मिर्जापुर।
वर्तमान समय में जनपद के क्षय रोग विभाग द्वारा कोरोना के इस जोखिम भरे माहौल में पूरे कर्तव्य निष्ठा के भाव से जनपद में टीबी मरीजों के हित को देखते हुए भिन्न-भिन्न सहयोगी कार्य को करने में लगा है।
विभाग के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर सतीश शंकर यादव द्वारा कहा गया कि सर्दी,जुखाम, खांसी, बुखार के लक्षण करोना में भी पाए जाते हैं और टीबी में भी, इसलिए कोरोना के इस दौर में वैसे तो सभी को सतर्कता बरतनी चाहिए लेकिन टीबी (क्षयरोग) के उपचाराधीनों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता है, विशेष कर उन्हें जो पहले से ही फेफड़े की समस्या से जूझ रहे हैं, क्योंकि क्षय रोग में रोग प्रतिरोधक क्षमता पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है, ऐसे में संक्रमण का खतरा सामान्य मरीजों से अधिक हो जाता है।
सतीश यादव द्वारा बताया गया कि कोरोना की दूसरी लहर का स्ट्रेन कमजोर रोग प्रतिरोधक वाले लोगों को ज्यादा प्रभावित कर रहा है, ऐसी स्थिति में टीबी मरीजों में संक्रमण का खतरा अन्य लोगों से कई गुना अधिक हो जाता है।
उन्होंने अपने सुझाव में कहा कि उपरोक्त स्थिति को देखते हुए टीबी मरीज को बहुत आवश्यकता हो तभी घर से बाहर मांस्क या रुमाल या गमछा से अपने मुंह व नाक को अच्छी तरह से ढक कर ही बाहर निकलना चाहिए, साथ ही साथ शारीरिक दूरी को भी कायम रखना आवश्यक बताया, उनके द्वारा बताया गया कि एक टीबी रोगी के खांसने के दौरान ड्राफ्ट लेट युक्त टीबी बैक्टीरिया हवा में समाहित होते हैं जो कईयों को संक्रमित कर सकते हैं, ऐसी स्थिति में यदि वह संक्रमित हो गया तो संक्रमण बड़े स्तर पर फैलाने में सहायक सिद्ध हो सकता है, इसलिए इस प्रकार के किसी भी संक्रमण को वृहद रूप से फैलने से रोकने हेतु मांस्क, गमछा या रुमाल का उपयोग करना अत्यंत जरूरी होता है,
यादव द्वारा बताया गया कि जनपद में वर्तमान समय में 2258 टीबी मरीज उपचाराधीन है, जिसमें 106 मरीज एमडीआर टीबी श्रेणी के भी सम्मिलित हैं, इन सभी मरीजों का ब्लॉक स्तर पर 7 सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर (एसटीएस) के माध्यम से निरंतर निगरानी की जा रही है, इनमें सभी पंजीकृत के साथ-साथ प्रवासियों और किन्ही कारणों से रुके उपचाराधीनों को दवाइयों के साथ-साथ अन्य जरूरी आवश्यक सहायता भी विभाग द्वारा संपर्क कर उपलब्ध कराई जा रही है।