जमालपुर (मिर्जापुर ) क्षेत्र के हसौली गांव में नरेन्द्र नाथ द्विवेदी के आवासीय परिसर में चल रहे नौ दिवसीय राम कथा के सातवें दिन शुक्रवार को कथावाचक पं रामचन्द्र मिश्र ने भरत चरित्र कि सुन्दर चर्चा किया । कहा कि पंच तत्व के आधार पर राम चरित मानस की रचना की गई है।
कहाकि सब विधि भरत सराहन जोगू कलयुग में भरत जैसा भाई नही है । परिवार में भरत जैसे भाई की आवश्यकता है। भरत का चरित्र समुद्र की तरह अथाह है। भरत जी सोने कि कुश के आसन पर बैठकर सुशासन किया। भरत जी को राजपद नही रामपद कि लोलुपता थी उन्हो ने राम के पादुका को सिंहासन पर रखकर चौदह साल अयोध्या कि राजगद्दी को संभाला। भरत जी का पाप, पुण्य, क्रोध, मोह, लोभ,इत्यादि सभी चीजे सराहना योग्य है।
गोस्वामी तुलसीदास जी भी कहते हैं कि भरत चरित्र की महिमा का वर्णन तो त्रिदेव ब्रहमा बिष्णु महेश यहां तक की प्रभु श्री राम भी करने मे असमर्थ थे। भरथ जैसा भाई अपने भाई के विपत्ति का बटवारा करते थे और आज के भाई भाई के विपत्ति नही बल्लि संपत्ति कि बटवारा करते है। कहाकि हनुमानजी ने हे प्रभु भरत जी का बाण जिंदा ही जीव को आप से मिलाता है और आपका बाण जीव के मरने के बाद आपसे मिलाता है।
माता कैकेई व मंथरा की कुटिलता की वर्णन करते कहा कि जो मनुष्य अपने घर में मंथरा रूपी कुबुद्धी को
रोक दे तो उसका अयोध्या रूपी घर बर्बाद होने से बच जायेगा।कथा मे नरेन्द्र नाथ द्विवेदी,श्री कांत द्विवेदी, पंकज मिश्रा,गोलू तिवारी, नितेश दूबे,छोटे लाल तिवारी, मोहित दूबे, कृपाशंकर पाण्डेय, सुर्य नारायण मिश्र, अरविंद दूबे,वीरेन्द्र पाण्डेय, स्वामी नाथ तिवारी, सतीष श्रीवास्तव, घनश्याम तिवारी, जयनाथ तिवारी,रीता देवी, तनु, आयुषी,उर्मिला देवी सहित सैकड़ों श्रोताओं ने राम कथा का रसास्वादन किया।संचालन राजेश दूबे ने किया।