मिर्जापुर।
भाप लेने वाली नेबुलाइजर मशीन उपलब्ध ना होने पर नव प्रवर्तक एवं बाल वैज्ञानिक रोहित मौर्य ने जुगाड़ द्वारा नेबुलाइजर मशीन बनाया है। जिला विज्ञान क्लब द्वारा समर्थित कलाम इन्नोवेशन लैब अहरौरा के बाल वैज्ञानिक रोहित मौर्य की दादी को भाप लेने के लिए मशीन उपलब्ध ना होने पर जुगाड़ द्वारा भाप लेने की मशीन, जो ग्रामीण इलाकों में आसानी से उपलब्ध हो सकती है, को बनाया है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार यदि हम भारतीय केवल 10 दिनों तक तीनो समय केवल सादे पानी के भाप का सेवन करते रहे, तो कोरोना 99% तक समाप्त हो सकता है। रोहित मौर्या द्वारा किया गया प्रयोग निम्न वत है। जिला समन्वयक सुशील कुमार पांडे के अनुसार रोहित का यह जुगाड़ मशीन ग्रामीण इलाके में खांसी जुखाम वाले मरीजों को भाप लेने में बहुत सहज और सुलभ हो सकता है। जिसे हर कोई अपने घरो में बना सकता है।
रोहित मौर्य ने इस मशीन को कुछ सामग्रियों की सहायता से बनाया है। जिसमे नेबुलाइजर मसीन में उपयोग होने वाले माउथ होल्डर, एक नोजल और कुकर की सहायता से बनाया है। माउथ होल्डर की पाइप में एक नोजेल को सेट कर दिया। जिससे जरूरतमंद को जितनी मात्रा मे स्टीम चाहिए वह उसे कम या तेज करके उतनी मात्रा में स्टीम ले सके। फिर उसके आखिरी छोर को एक कूकर की सिटी में वाले छिद्र में जोड़ दिया। इस तरह पूरा जुगाड़ बना दिया है।
बाजार में मिलने वाले नेबुलाइजर मशीन 3 से 5 हजार के बीच मे मिलते है और यह हर जगह मिलता भी नही है परंतु रोहित का यह जुगाड़ मात्रा 150 रुपए में बनाकर तैयार हो गया है। बस कुकर में थोड़ा सा पानी लेकर कुछ समय तक गर्म कर दिया जाता है। जिससे कुकर के अंदर भाप एकत्रित हो जाय है और नोजेल को अपनी जरूरत और सहनशक्ति के अनुसार भाप लेना शुरू कर सकते है।
पारंपरिक तरीके से गर्दन को झुकाकर भाप लेना ना तो बुजुर्गों के लिए और न तो किसी और के लिय आरामदेह नही होता। रोहित के इस जुगाड़ से हम कोई भी बैठकर, लेटकर अथवा किसी भी तरीके से आसानी से भाप को लिया जा सकता है।