जनता की सोच: हरिकिशन अग्रहरी की कलम से
लगातार चौथी बार अहरौरा नगरपालिका के चेयरमैन पद को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित करने का एक शासनादेश ह्वाट्सएप्स पर तैर रहा है। अधिकारी जनता को कारण और इस आदेश की सच्चाई अभी बता पाने में असमर्थ हैं तो क्या यह फर्जी है लेकिन न जाने कितने समाचार ऐसे ही कागजों के आधार पर बन और छप चुके हैं। अगर यह सच्चाई है तो शांत बैठी जनता का धारा 151 में चालान जैसा है। फिर जनता को कैसे महसूस हो कि वाकई हम आजाद है जहाँ उसके दर्द को समझने वाला कोई नहीं हो सकता है। अगर यह मजाक है तो जनता कड़े शब्दों में मजाक करती है तो लोगों को बुरा क्यों लगता है। कड़े शब्दों का मजाक दर्द में की जाती है और जनता दर्द में है।
अगर यह सही है तो आगे के बीस साल तक पिछड़ी जाति के लिए और इसके आगे बीस साल सामान्य जातियों के लिए नगरपालिका अहरौरा का चेयरमैन मैन पद आरक्षित रहेगा, ऐसा लिखित आश्वासन देने वाला कोई है? अहरौरा की बुद्धिजीवी जनता का मजाक मत बनाईये। सोचिए, संवेदनशील बनीऐ और न्याय करिये, शांत प्रकृति से खिलवाड़ का मानव सभ्यता परिणाम भुगत रही है और शांत बैठी अहरौरा की जनता से खिलवाड़ करने की भूल की जा रही है। अब सच्चाई समय से पहले आये और जनता को न्याय मिले, बस।