मिर्जापुर

विन्ध्य क्षेत्र से अच्छा राम आस्था के लिये कोई स्थल हो ही नहीं:  मण्डलायुक्त

० रामायण कान्क्लेव में गोष्ठी, परिचर्चा व विविध सांस्कृतिक कायर्क्रम का हुआ आयोजन

मीरजापुर। 

भारतीय संस्कृति सनातन परम्परा राम कथा व्याप्ति सवार्धिक है राम कथा के रूप में भारत से आस्था, विश्वास और अध्यात्म की यह त्रिधारा सम्पूणर् विश्व में प्रतिष्ठित हुयी और आज विश्व के अधिकांश देशो में रामायण के प्रसंगो गायन, नृत्य तथा अन्य कला माध्यमो से लोगो के बीच आदर एवं सम्मान प्राप्त हो रहा हैं। रामायण और रामकथा पर आधारित वैचारिक संवाद गायन, वादन, नृत्य, रामलीला के मंचन एवं नाट्य प्रस्तुतियो द्वारा रामायण विविध प्रसंगो को रूपायित करने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार के पयर्टन एवं संस्कृति विभाग द्वारा 29 अगस्त से 01 नवम्बर के बीच ’’जन-जन के राम रामायण कान्क्लेव’’ का प्रदेश के 16 प्रमुख शहरो में आयोजन किया जा रहा हैं।

इसी क्रम में 15 व 16 सितम्बर को दो दिवसीय   मीरजापुर के विन्ध्याचल रोडवेज बस स्टैण्ड पर रामायण कान्क्लेव के अन्तगर्त रामायण और आस्था पर संगोष्ठी/परिचचार् तथा भव्य एवं शानदार सांस्कृतिक कायर्क्रम का शुभारम्भ हुआ। कायर्क्रम में मुख्य अतिथि मण्डलायुक्त विन्ध्याचल मण्डल श्री योगेश्वर राम मिश्र रहें। कायर्क्रम जय श्री राम उदघोष के साथ करते हुये डा0 लवकुश द्विवेदी निदेशक अयोध्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग ने संगोष्ठी में आयोजित अतिथियो ने महन्त गिरीशपति त्रिपाठी अयोध्या, प्रो0 देव प्रसाद दूबे इलाहाबाद विश्वविद्यालय, डा0 सभापति मिश्र प्रयागराज, जनार्दन मिश्र वाराणसी, सुश्री नीलम शास्त्री वाराणसी, डा0 उषा शुक्ला दक्षिण अफ्रिका ने दीप प्रज्जवलित कर रामायण के श्लोको के साथ कायर्क्रम का श्रीगणेश किया।

कायर्क्रम के प्रथम चरण में सांय 5ः00 बजे से ’’राम और आस्था’’ विषय पर गोष्ठी एवं परिचचार् का आयोजन किया गया। तदुपरान्त द्वितीय चरण में सास्कृतिक कायर्क्रमों में आदवासी लोकनृत्य, लोकगयान, कजरी, कथक नृत्य, तालवाद्य संगम, बालमन राम पर आधारित नृत्य, रामभजन एवं राम अंगद मैत्री नाट्य प्रस्तुति का आयोजन किया गया। गोष्ठी में बोलते हुये मण्डलायुक्त ने कहा कि राम और आस्था विन्ध्याचल में ही क्यो घ् उन्होने कहा कि विन्ध्य क्षेत्र से अच्छा राम आस्था के लिये कोई  स्थल हो ही नही सकता।

आयुक्त ने कहा कि भगवान श्रीराम अपने पिता राजा दशरथ एवं पूवर्जो का तपर्ण/पिण्डदान विन्ध्याचल के बगल शिवपुर में गंगा के किनारे किया था वह स्थान आज भी राम गयाघाट के नाम से जाना जाता हैं। पूवांर्चल के लोग आज भी अपने पूवर्जो के तपणर् के लिये शिवपुर रामगयाघाट आकर पिण्डदान करते हैं। उन्होने बताया कि गोमुख से लेकर गंगा सागर तक यही विन्ध्य क्षेत्र एक ऐसा स्थल है जहाँ पर सात-आठ किलोमीटर पत्थर पाया जाता है क्योकि भगवान राम ने यहाँ पर रामेंश्वर की स्थापना की थी।

राम आस्था के बारे में मथुरा एवं कुशावती जो आज कौशाम्बी एवं जनपद मीरजापुर के उपरौध के नाम से जाना जाता है कि भी मण्डलायुक्त द्वारा चचार् की करते हुये कहा कि उपरौध को दूसरी अयोध्या बताते हुये राम आस्था से के प्रसंग मिलते हैं। उन्होने कहा कि कोराव के पास आज भी अवध गाँव है। उन्होने कहा कि कुश की राजधानी कुशावती थी इस लिये यह क्षेत्र भी राम आस्था से अछूता नही हैं। उन्होने अयोध्या की एक राजकुमारी सूयर्कान्ता का विवाह दक्षिण कोरिया के एक कीेमही प्रान्त में हुआ वहाँ पर करकवंश की उत्पत्ति हुयी। करकवंश के आज भी जितने भी राजनेता, व्यवसाय, विद्वान है उसमें लगभग 70 प्रतिशत लोेग हर वषर् अयोध्या आते हैं।

