मिर्जापुर।
जिला विज्ञान क्लब मिर्जापुर के तत्वाधान में राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर एक ऑन लाइन कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कारको पराली को जलाने के प्रदूषण,शादी समारोह तथा त्योहारों में बजाए जाने वाले पटाखों, पॉलिथीन, प्लास्टिक को जलाने से होने वाले नुकसान ,शादी एवम त्योहारों में बजाए जाने वाले तेज ध्वनि के दी जे होने वाले ध्वनि प्रदूषण एवम उनसे होने वाली बीमारियों पर चर्चा की गईं तथा विशेषग्यो द्वारा बाल वैज्ञानिको को अपने आस पास के लोगो को जागरूक करने की अपील की गई।
इस कार्यशाला में 87 बाल वैज्ञानिक एवम नवप्रवर्तक एवम आमजन उपस्थित रहे। जिला विज्ञान क्लब समन्यवक सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि आज 2 दिसम्बर को प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस 1984 में भोपाल गैस त्रासदी से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण और लोगो की होने वाली हानि की याद में मनाया जाता है।
प्रदूषण पूरे विश्व की एक विकट समस्या बन चुका है।प्रदूषण प्रकृति की देन नही है।धरती पर मानवीय क्रिया कलापो के कारण पृथ्वी का संतुलन विगड़ गया है।मानव के क्रिया कलाप पराली जलाना, पटाखे जलाना, तेज आवाज के ध्वनि विस्तारक यन्त्र की आवाज, पॉलिथीन, प्लास्टिक जलाना पर्यावरण प्रदूषण की मुख्य समस्या बनती जा रही है।
यदि हम नही चेते तो एक दिन पृथ्वी के वायु मंडल में उपस्थित गैसों का उष्मीय ताप के कारण चाल ,पलायन चाल से अधिक हो जाएगा,फिर हमें ऑक्सीजन गैस का सीयलेंडर साथ ले कर चलना होगा।। कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर एस वी पांडेय ने कहा कि पराली जलाने से सिर्फ पर्यावरण ही दूषित नही होता बल्कि पोषक तत्व भी नष्ट हो जाते है।
पराली में आग लगाने की वजह से 70 प्रतिशत माइक्रो न्यूट्रेन की भरपाई किसी कीमत में नही हो पाएगी।यदि तीन साल तक पराली कोखेत में मर्ज किया जाय तो रासायनिक खादों की 45 प्रतिशत जरूरत कम हो जाएगी।फसल के अवशेष जलाने से मिट्टी में मौजूद कई वक्टेरिया एवम किटाडू मरजाएँगे। पर्यावरण विशेषज्ञ डॉक्टर एम के सिंह ने कहा कि पराली की समस्या के साथ सर्दियों मेबच्चे, वाहन मैकेनिक,बस स्टैंड गली मोहल्ले के लोग सफाई कर्मचारी सार्वजनिक स्थानों पर पुराने टायर टयूब, प्लास्टिक, पॉलिथीन, मोटर वाहनों के खराब तेल का अलाव जलाते है।
इससे टॉक्सिस,रसायन कॉर्बन के छोटे कण,बेंजीन और फ्यूरियस गैस का उत्सर्जन होता है।जो पर्यावरण को प्रदूशित करने का मुख्य कारण हैं।हम सभी बाल वैज्ञानिको को अपने आस पास के लोगो को इससे बचाने के लिए जागरूक करना होगा।। रसायन विज्ञान के प्रवक्ता डॉक्टर ए एन श्रीवास्तव ने कहा कि प्लास्टिक जलाने से स्टीरिन गैस उतपन्न होती है।गर्भवती महिलाओं की त्वचा इस गैस को सोख लेती है,सास के जरिये गर्भ में पल रहे बच्चे के अंदर चली जाती है, बच्चे के दिमाग एवम स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है।
शोध छात्र प्रवीण कुमार ने पटाखों की वजह से होने वाले प्रदूषण तथा शादी समारोह में बजने वाले ध्वनि विस्तरक यंत्रो से ध्वनि प्रदूषण के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पटाखों के वज़ह से क्रोनिक ब्रोकइटिस, अस्थमा, सर्दी जुकाम, निमोनिया, लरइंजिटिस आदि रोग उतपन्न हो रहे है।
कार्यक्रम के समापन सत्र में जिला समन्यवक सुशील कुमार पांडेय ने सभी विशेषग्यो का आभार व्यक्त करते हुए नवप्रवरतको एवम बाल वैज्ञानिको से कहा कि आप अपने आस पास के लोगो को इस समस्या केलिए लोगो को जागरूक करें, इस समस्या के विकल्प में कुछ नए नवप्रवर्तन के बारे में नवप्रवर्तन करे।