धर्म संस्कृति

प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है इन्हें तराश कर आगे लाने की आवश्यकता: अनुप्रिया पटेल

0 डैफोडिल्स पब्लिक स्कूल मे संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित संभागीय शास्त्रीय संगीत प्रतियोगित का किया उदघाटन
ब्यूरो रिपोर्ट, मिर्जापुर। 
       प्रतिभाओं को प्रतियोगिता में धबराने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए खुद का खुद से प्रतियोगी बने किसी और से प्रतियोगिता निराशा की जनक हैं। विन्ध्य क्षेत्र के मीरजापुर जनपद को उत्तर प्रदेश में सांस्कृतिक आयोजनों के सबसे बड़े मंच उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी ने बहुत बड़ा अवसर दिया है जो कि नूतन प्रतिभाओं को कला व संगीत के क्षेत्र में नयी उचाईयॉ प्रदान करेगा। विन्ध्य मण्डल में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है इन्हें तराश कर आगे लाने की आवश्यकता मात्र हैं। हार- जीत से कोई बड़ा छोटा नही होता योग्यता को सही मंच पर सही वक्त पर दुनिया सलाम करती हैं। हमारे क्षेत्र से भारतीय संस्कृति और सभ्यता का बहुत पुराना नाता हैं। गीत संगीत और शास्त्रीय विधाओं के राष्ट्रीय एंव अन्तर्राष्ट्रीय कलाकार सम्भाग ने दिये हैं। सम्भागस्तर के इस अनूठे आयोजन से छिपी हुई प्रतिभाए सामने आएगी। संगीत व नृत्य के क्षेत्र में प्रदेश के उदीयमान प्रतिभा सम्पन्न अव्यवसायिक बाल, किशोर एंव युवा कलाकारों की खोज के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी ने ‘शास्त्रीय संगीत प्रतियोगिता’ का वार्षिक आयोजन 1975 से प्रारम्भ किया जो अनुकरणीय हैं मीरजापुर में अकादमी का कदम स्वागत योग्य हैं। सांस्कृतिक क्षेत्र में यह नई क्रांति है। संगीत ही तनाव को दूर करता हैं और योग साधना को भी संगीत के रस से और मजबूत होता हैं। संगीत स्वंय में साधना की मूल पर्यायवाची हैं। उक्त उद्गार केन्द्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने लोहिया तलाब स्थित डेफोडिल्स पब्लिक स्कूल के सभागार में संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित संभागीय शास्त्रीय संगीत प्रतियोगित के उदघाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया।
विशिष्ट अतिथि नगरपालिका अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने कहा कि मीरजापुर संगीत और कला के क्षेत्र में पूर्व से आगे रहा हैं। प्रतिभाओं को उचित मंच का अभाव झेलना पड़ा हैं। जिससे प्रतिभाओं का दमन होता रहा हैं। इन्हे आगे लाने का यह जो प्रयास किया गया प्रेरणा दायक हैं। मीरजापुर में विन्ध्य महोत्सव, चैती महोत्सव, व नवरात्र महोत्सव, अपनी अलग पहचान रखते हैं। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में यह अनोखी पहल हैं।
विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी विमल कुमार दूबे ने कहाकि संगीत हमारी प्राण हैं भारत की सांस्कृतिक सभ्यता की धुरी हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा छोटे व पिछड़े जनपदों में कलाकारों के उदभव के क्रम में आयोजित किये जा रहे ऐसे आयोजन प्रशंसनीय हैं। मीरजापुर की अपनी एक सांस्कृतिक पहचान हैं यहॉ के लोक गीत कजली को अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हैं। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में कलाकारों को उचित मंच न मिलने के कारण भटकना पड़ता था पर अब संगीत नाटक अकादमी, संस्कार भारती व समरसता विचार मंच जैसी संस्थाओं के माध्यम से इनमें कमी आयेगी और उन्हे अच्छे अवसर मिलेगें। भारी मात्रा में आयी इन प्रतिभाओं को देखकर स्पष्ट है कि योग्यता की हमारे यहॉ कोई कमी नहीं हैं।
