि नाना जी के सान्निध्य एवं सेवा टहल मे जूनियर हाईस्कूल की पढाई पूरी की।