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भव्य कालीन मेले को लेकर सीईपीसी की तैयारिया पूरी, 10 से वाराणसी मे होगा तीन दिवसीय शुभारंभ

0 350 बायर और 500 विदेशी प्रतिनिधियो के आने की संभावना: चेयरमैन सिद्धनाथ सिंह
0 10 से 13 अक्टूबर तक वाराणसी के संस्कृत विश्वविद्यालय में कारपेट एक्सपो लग रहा है
ब्यूरो रिपोर्ट, मिर्जापुर। 

                 अन्तर्राष्ट्रीय भव्य कालीन मेला इस वर्ष एक बार फिर 10 अक्टूबर से वाराणसी में लगने जा रहा है। कालीन निर्यात संवर्द्धन परिषद (सीईपीसी) कई दशक से वर्ष में दो बार कारपेट एक्सपो (कालीन मेला) पहला दिल्ली में और दूसरा वाराणसी में, के माध्यम से भारतीय कालीन की पकड़ पहुंचे और साख दुनिया भर के बाजारों में बनाने के लिए प्रयासरत है। नए बायरों की तलाश यहां के निर्यातकों को इसी कारपेट एक्सपो के माध्यम से रहती है।

कालीन दरी उद्योग का एक दौर वह भी रहा जब मीरजापुर, भदोही, वाराणसी बेल्ट को इसने काफी समृद्ध कर दिया। इस घरेलू उद्योग ने यहां की बेरोजगारी दूर की परन्तु फिर खौफनाक दौर इसका बाल बंधुआ मजदूर को लेकर आया। बचपन बचाने की जो डुगगुनी पीटी गई इसमें करीब-करीब यह कुटीर उद्योग समाप्त प्रायः ही हो गया। विदेशों में भारतीय हैण्डमेड कारपेट की साख गिर गई यहां के कालीन गोदामों की शोभा बनकर रह गया। कालीन बुनकरों का पलायन होने लगा। वे महानगरों मे जाकर कारीगर से मजदूर बन गए, लेकिन उस काले दौर का सीईपीसी के बैनर तले यहां के कालीन निर्माताओं ने डटकर सामना किया। कुछ सरकारी सहयोग भी मिला।

कारपेट एक्सपो के माध्यम से नये बाजार मिले। भारतीय गलीचे को फिर से वही पुरानी मान्यता मिलने लगी लेकिन तब तक चीन आदि देश मशीनमेड कालीन लेकर बाजार में आ गये जो अपेक्षाकृत सस्ता और शीघ्र निर्मित हो जाता है जबकि हस्तनिर्मित कालीन को बनाने में अधिक समय व श्रम लगता है। लेकिन इसकी गुणवत्ता काफी बेहतर होती है। ऐसे में कालीन निर्यातकों ने भारत सरकार से गुहार लगायी, कुछ सहयोग की उम्मीद की, संस्था की कुछ पुकार सुनी भी गयी। भारतीय कालीन फिर से विदेशी बाजारों में उठ खड़ा हुआ, परन्तु इसी बीच विश्व के प्रमुख देशों में आर्थिक मन्दी छा गयी और अब अनेक राष्ट्रों में शीतयुद्ध वाली स्थिति है कुछ गरम मिजाज वाले राष्ट्र आग उगल रहे हैं। वहीं वर्तमान मोदी सरकार ने जीएसटी का ढोल बजा दिया, जिसका सीधा प्रभाव कालीन दरी उद्योग पर पड़ा है। निर्यातकों ने विरोध प्रदर्शन के माध्यम से भारत सरकार से काफी गुहार लगायी लेकिन बात बनी नहीं। खैर नये बायरों के तलाश में 10 से 13 अक्टूबर तक वाराणसी के संस्कृत विश्वविद्यालय में एक बार फिर कारपेट एक्सपो लगने जा रहा है।

सीईपीसी के प्रथम संस्थापक अध्यक्ष और प्रथम उपाध्यक्ष एवं कालीन एवं हस्तशिल्प कौशल विकास परिषद के अध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह ने बताया कि 7000 वर्ग मीटर में यह कालीन मेला लगेगा। 350 बायर (आयातक) और 500 विदेशी प्रतिनिधियों की सहमति मिलने में आने की मिली है। देश भर से करीब 350 निर्यातक भी अपने उत्पाद लेकर आ रहे हैं। मेले का उद्घाटन केन्द्रीय कपड़ा राज्यमंत्री अजय टमटा करेगें। इस अवसर पर केन्द्रीय वस्त्र सचिव आईएएस अनन्त कुमार सिंह, आयुक्त हस्त शिल्प आईएएस शान्तमनु आदि वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहेगें।

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