विमलेश अग्रहरि
डजिटल डेस्क, मिर्जापुर।
भारत के उत्थान के प्रतीक डॉ भीमराव अम्बेडकर की 119 वीं जयंती इस वर्ष लॉकडाउन के बीच सादगी के साथ मनाई गई । न शोर-शराबा, न भारी भरकम मंच-जलसा और न फूलों से महिमामण्डित मेहमान और मेजबान दिखे। जिसके मन-मस्तिष्क में अंबेडकर के विचारों की खुशबू थी, उसने कोरोना के चलते कड़े प्रतिबन्धों के कारण निहायत सादगी से बाबा साहब की जयंती मनाई।
संभागीय परिवहन विभाग ने आरटीओ कार्यालय में डॉक्टर अंबेडकर की जयंती मनाई। अंबेडकर के मध्यमार्गी व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला गया। वे पंथ और धर्म में बांट गए अंग्रेजों की नीति को भारतीय समाज के लिए घातक मान रहे थे। आरटीओ डॉ आर के विश्वकर्मा ने कहा कि वे पूरे भारतीय समाज के मसीहा थे। वे वंचितों को आगे लाने के हिमायती थे। आरटीओ (प्रवर्तन) ओपी सिंह ने उनके महिलाओं तथा बच्चों के उत्थान के लिए किए गए प्रयासों का विशेष रूप से उल्लेख किया। इस अवसर पर एआरटीओ प्रशासन रविकांत शुक्ल ने कहाकि देश के विकास का पहिया तेज दौड़े इसके लिए डाक्टर अंबेडकर ने प्रखर अर्थशास्त्री के रुप में चिंतन-मनन किया।
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