0 माँ विंध्यवासिनी धाम में सूर्य ग्रहण के चलते मां विंध्यवासिनी का कपाट बंद रहा
विमलेश अग्रहरि, मिर्जापुर।
श्रद्धालु गुरुवार को सूर्यग्रहण को देखते हुए विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए थे, जिससे श्रद्धालु मां के दर्शन नहीं कर पा रहे थे लेकिन दोपहर 1:30 बजे के बाद दर्शन पूजन पुनः सामान्य रूप से प्रारम्भ हो गया।
विंध्याचल सूर्यग्रहण के चलते देशभर के मंदिरों और धामों के कपाट बंद कर दिए गए थे इसी कड़ी में विश्व प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी मंदिर का भी कपाट बंद हो गया था| ग्रहण खत्म होने के बाद श्रद्धालु दर्शन पूजन कर अपनी मिन्नते पूरी कर रहे थे।
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सूर्यग्रहण के चलते ज्यादातर दुकानें विंध्याचल में बंद था। उस समय मंदिर पूरी तरह से खाली हो गया था। ग्रहण के समय पुरोहित और श्रद्धालु मंदिर परिसर में बैठकर पूजा अर्चना कर रहे थे। ग्रहण की वजह से कस्बे की सभी दुकानें भी बंद कर दी गई थी। मंदिर के कपाट बंद होने से मंदिर पर सिर्फ पाठ करने वाले पुरोहित और दर्शनार्थी मौजूद थे। इस बीच आए दूर-दूर से श्रद्धालु मां का दर्शन पूजन नहीं कर पा रहे थे।
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श्री विंध्य पंडा समाज के अध्यक्ष पंकज द्विवेदी का कहना रहा कि साल का अंतिम सूर्य ग्रहण गुरुवार को पड़ा है। सुबह 8:21 से सूर्य ग्रहण शुरू हो रहा है| इसका मध्य 9:40 बजे और मोक्ष 11:14 तक था। सूर्य ग्रहण के दौरान श्रद्धालुओं को गंगा स्नान और पूजा पाठ जप करना चाहिए ऐसा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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विंध्याचल में बुधवार की रात को 8 बजे से ही सूतक लग गया था। जिससे गर्भवती महिलाएं अपने पेट के ऊपर गाय के गोबर से गोंठ (लेप )ली थी ताकि उनके बच्चे पर इस ग्रहण का कोई असर न हो। इसी प्रकार से कुछ खाने वाले वस्तुओं में तुलसी के पत्ते डाल दिए गए थे ताकि ग्रहण से वह वस्तु अपवित्र न हो यही नहीं लोग कल से ही सूर्य ग्रहण की तैयारी कर लिए थे और नास्ता की तैयारी कर लिए थे। दोपहर में जब सूर्य ग्रहण खत्म हुआ तो उस समय लोग गंगा स्नान करने के बाद मंदिर दर्शन पूजन करने के लिए लोग मंदिर की तरफ जा रहे थे। वही मंदिर पर पुजारियों और स्थानीय लोगों ने सूर्य ग्रहण के समय लोग अपने इष्ट देवता को याद कर पूजा अर्चना करने में लगे हुए थे।
सूर्यग्रहण समाप्त होने पर ग्रहण किया अन्न जल
लालगंज क्षेत्र में सुर्य ग्रहण लगते ही मंदिरों में होने लगे भजन व कीर्तन नवयुवाओं में आस्था के प्रति जागरूकता दिखाई दिया। नवयुवक मंदिर में भजन कीर्तन गाते दिखाई दिये। लोगों ने बताया कि सुर्य ग्रहण समाप्त होने पर ही अन्न जल ग्रहण किया गया। इस वर्ष का यह अंतिम ग्रहण रहा। पंडित शिवशंकर दुबे ने बताया कि ग्रहण लगने के बारह घंटे पहले सूतक लग गई थी, इस अवधि में अन्न जल ग्रहण नहीं करना चाहिए। वैसे इस अवधि में बच्चे बुढ़े व मरीजों के लिए सास्रतो मे भी कुछ भी खाने का वर्जीत नहीं रहा।
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