ब्यूरो रिपोर्ट, मिर्जापुर (अहरौरा)।
जब भरत मिलाप का समय आता है तब प्रशासन के हाथ पाँव कम से कम अहरौरा में फूलने लगता है। जनपद मिर्जापुर का अतिसंवेदनशील इस क्षेत्र को माना जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण इन त्योहारों पर भूतकाल में हुए साम्प्रदायिकता के भाव रहे हैं। पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रशासन पीस कमेटी की बैठक वार्ता के आधार पर स्वयं को मजबूत कर लेती है लेकिन सावधानियां बरतने में चूक नहीं करती है। कई अन्य थानों से फोर्स आती है। पीएसी होती है और नियत स्थान जो संवेदनशील रहे हैं, उनकी पूरी घेराबंदी की जाती है और मकानों के छतों पर संगीनों संग फोर्स होती है। तब गुजरता है पुष्पक विमान जिसपर पुरूषोंत्तम भगवान राम, मां जानकी, भ्राता लक्ष्मण और हनुमानजी सहित पूरी सेना रहती है। ताजिया गंगा जमुनी संस्कृति पर निकलती थी लेकिन आरोप प्रत्यारोप के बीच यह भी समाप्त होने को है क्योंकि चौक बाजार में ताजिए निकलने के समय पूरे चौक में लाइट बंद करके एक सम्प्रदाय के लोग अपने अपने घरों में रहते हैं। दुर्गा विसर्जन के समय भी संगीनों का साया बना रहता है क्योंकि युवाओं में भक्ति का भाव शक्ति के भाव में बदल जाता है। इसको नियंत्रित करना प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य होता है।
ऐसे में आधुनिक भक्ति काल में नशाखोरी पर नियंत्रण और साम्प्रदायिक भाव वाले व्यक्तियों को चिन्हित करके नियंत्रित करना प्रशासन की सफलता का कारण बनता है।पर अफवाहों की निगरानी करना सबसे बड़ी बात होती है। अहरौरा में इन कार्यक्रमों की सफल सम्पादन कराना ही सफल नेतृत्व का परिचायक होता है।