विन्ध्याचल।
बुधवार को मां विंध्यवसिनी मन्दिर पर वार्षिक घटाभिषेक किया गया। सुबह 10 बजे तक दर्शन पूजन का कार्यक्रम होता रहा जिसके बाद विंध्य पंडा समाज के तरफ गंगाजल माँ विंध्यवसिनी के चरणों समर्पित करके मन्दिर की धुलाई शुरू की गई। प्रत्येक वर्ष चैत्र पूर्णिमा के बाद अगले दिन माँ विंध्यवसिनी मन्दिर की धुलाई की जाती है जिसमे पूरे विन्ध्याचल के नागरिक सम्मिलित हो कर मिट्टी के घड़े से गंगा जल ला कर गर्भगृह सहित पूरे मन्दिर की धुलाई की गती। इसमें विंध्य पंडा समाज सहित सर्व समाज के लोग सम्मिलित हुए और बड़े ही आस्था से यह कार्यक्रम वर्ष में सम्मिलित होता है।
बुधवार को भी पंडा समाज के लोग ओर नगर विधायक ने पक्का घाट से गंगा जल लाकर मा के चरणों मे समर्पित किया जिसके बाद 12 बजे तक सैकड़ो की संख्या में लोग मन्दिर की धुलाई किये। बता दे कि मन्दिर के उत्तर दिशा में पक्का घाट स्थित है जहाँ से विन्ध्याचल वासी पहुचते है और गंगा स्नान करने के बाद मिट्टी के घड़े का पूजन करते है जिसमे रोली , रक्षा, माला- फूल, धूप, कपूर इत्यादि पूजन सामग्री से पूजन करने के बाद मा के जयकारे लगाते हुए मन्दिर पहुचते है और माँ के चरणों मे गंगा जल समर्पित करने के पश्चात पूरे मंदिर की धुलाई करते है।
लोग अपने आस्था और समर्थ के अनुसार 1 से लेकर 21 घड़े तक जल ला कर मन्दिर पर धुलाई करते है , इस कड़े धूप में भी आस्था इतनी होती है कि घाट से मंदिर तक नंगे पांव आ कर मन्दिर की धुलाई करते है।
रात मे हुई वार्षिक पूजन
मंदिर के धुलाई के पश्चात 12 से 1.30 बजे तक माँ का आरती के लिए कपाट बंद हुआ, उसके बाद भक्तो के लिए मन्दिर खोल दिया गया। शाम को 6 बजे से विशेष वार्षिक निकारी पूजन किया गया, जिसमे पूरे क्षेत्र से लोग सम्मिलित हुए और विशेष पूजन सामग्री का प्रयोग किया गया। ढोल नगाड़े सहनाई से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो गया। इस बार विंध्य पंडा समाज इस पूजन के माध्यम से उस कोरोना महामारी के सर्वनाश के लिए पूजन किया।
कोविड के नियमो का पालन कर हुई धुलाई
इस बार कोविड के गाइडलाइन का पालन करते हुए मन्दिर की धुलाई की गई जहा हर वर्ष भारी भीड़ होती थी वही इस बार पंडा समाज ने एक घर से एक ही लोग को आने का निवेदन किया था और शोसल डिस्टनसिंग का पालन करते हुए मन्दिर की धुलाई की गई ।