अपर मण्डलायुक्त सूर्यमणी लालचन्द ने कहा कि प्रतिभा खोज कार्यक्रम को अधिक व्यापक बनाने की दृष्टि से इस प्रतियोगिता को दो चरणों में बॉटा गया हैं। पहले चरण में यह प्रतियोगिता प्रदेश के 18 मण्डल मुख्यालयों  में संभागीय स्तर पर तथा दूसरे चरण में यहॉ से विभिन्न-विषयों एंव वर्गो में प्रथम स्थान प्राप्त प्रतियोगियों को प्रादेशिक स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता में सम्मिलित होने का मौका देगी जिससे प्रतिभागीयों को सामने आने वाली चुनौतियों का डटकर मुकाबला करने की प्रेरणा भी मिलेगी। संस्कृति मंत्रालय की इस पहल पर पिछड़े जिलो मे भी छिपी प्रतिभाए निखर कर सामने आयेगी। यह प्रतियोगिता सम्भागीय स्तर पर भिन्न-भिन्न वर्गो में भिन्न-भिन्न विषयों पर मिर्जापुर, सोनभद्र व भदोही जनपदों के लिए आयोजित की गयी हैं। विन्ध्याचल मण्डल में यह कार्यक्रम पहली बार इस स्तर पर आयोजित हुआ हैं। मै पूर्व में संस्कृति मंत्रालय का विशेष सचिव रहते हुए अकादमी के सचिव के रूप में अपनी सेवाए दे चुका हूॅ। अकादमी के इन बढ़ते हुए कदम से प्रतिभाए निखरेगीं।  प्रतियोगिता बाल, किशोर एवं युवा वर्ग के लिए गायन में ख्याल-तराना, ध्रुपद-धमार, ठुमरी-दादरा, तन्त्र वाद्य में वीणा, सितार, गिटार, मेण्डोलियन एवं संतूर, गज वाद्य में वायलिन, सारंगी, इसराज एवं दिलरूबा, सुषिर वाद्य में बांसुरी, शंहनाई तथा क्लैरनेट, अवनद्ध वाद्य में तबला,  पखावज, नृत्य में कथक  की प्रतियोगिताए आयोजित की गयी। विभिन्न वर्ग व विषयों में 36 प्रतिभागियों ने हिस्सेदारी की।
आयोेजन की सहयोगी संस्था संस्कार भारती व समरसता विचार मंच तथा डेफोडिल्स पब्लिक स्कूल रहें। उदघाटन के पूर्व मॉ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरूआत की। उन्होने अतिथियों का स्वागत चुनरी श्रीफल व गीता देकर किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कार भारती के प्रांत अध्यक्ष डॉ गणेश प्रसाद अवस्थी तथा संचालन कार्यक्रम के सम्भाग संयोजक शैलेन्द्र अग्रहरी तथा धन्यवाद ज्ञापन समरसता विचार मंच के सचिव समीर अहमद रिजवी ने की। इस दौरान डेफोडिल्स पब्ल्कि स्कूल के निदेशक अमरदीप सिंह, संस्कार भारती के अध्यक्ष राजपती ओझा, सचिव विन्ध्यवासीनी प्रसाद केसरवानी, राहुल बरनवाल, सन्तोष उमर, निखिल गुप्ता, महेश्वर पति त्रिपाठी, पी0के0 नारंग, विक्की जैकब, अशोक तिवारी, रवि शंकर उमर, अजीत साहू, अफाक अहमद, ज्ञानचन्द्र गुप्ता, विजय गुप्ता, विनय सिंह, प्रदीप जयसवाल, विष्णु मालवीय, प्रमोद अग्रवाल, शंकर राय, अमित श्रीनेत, अरविन्द अवस्थी, अतुल चढ्ढा, दीपाली गुप्ता, उपस्थित रहे। निर्णायक मण्डल में भातखण्डे विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार मीरा माथुर, कानपुर विश्वविद्यालय के संगीत शिक्षक डॉ0 आर0 के0 त्रिपाठी, लखनऊ के नृत्य विशेषज्ञ हिमांशु शुक्ला व अकादमी के प्रतिनिधि सौरभ सक्सेना, शामिल रहें।
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