मिर्जापुर।
मीरजापुर वन प्रभाग के मड़िहान रेंज में चल रही बांस उत्पादन आधारित कार्यशाला में कारीगरों ने मास्टर ट्रेनर्स से उम्दा किस्म के बांस उत्पाद तैयार करने का हुनर सीखा। यहां के कारीगरों को ऐसे उत्पाद तैयार करने के लिए हुनरमंद किया जा रहा है, जो कि स्थानीय तौर पर बिक सके और कारीगरों को अच्छी खासी आय प्राप्त हो सके।
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इस कार्यशाला में डीएफओ पी एस त्रिपाठी द्वारा मास्टर ट्रेनर्स को इस बात का सुझाव दिया गया कि बांस से बने हुए डोलची, छोटी बास्केट बनाना सिखाएं, जिसकी मांग विंध्याचल एवं पड़ोोस के बनारस मंदिरों में पूजा अर्चना का सामान व प्रसाद ले जाने में किया जा सके।
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यह सुझाव सिक्किम से आए हुए हमारे मास्टर ट्रेनर्स को भी अच्छा लगा एवं कारीगरों में भी इस बात का विश्वास जगा कि उनके द्वारा बनाई गई छोटी बास्केट, डोलची व डलिया की मांग स्थानीय तौर पर रहेगी और उनका उत्पाद स्थानीय स्तर पर ही बिक सकेगा।
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नमूने के तौर पर उनके द्वारा गुरुवार को कार्यशाला के दौरान इस तरह की तमाम आकर्षक कलाकारी के उतपाद तैयार किए गये। डीएफओ पी एस त्रिपाठी ने कहा कि हमारा प्रयास यही रहेगा कि 15 दिवसीय कार्यशाला में यहां से कारीगर बहुत कुछ सीख करके जाएं, जिससे कि शासन की मंशा शत प्रतिशत सफल हो और उनकी आर्थिक आय में इजाफा हो सके।
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