स्वास्थ्य

नेशनल मेडिकल कमिशन बिल के विरोध मे मिर्जापुर मे चिकित्सको ने ओपीडी ठप रखा

0 बैठक कर बिल को काला कानून बताया, बोले डाक्टरी पेशा और डाक्टर विरोधी ही नही, जनता के साथ भ्रष्टाचार है

0 नेशनल मेडिकल कमिशन बिल भंग करने की मांग 

ब्यूरो रिपोर्ट, मिर्जापुर।

मिर्जापुर के चिकित्सको ने भी मंगलवार को एक स्वर से भारत सरकार द्वारा कैबिनेट मे पारित नेशनल मेडिकल कमिशन बिल का जबरदस्त विरोध किया। इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन के बैनर तले डा0 एके गर्ग की अध्यक्षता और मुख्य वक्ता आईएमए सचिव डा0 एस एन पाठक के नेतृत्व मे आदित्य पैथोलॉजी रामबाग के सभागार मे संपन्न बैठक मे बैठक कर एक स्वर से विरोध जताया। सभी चिकित्सको ने एक स्वर से मांग किया कि नेशनल मेडिकल कमिशन बिल भंग किया जाय। मेडिकल काउंसिल आफ इण्डिया बहाल करते हुए डाक्टर्स को ही उसमे पराधीन रखा जाय। क्योकि डाक्टर्स की दिक्कत और पीडा डाक्टर के अलावा नेता और प्रशासन के लोग आईएएस आदि नही समझ  सकते है।

चिकित्सक समुदाय को संबोधित करते हुए अध्यक्ष डा0 एके गर्ग ने कहाकि इस बिल मे क्रासपैथो को बढावा दिया जा रहा है। जिसमे होमियोपैथिक, प्राकृतिक, यूनानी, आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से शिक्षित चिकित्सको को अंग्रेजी द्वारा लिखने की स्वतंत्रता होगी। ऐसे मे चार छ महिने का कोर्स करने वाला भी डाक्टर बन जाएगा।  मुख्य वक्ता आईएमए सचिव डा0 एस एन पाठक ने कहाकि बिल कि विसंगति तो देखिए कि विदेशी मेडिकल कॉलेज से शिक्षा प्राप्त ग्रेजुएट भारत मे निर्बाध प्रैक्टिस कर सकता है और भारत मे शिक्षा प्राप्त डाक्टर को लाईसेंस के लिए परीक्षा देनी होगी। जबकि उनके यहा बीमारी महामारी भिन्न-भिन्न है और शिक्षा पद्धति भी भिन्न-भिन्न है। सवाल किया कि सरकार ने जो क्वालिफाईग इक्जाम अब तक होता आया है अब उसे क्योंकि खत्म कर दिया गया। अन्य पैथी के डाक्टर्स के लिए भी कोई इक्जाम नही है, 6 महिने मे उन्हे अंग्रेजी डाक्टर बनाने की तैयारी है। आईएमए के प्रान्तीय पदाधिकारी डा0 नीरज त्रिपाठी ने कहाकि आश्चर्य की बात तो यह है कि इस बिल के आधार जाने से कोई भी व्यक्ति मेडिकल कॉलेज खोल सकता है। मनमानी फीस लेकर सकता है और साठ प्रतिशत सीट कालेज अपनी मर्जी से भरपूर सकता है। यह सीधे सीधे देश की जनता के साथ भ्रष्टाचार है। कहाकि देश मे चिकित्सा सेवा को चलाने के लिए जो त्रिस्तरीय चिकित्सा सेवा रही है। उसमे से प्राथमिक और सामुदायिक व्यवस्था तो ध्वस्त ही हो चुकी है। सत्तर वर्षो से इसे मुकम्मल करने की व्यवस्था नही हो सकी और आज एक कानून बनाकर इसे और बुरी स्थिति मे लाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। आईएमए के एक्जीक्यूटिव मेंबर डा0 एचपी सिंह ने कहाकि 21 राज्य मे से केवल पांच राज्य की भागीदारी इस बिल मे होगी। विश्वविद्यालयो की कोई भागीदारी नही रहेगी और निरंकुश मनमानी तौर पर केवल एडवाइजरी काउन्सिल मे विश्वविद्यालयो की राय ली जाएगी। सभी चिकित्सको ने कहा कि भारतीय चिकित्सा संघ शुरू से ही इसका विरोध कर्ता आया है और करेगा। लेकिन देश की जनता के स्वास्थ्य के साथ छलावा और खिलवाड़ तथा डाक्टरी पेशा और डाक्टर विरोधी इस कानून का विरोध करते रहेगा। बैठक के उपरांत चिकित्सको के प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी कार्यालय और केन्द्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के जनसंपर्क कार्यालय पहुंचकर पत्रक सौपा और एनएमसी बिल को भंग करने कि माग की।

इस अवसर पर डा0 पीसी विश्वकर्मा, डा0 एसके मुसददी, डा0 एके जैन, डा0 प्रग्या कसेरा, डा0 अनुराग कसेरा, डा0 नीरज त्रिपाठी, डा0 सीबी जायसवाल, डा0 जेएस गुप्ता, डा0 अमित अग्रवाल, डा0 अनिल श्रीवास्तव, डा0 मीना जैन, डा0 सीपी बरनवाल, ऋतु दुआ, डा0 अंजनी श्रीवास्तव आदि चिकित्सक मौजूद रहे।

 

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