मिर्जापुर।
विज्ञान एवम प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित जिला विज्ञान क्लब मिर्ज़ापुर द्वारा विश्व मृदा दिवस पर एक ऑन लाईन कार्यशाला आयोजित की गई।जिसमें मृदा की महत्ता,मिट्टी की जांच क्यो, मिट्टी जांच के लिए नमूने कैसे तैयार करे इस विषय पर बाल वैज्ञानिक एवम उनके अभिभावक किसानों को जागरूक किया गया।जिसमें 83 बाल वैज्ञानिक एवम किसानों भाइयो ने हिस्सा लिया।
जिला विज्ञान क्लब मिर्ज़ापुर के जिला समन्यवक सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि विश्व मिट्टी दिवस संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रत्येक वर्ष 5 दिसम्बर को मनाया जाता है।यह दिवस 5 दिसम्बर2013 से किसी विशेष निर्धारित थीम पर मनाया जाता है।इस वर्ष 2021 का विषय मृदा लवडता को रोकने का महत्व निर्धारित किया गया है।इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किसानों और आम लोगो को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है।बहुत से भागो में उपजाऊ मिट्टी बंजर और किसानों द्वारा ज्यादा रासायनिक खादों और कीड़े की दवाइयों का इस्तेमाल करने सेमिट्टी के जैविक गुडो में कमी आने से उपजाऊपन में गिरावट आती जा रही है और यह प्रदूषण का शिकार होती जा रही है।
कृषि विज्ञान के विशेषज्ञ प्रोफेसर एस वी पांडेय ने कहा कि वर्तमान में विश्व की संपूर्ण मृदा में 33 प्रतिशत पहले से ही वंजर या निम्नीकृत हो चुकी है।हमारे भोजन का 99 प्रतिशत भाग मृदा से ही आता है।वर्तमान में 815 अरब लोगो का भोजन असुरक्षित है,2अरब लोग पोषक तत्व से असुरक्षित है।इसे हम मृदा के माध्यम से कर सकते है।मिट्टी के विना कोई खाद्य सुरक्षा नही हो सकती है।। विशेषज्ञ के के चौरसिया ने कहा की मिट्टी मे पानी में घुलनशील लवड़ो के निर्माण से आमतौर पर इसमे अन्य रसायनों के अलावा सोडियम, पोटैशियम, कैलसियम, मैग्नीशियमकि, सलफेट, क्लोराइड, बईकार्बोनेट शामिल हैं। पौधों की वृद्धि पर मिट्टी की लवडता से मुख्य प्रभाव जल अवशोषड में कमी है। मिट्टी में पर्याप्त नमी न होने पर भी पानी क अवशोषड के कमी के कारण फसले मुरझा जाती है।
कृषि वैज्ञानिक आर के सिंह ने कहा कि मृदा पोषक तत्वो का भंडार है।पौधों को सीधे खड़ा रहने के लिए सहारा देती है।पौधों को अपना जीवन चक्र पूरा करने के लिए 16 पौषक तत्वो की आवश्यकता होती है।मुख्य तत्व कार्बन,हाइड्रोजन,ऑक्सीजन,नाइट्रोजन,फॉस्फोरस,पोटैशियम,कैल्शियम,मैग्नीशियम तथा सूक्ष्म तत्व जिंक,मैगनीज,कॉपर,आयरन,बोरॉन, मोलिब्डेनम, एवम क्लोरीन है।।
मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर एस के सिंह ने कहा कि मृदा की उर्वरा शक्ति की जांच करके ही फसल विशेष के लिए पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा की सिफारिश करना एवम उर्वरक का प्रयोग करना चाहिये।मृदा की गुडवत्ता बनाये रखने के लिए जैविक खाद का प्रयोग करे। शोध क्षात्र नवीन कुमार ने मृदा परिक्षड के लिये सबसे पहले नमूना लेने की विधि को समझाया।इसके लिये जरूरी है कि मृदा के नमूने पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करें।नमूने के लिए जिस जमीन का नमूना लेना है उस क्षेत्र पर 10 से 15 जगहों पर निशान लगा ले।चुनी गई जगह के ऊपरी सतह पर यदि कूड़ा करकट या घास हो तो उसे हटा लें।खुरपी या फावड़े से15 सेंटीमीटर गहरा गड्ढा बनाये।इसके एक तरफसे 2-3 सेंटीमीटर मोटी परत ऊपर से नीचे तक उतारकर साफ बाल्टी या ट्रे में डाल दे।इसी प्रकार शेष चुनी गई 10 से 15 जगहों से उप नमूने इकठ्ठा करे।अब पूरी मृदा कोा अच्छी तरह हाथ से मिलाने तथा साफ कपड़े या टब में डाल कर ढेर बना ले।अंगुली से इस ढेर की चार बराबर भागो में बांट दे।आमने सामने के दो बराबर भागो को वापस अच्छी तरह मिला ले।यह प्रक्रिया तब तक दोहराए जब तक लगभग आधा किलो मृदा न रह जाय।
इस प्रकार एकत्र किया गया नमूना पूरे क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है।नमूने को साफ प्लास्टिक की थैली में डाल दे।अगर मृदा गीली है तो इसे छाया मर सूखा ले।इस नमूने के साथ नमूना सूचना पत्रक जिसमे किसान का नाम,पूरा पता,खेत की पहचान, नमूना लेने की तिथि,जमीन का ढलान,सिचाई का उपलब्ध स्रोत,अगली ली जाने वाली फसल का नाम,पिछले तीन साल की फसल का ब्यौरा जरूर दे,फिर इसे कपड़े की थैली में रखकर अपने पास के कृषि विज्ञान केंद्र,या जहाँ भी जांच हो रही हो वहां दे।मृदा की जांच अवश्य कराये।
जिला समन्यवक सुशील कुमार पांडेय ने समापन सत्र में प्रतिभागी बाल वैज्ञानिको एवम किसानों तथा विशेषग्यो का आभार व्यक्त किया।