धर्म संस्कृति

चुनावी राजनीति से बढ़ा था राम और रामलीला का कद

चुनावी राजनीति से बढ़ा था राम और रामलीला का कद
भास्कर ब्यूरो, मिर्जापुर (अहरौरा)।
 अहरौरा गोला सहुवाईन में तेरह दिवसीय रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। अहरौरा धर्म सभा की उप समिति रामलीला कमेटी बनती है। जिसका दायित्व अहरौरा में 225 वर्षों से लगातार चली आ रही रामलीला का कुशल पूर्वक संचालन करना है। इस रामलीला समिति का विगत कई वर्षों से अध्यक्ष पद का कार्यभार सर्वेश अग्रहरि संभालते रहे हैं।
     विगत वर्ष उत्तर प्रदेश के विधानसभा हो रहे थे। प्रत्याशी घोषित हो चुके थे। मड़िहान विधानसभा में पड़ने वाला अहरौरा रामलीला को बड़ा कद मिला। कभी बीएसपी प्रत्याशी अवधेश कुमार ‘पप्पू’ दल बल के साथ भगवान् राम और रामलीला के चौखट पर सीस नवाते तो कभी कांग्रेस प्रत्याशी ललितेशपति त्रिपाठी का दल बल पहुंचता था तो कभी भाजपा प्रत्याशी रमाशंकर सिंह पटेल पहुंचते थे। सभी यही जानकारी करते थे कि पुरुषोत्तम भगवान राम के श्री चरणों में किसने क्या अर्पण किया है? समय बदला और चुनाव सम्पन्न हुआ। लेकिन इस वर्ष भी रामलीला शुरू हुआ तो धनुष यज्ञ और राम सीता के विवाह के दिन भी चुनावी राजनीति का सीधा असर इस रामलीला पर पड़ा है। बैठने की व्यवस्था से लेकर साफ सफाई की व्यवस्था कमजोर नजर आयी और भीड़ भी तुलनात्मक दृष्टिकोण से कमजोर रही है। दलील राजनीति का प्रभाव भले रामलीला पर हो परंतु भगवान् राम के प्रति भक्ति पर कोई प्रभाव नहीं हैं। समाज का आदर्श वादी सिद्धांत रामायण की कथाओं पर निर्भर नजर आती हैं।
कुलमिलाकर राजनीतिक प्रभाव के कारण भगवान राम भले तम्बू में हो लेकिन भगवान राम के प्रति सनातनी हिन्दूत्व आस्था अभी भी चरमोत्कर्ष पर है।
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