जन सरोकार

पूर्व केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा, “आजादी के 70 साल बाद भी एससी-एसटी के जीवन में खास बदलाव नहीं

 

० अत: इनके राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए लोकसभा व विधानसभाओं में सीटों का आरक्षण जरूरी”

० हर दिन एससी-एसटी वर्ग की कोई बेटी दुष्कर्म की घटना का शिकार हो रही है:अनुप्रिया पटेल
० शिक्षण संस्थानों में कास्ट बेस्ड डिस्क्रिमिनेशन की वजह से आत्महत्या कर रहे हैं एससी-एसटी वर्ग के छात्र : अनुप्रिया पटेल
विमलेश अग्रहरि

“आजादी के 7 दशक के बाद भी अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति में जितना बड़ा परिवर्तन होना चाहिए था, वो नहीं हो पाया।“ पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने मंगलवार को लोकसभा में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग की विधानसभाओं और लोकसभा में सीटों के आरक्षण की अवधि को 10 वर्ष बढ़ाने के उद्देश्य से 126वां संविधान संशोधन विधेयक पर अपनी बात रखते हुए यह विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आज इस बिल के पास हो जाने से एससी-एसटी वर्ग का 10 वर्षों के लिए संसद और विधानसभाओं में आरक्षण बढ़ जाएगा। लोकसभा की 131 और विधानसभाओं की 527 सीटें पुन: आरक्षित हो जाएंगी। इस बिल को लाने के लिए मैं सरकार का अभिनंदन करती हूं।
श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने इस अवसर पर आरक्षण के जनक “founder of modern Day reservation” छत्रपति शाहू जी महाराज को नमन करते हुए कहा कि छत्रपति शाहूजी महाराज ने 26 जुलाई 1902 में अपने राज्य कोल्हापुर में ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए वंचित समाज को 50 परसेंट का शासन प्रशासन में आरक्षण दिया।
श्रीमती पटेल ने कहा कि आज भी अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के साथ हर क्षेत्र में भेदभाव हो रहा है। सरकारी नौकरियों में स्पेशल रिक्रूटमेंट ड्राइव के बाद भी बैकलॉग पूरा नहीं हो पा रहा है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2007-2017 के बीच एससी-एसटी के खिलाफ अपराध में 66 परसेंट की वृद्धि हुई है। हर दिन एससी-एसटी वर्ग की कोई बेटी दुष्कर्म की घटना का शिकार हो रही है। देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में कास्ट बेस्ड डिस्क्रिमिनेशन के कारण एससी-एसटी वर्ग के छात्र-छात्रायें आत्महत्या कर रहे हैं।
देश के विश्वविद्यालयों में एससी-एसटी के लोग एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नहीं है तो कभी कोई एससी-एसटी कुलपति बनेगा इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
एससी-एसटी समाज के बच्चे अपने जीवन की तमाम विषमताओं को झेलकर भी आज राज्यों की प्रतियोगी परीक्षाओं में ज्यादा कट ऑफ अंक प्राप्त कर रहे हैं। दिल्ली सरकार की शिक्षकों की नियुक्ति में एससी कैंडिडेट का कट ऑफ 85.4 परसेंट तो सामान्य कैंडिडेट का कट ऑफ 80.9 परसेंट रहा। फिर भी एससी-एसटी भेदभाव का सामना करते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में इनके हित की आवाज उठाने के लिए इन वर्गों का राजनीतिक सशक्तिकरण जरूरी है। संसद और विधानसभाओं में आरक्षित सीटों की व्यवस्था को बहाल करके हम इनकी आवाज को मजबूती से सरकारों तक पहुंचा सकते हैं। आज इस बिल के पास हो जाने से एससी-एसटी वर्ग का आरक्षण 10 वर्षों के लिए संसद और विधानसभाओं में आरक्षण बढ़ जाएगा। लोकसभा की 131 और विधानसभाओं की 527 सीटें पुन: आरक्षित हो जाएंगी। इस बिल को लाने के लिए मैं सरकार का अभिनंदन करती हूं।

एंग्लो इंडियन कम्यूनिटी का समर्थन:
श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने कहा कि सरकार को संविधान निर्माण के समय से 2 एंग्लो इंडियन कम्यूनिटी के सदस्यों को लोकसभा और राज्यसभा में नामित करने की परंपरा को भी आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में एंग्लो इंडियन कम्यूनिटी भी अल्पसंख्यक के रूप में हैं, जो समाज जितनी कम संख्या में हो, उसकी आवाज उतनी ज्यादा मजबूती से उठनी चाहिए।

 

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