ज्ञान-विज्ञान

विश्व पृथ्वी दिवस:  जिला विज्ञान क्लब की ओर से बाल वैज्ञानिकों के साथ किया गया वर्चुअल का आयोजन

मिर्जापुर।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित जिला विज्ञान क्लब मिर्जापुर एवं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस द्वारा आज पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल का आयोजन ऑनलाइन किया गया। जिसमें जनपद के विभिन्न विद्यालयों के बाल वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। इसमें विषय विशेषज्ञ के रूप में सुशील कुमार पांडे जिला समन्वयक जिला विज्ञान क्लब मिर्जापुर, गुलाब चंद तिवारी पूर्वl प्रवक्ता जीव विज्ञान, वनस्पति शास्त्री ए.सी मिश्र,कृषि वैज्ञानिक आर के आनंद रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत में आज जिला विज्ञान क्लब के कैंप कार्यालय में जिला समन्वय के साथ बाल वैज्ञानिक आयुष प्रिंस यथार्थ ने वृक्षारोपण कर पृथ्वी ग्रह को बचाने का संकल्प लिया। जिला समन्वयक सुशील कुमार पांडे ने पृथ्वी दिवस के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी जिला संयोजक ने कहा कि यह दिवस अमेरिकी सीनेटर गिलार्ड नेल्सन ने 1970 ईस्वी में पृथ्वी दिवस की स्थापना पर्यावरण शिक्षा के रूप में की थी। यह एक महान पर्यावरण विद थे।
इसके बाद से पृथ्वी दिवस मनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। 22 अप्रैल को दुनिया भर में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है इस वर्ष पृथ्वी दिवस का 1 का 51 वर्ष है। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक बनाना है इस साल पृथ्वी दिवस की मुख्य थीम रिस्टोर अवर अर्थ है। आधुनिक समय में जिस तरह से मृदा अपरदन हो रहा है और प्रदूषण फैल रहा है इनमें पृथ्वी का ह्रास हो रहा है ऐसे में पृथ्वी की गुणवत्ता, पूर्व रखता और महत्ता को बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण और पृथ्वी को सुरक्षित रखने की जरूरत है। अपने संघर्ष में हम उन चीजों को भूल जाते हैं जो हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है। विषय बताता है कि हमें ग्राहकों पुनर्स्थापित करने और दुनिया के पारिस्थितिक तंत्र के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। अब दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही है इसलिए ग्लोबल वार्मिंग के विषय पर एक बार फिर से नजर डालने की आवश्यकता है। विश्व पृथ्वी दिवस को वैश्विक जलवायु संकट के प्रति जागरूकता लाने के लिए प्रतिवर्ष मना रहा है।
    जीव विज्ञानी गुलाब चंद तिवारी ने बाल वैज्ञानिकों को बताया कि पृथ्वी पर अक्सर उत्तरी ध्रुव की ठोस बर्फ का कई किलोमीटर तक पिघलना, सूर्य की पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक आने में रोकने वाली ओजोन परत में छेद होना, भयंकर तूफान सुनामी और कई प्राकृतिक आपदाओं का होना जो भी रहा है इन सब के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है।     वनस्पति शास्त्री केसी मिश्रा ने बाल वैज्ञानिकों का उत्साहवर्धन करते हुए बताया कि ग्लोबल वार्मिंग के रूप में जो आज हमारे सामने हैं यह आपदाएं पृथ्वी पर ऐसी ही होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी से जीव जंतु और वनस्पतियां समाप्त हो जाएंगे। जीव जंतु अंधे हो जाएंगे लोगों की त्वचा झुलसने लगेगी कैंसर के रोगियों की संख्या बढ़ती जाएगी। कृषि वैज्ञानिक आरके आनंद ने बताया कि बीसवीं शताब्दी के आरंभ से ही पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी की शुरुआत हो गई थी। पृथ्वी के तापमान में पिछले 100 सालों डिग्री सेल्सियस तापमान की वृद्धि हो चुकी है। पृथ्वी के पर्यावरण को बचाने के लिए हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम पॉलिथीन के उपयोग को नकारे, कागज का इस्तेमाल कम करें और री साइकिल प्रक्रिया को बढ़ावा दें क्योंकि जितनी ज्यादा खराब सामग्री तेरी साइकिल होगी उतना ही पृथ्वी पर कचरा कम होगा।
जिला संयोजक सुशील कुमार पांडे ने ग्लोबल वार्मिंग के बारे में बताते हुए कहा कि पृथ्वी के वातावरण में जो वायुमंडल है, जिसमें विभिन्न प्रकार की कैसे हैं जिसमें ऑक्सीजन की मात्रा 21% है जो हमारे लिए अति आवश्यक है, यदि पृथ्वी के टेंपरेचर में इस तरह अप्रत्याशित वृद्धि होती रही तो वह दूर वह दिन दूर नहीं है कि हमें ऑक्सीजन गैस का सिलेंडर लेकर चलना होगा, यहां पर उपस्थित वायुमंडल में गैस से पृथ्वी से पलायन कर जाएंगे । पृथ्वी पर पलायन वेग लगभग11.2 किलोमीटर प्रति घंटा है, यदि पृथ्वी के वायुमंडल में उपस्थित गैसों का उसमें बैग भी पलायन वेग के बराबर हो जाएगा तो पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं हो सकेगा, परंतु अभी यह लगभग उष्मीय बैग 2.5 किलोमीटर पर घंटा है, तापमान में वृद्धि होने पर इसका मान बढ़ता जाएगा , अतः हमें आने वाले समय में भविष्य के लिए वृक्षारोपण, जल संरक्षण, स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी । कार्यक्रम के अंत में सभी बाल वैज्ञानिकों को पृथ्वी ग्रह के संरक्षण की शपथ दिलाई गई। इस वर्चुअल आयोजन में उर्मिका पांडे, प्रियांशु अग्रहरी, आयुश अग्रहरी ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया।
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