ब्यूरो रिपोर्ट, मिर्जापुर (अहरौरा)। प्राचीन अहरौरा मंडी व्यापारिक उन्नति और मंदिरों के लिए जाना जाता था। व्यापार तो छोटी मंडियों और चट्टी के कारण उखड़ चुके हैं लेकिन मंदिर आज भी अहरौरा की भव्यता के इतिहास को बयान करते हैं। मंदिरों में राधाकृष्ण मंदिर, बड़े हनुमानजी, भण्डारी देवी, दुर्गा मंदिर पोखरा आदि में छप्पन भोग लगे जिसमें आज पड़ी, सब्जी और हलुआ का वितरण किया जा रहा है। प्रसाद पाने पाने के लिए जनता में होड़ है। प्रसाद का स्वाद ऐसा होता है कि जो भी ग्रहण करता है वो धन्य हो जाता है क्योंकि पूरे वर्ष ऐसा प्रसाद कहीं मिलता नहीं है।
दूसरी ओर महिलाएं अपने भाई की लम्बी उम्र के लिए झुंड बनाकर गोबर्धन पूजा किया और उनकी आयु जोड़ते हुए दीर्घायु की कामना की। जिसके बाद भैया दूज बनी और अपने अपने भाईयों को चना मिठाई खिलाकर और टीका लगाया। धर्म के प्रति आस्था से मानसिक शांति का अनुभव होता है वहीं इस पूजा के बाद विवाहित महिलाओं को मायके में अपने परिजनों से मिलने का मौका भी मिल गया, जो पारिवारिक संगठनों को मजबूत भी करता है और अहरौरा में आज यही हो रहा है।