 

उन्होने कहा कि दक्षिण कोरिया के कीमही प्रान्त से मेयर से मुलाकात हुयी तो उनके द्वारा बताया गया कि हमारे कुल की पहचान सूयर्कान्ता से हुयी है इस लिये हमारे साथ कही न कही प्रभु श्री राम आशीर्वाद हमारे साथ हैं।  मण्डलायुक्त ने इंडोनेशिया की चचार् करते हुये कहा इंडोनेशिया दुनिया का वह राज्य है जहाँ पर सबसे अधिक मुस्लिम आबादी है औंर वहाँ की रामलीला की टीम भी अयोध्या आती है जिसमें जितने भी रामलीला के पात्र है मुस्लिम समुदाय के हैं जिसमंे अयोध्या में आये रामलीला के टीम लीडर जो हनुमान का पात्र कर रहा था  वह भी मुस्लिम था उनसे बात चीत के दौरान पूछा गया कि आप मुस्लिम धमर् से है और राम कथा का वाचन कर रहे तो उनके द्वारा बताया गया कि हमारा धमर् इस्लाम है और राम हमारे पूवर्ज हैं। उन्होने कहा कि यह भी एक राम के प्रति आस्था हैं।

 

उन्होने लांेकतांत्रिक व्यवस्था की चचार् करते हुये कहा कि राम से बड़ा लोकतांत्रिक पूरे ब्रहमाड में नही हुआ। उन्होने कहा कि जीवनत्ता की बात करें या राजधमर् की बात करे तो राम के जैसा कोई नहीं। गोष्ठी में श्री गिरीशपति त्रिपाठी महन्त अयोध्या ने भाती संस्कृति सनातन परम्परा में रामकथा/आस्था की व्याप्ति सवार्धित बताया तथा वैष्णोमतावंलम्बियो को भी राम आस्था का प्रमुख केन्द्र बताया। डा0 सभापति मिश्र प्रयागराज ने कहा कि राजा दशरथ के घर में जन्मे श्रीराम चन्द्र की जीवन सबके लिये आदशर् और प्रेरणास्रोत हैं।

 

वाराणसी से आये जनार्दन मिश्र ने राम आस्था को भारतीय संास्कृतिक विरासत का परिचायक बताया। वाराणसी से आये नीलम शास्त्री राम आस्था पर चचार् करते हुये कहा कि को राजस्व का त्याग करके आम जन के बीच में रह कर सघर्ष एवं न्याय एक ऐसी आधारशिला की छवि भगवान राम में दिखती है जो विभिन्न सामाजिक समुदायो के लिये सदियो तक  अनुकरणीय रहेगी।

 

कायर्क्रम के द्वितीय सत्र में सांस्कृतिक कायर्क्रम की श्रृखला में मीरजापुर की लोकगायिका उषा गुप्ता के द्वारा भगवान राम पर आधारित सोहर ’’ दशरथ के जन्मे ललनवा चैत राम नवमी दिनवा…..’’  एवं ’’ चारो भईया में बड़का कमाल सखिया…..’’ राम पर आधारित भजन सुनाया। इसी क्रम में जनपद सोनभद्र से आये कतवारू राम एवं साथी द्वारा आदिवासी लोकनृत्य, गिन्नी पणिर्का एवं वालिनी लखनऊ के टीम के द्वारा बालमन राम पर आधारित भाव नृत्य प्रस्तुत किया गया। वही ओम प्रकाश श्रीवास्तव वाराणसी द्वारा राम भजन, अतुल शंकर एवं साथी दिल्ली नंे तालवाद्य संगम एवं जयाराय एवं साथी वाराणी तथा प्रशस्ती तिवारी एवं साथी वाराणसी के द्वारा कथक नृत्य प्रस्तुत कर लोगो को भावविभोग किया गया।

 

कायर्क्रम में राज्य महिला आयोग की सदस्या  अनीता सिंह, अयोध्या शोध संस्थान संस्कृति विभाग लखनऊ के निदेशक डा0 लवकुश द्विवेदी, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी वाराणसी, डा0 सुभाष चन्द्र यादव, जिला सूचना अधिकारी डा0 पंकज कुमार, अपर जिला सूचना अधिकारी ओम प्रकाश उपाध्याय के द्वारा सभी कलाकारो को प्रशस्ती पत्र, स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कायर्क्रम में प्राचार्य बिनानी डिग्री कालेज राजीव अग्रवाल, प्रवक्ता बिनानी डिग्री कालेज ध्रुव पाण्डेय, प्रवक्ता श्री सौरभ चौबे के अलावा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहें।

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