पडताल

नक्सल प्रभावित 105 गाव में शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएं बेहाल

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0 छात्रों ने मिर्जापुर के नक्सल प्रभावित गांवों में जाकर जानी जमीनी हकीकत

0 प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया सर्वे रिपोर्ट

Bureau report Mirzapur. 

BHU, JNU, DU  काशी विद्यापीठ के छात्रों द्वारा स्थापित होप संस्था के 12 युवाओं का दल मिर्जापुर के नक्सल प्रभावित गांवों में जाकर वहां की मूल समस्याओं व जमीनी हकीकत को जाना।
होप संस्था के युवा राजगढ़ व मड़िहान ब्लॉक के गांव में सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक घर – घर जाकर और चौपाल के माध्यम से सर्वे किया गया और उनकी सभी समस्याओं को नोट किया गया। होप के युवाओं ने 45 डिग्री तापमान में रहकर ग्रामीणों की समस्या जैसे पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, PHC में डॉक्टर की मनमानी, बाहर की दवाई लिखना, पानी को लेकर संकट।
नक्सल प्रभावित गाओं में चार दिन गुजारने के बाद जमीनी हकीकत जो हम छात्रों ने महसूस किया वो बहुत भयावह था, आज भी लोग घास व पत्ते के घरों में रहने के लिए मजबूर हैं, आज भी गांव में बाल विवाह का प्रचलन जारी है।

आज भी उस क्षेत्र के लोगो को नहर का गंदा पानी पीने के लिए मजबूर हैं, शोषण भी अपने तरीके से फल फूल रहा है,स्वरोजगार जैसे शब्द अंधेरे में कहीं खो गए। अगर किसी गांव में एक्का दुक्का यदि किसी ने स्नातक तक पढ़ाई कर भी ली है तो वो दूसरे प्रदेश में जाकर मजदूरी का कार्य करना पड़ रहा है।  सरकार की कई योजनाओं का उन्होंने नाम तक नहीं सुना है, कुछ लोगो के कारण पूरा गांव नक्सल जैसे आतंक से बदनाम है, कई कार्य सिर्फ फाइल तक है, अगर नक्सल को जड़ से खत्म करना है तो वहां के लोगो को जल्द से जल्द मुख्य धारा में जोड़ा जाए और कुदरती कानून वहां लागू किया जाए जिसमें सभी  का सम्मान हो।

गांव पहाड़ों पर बसे और पानी की समस्या होने के कारण गांवों में किसान नाम की प्रजाति गांव से खत्म हो रही है।
कुछ गांव में तो चौंकाने वाली बातें सामने आई कि परिवार के कुछ लोग शहरों में जाकर तीन – तीन महीने भीख मांगने का कार्य करते है फिर वो वापस आते है तो अन्य सदस्य जाते है।
हम युवाओं का मानना है कि इन सब के पीछे का कारण अशिक्षा है, रंग रोगन सुसज्जित स्कूल तो है शिक्षक भी है लेकिन शिक्षकों की गुणवत्ता में भारी कमी है,नक्सल प्रभावित 105 गांव में शिक्षा की स्थिति भयावह है। कई गांवों में सर्वे के दौरान हम छत्रों ने पाया कि बच्चे मिडल स्कूल के है लेकिन उन्हें A,B,C,D ओर गिनती तक का ज्ञान नहीं है। किसी किसी गांव के बच्चे केवल मिड -डे- मिल खाने जाते है और फिर वापस चले आते है। सर्वे में बच्चों की अपेक्षा लड़कियों की शिक्षा का स्तर निम्न व न के बराबर है। जिनके माता, पिता शिक्षित है उनके ही बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर पा रहे है। मैंने देखा कई ऐसे बच्चे जिनका नाम सरकारी तथा प्राइवेट स्कूल में लिखवाया गया । शिक्षा प्राप्त करने का उद्देश्य सिर्फ लोभ है जैसे खाना,फल, दूध का मिलना शिक्षा के असली महत्व से उन्हें कोई मतलब नहीं। नक्सल प्रभावित गांव में बहुत कम उम्र के बच्चे भी नशे में लिप्त हैं इसलिए टीचर पढ़ाने से कतराते हैं। जैसा की ज्ञात हो कि मिर्जापुर S.P. आशीष तिवारी के निर्देशन में होप संस्था ने मिर्जापुर के नक्सल प्रभावित 10 गांवों में 150 महिलाओं का ग्रीन ग्रुप का गठन किया है। ग्रीन ग्रुप का मुख्य उद्देश्य महिला प्रताड़ना,नशा व जुआ के खिलाफ कार्य करना और गांव की चौतरफा विकास में महिलाएं अपना सहयोग देती है।मिनिस्ट्री ऑफ वुमंस वेलफेयर एंड चाइल्ड डेवलपमेंट (भारत सरकार) सेक्रेटरी चेतन संघाई ने होप संस्था के कार्यो को संज्ञान में लिया है, और युवाओं के प्रतिनिधिमंडल को मिलने के लिए अपॉइंटमेंट दिया है, जिसमे इस रिपोर्ट को होप संस्था प्रस्तुत करेगी। होप संस्था के युवा मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल (IGRS) के माध्यम से सभी समस्याओं को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा, इसके साथ ही साथ प्रधानमंत्री कार्यालय भेजा गया सर्वे रिपोर्ट। होप संस्था से रवि मिश्रा, दिव्यांशु उपाध्याय, श्यामकांत सुमन, संदीप गुप्ता,नितेश जेशवाल, अजितेश श्रीवास्तव इत्यादि रहे।।

 

 

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