जिगना।
विश्व कल्याण मिशन की ओर से क्षेत्र के सर्रोई गांव मे चल रही रामकथा के दूसरे दिन प्रसिद्ध कथावाचक चिन्मयानंद बापू ने कहा कि जो मस्ती भगवान की भक्ति मे है वह कहीं नहीं है। गुरू और संत की महिमा का बखान करते हुए कहा कि दोनों ही जीवन की राह दिखाते हैं। कथावाचक ने धर्म आध्यात्म संस्कृति की सहज समीक्षा करते हुए कहा कि सनातन धर्म ही परमब्रह्म है। अज्ञान रूपी अंधकार से गुरू ही मुक्ति दिलाता है। सदगुरु आत्मा का परमात्मा से मिलन कराता है। गुरू की शरण मे जीवन सरल और सहज हो जाता है। गुरू के प्रति सदैव कृतज्ञ रहने की सीख दी।
महराज जी ने कहा कि स्वार्थ से परे रहने की कला सिखाने वाले ही साधू हैं। समाज मे शांति व सद्भाव की खुशबू बिखेरने वाले सच्चे संत हैं। कथावाचक ने कहा कि बाबा तुलसीदास ने रामचरितमानस को रामायण नहीं माना था। हास्य-व्यंग्य के माहौल मे कहा कि यदि घर परिवार मे रामायण की जगह रामचरितमानस का अनुसरण हो तो स्वर्ग धरती पर उतर आएगा। भारी संख्या मे उपस्थित श्रोताओं को संगीत की स्वरलहरियों पर भजन सुनाकर भावविभोर कर दिया।
अंत मे उन्होंने कहा लंकाधिपति रावण को भी भगवान शंकर के चरणों मे ओम नमः शिवाय का मंत्रोच्चारण करने के बाद ही शांति मिलती थी। मुख्य यजमान बिंध्यवासिनी पांडेय देवी प्रसाद चौधरी संतोष गोयल इंद्र कुमार उर्फ डिंकू सिंह पार्थ सिंह रोहित शुक्ला बबलू तिवारी रबि दूबे ओमप्रकाश पांडेय नवनीत तिवारी आलोक तिवारी रबीश अग्रहरी बीरेंद्र सेठ पंकज आदि रहे। विश्व कल्याण मिशन के ट्रस्टी मयंक वैद्य ने आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया।