० जन चर्चा: दूसरे दल के व्यक्ति के जिताने के लिए भाजपा टिकट का 2012 व 2017 के चुनावो मे होता रहा खेल
० बावजूद साजिश कर्ता को जनता ने पिछले चुनाव मे दिया ठेल, इस बार फिर चल रहा सह-मात का खेल
मिर्जापुर।
जनपद मिर्जापुर के अब की मड़िहान विधानसभा और तब की राजगढ विधानसभा यहां के लोगो के कर्मस्थलियों की कम, बाहरियों की शरणस्थली के चरागाह के रूप में ज्यादा जानी पहचानी जाती है।
अगर इसके विधानसभा चुनावी इतिहास को देखें, तो यहां अक्सर विधानसभा चुनाव में षड्यंत्र और साजिश किया जाता रहा है। बांटो और राज करो (डिवाइड एंड रूल) के सिद्धांत पर यहां के भोली-भाली सीधी-सादी जनता को नासमझ समझ कर बाहरी चुनाव लड़ते रहे है। इसको प्रमाण के तौर पर देखे तो यहां चुनार विधानसभा के कोलना गांव निवासी राजनारायण सिंह 1952 व 1977 दूसरे इसी ग्राम कोलना के निवासी रामचरण सिंह 1979 व वाराणसी निवासी लोकपति त्रिपाठी 1969, 1971 व 1996 एवम दुसरे वाराणसी निवासी इनके पौत्र ललितेशपति त्रिपाठी 2012 में तथा तिसरे वाराणसी निवासी अनिल मौर्या 2002 व 2007 और चंदौली निवासी वर्तमान निवास सोनभद्र राजेंद्र प्रसाद सिंह पटेल 1991 मे चुनाव जीते।
इस प्रकार देखा जाए, तो पूर्व का राजगढ़ वर्तमान मड़िहान विधानसभा चरागाह व शरण स्थली बार-बार बनती रही है। इसी प्रयोग को दुहराने हेतु षड्यंत्र और तिकड़म के आधार पर 2012 के विधानसभा चुनाव में 2010 के बसपा सरकार के कार्यकाल में हुए विधान परिषद चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप में प्रदेश का सबसे ज्यादा वोट पाकर के भी श्याम नारायण सिंह उर्फ विनीत सिंह से हारे जगदीश सिंह पटेल के प्रति जनता में जबरदस्त सहानुभूति थी और जन चर्चा में ऐसा लग रहा था कि जगदीश सिंह पटेल को यदि भाजपा से टिकट मिला, तो 2012 में विधायक बन जाएंगे।
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इस स्थिति को भांपते हुए यहां के षड्यंत्रकारी और साजिशकर्ता राजनीतिक पंडितों द्वारा भाजपा में घुसपैठ कर कांग्रेस प्रत्याशी ललितेश पति त्रिपाठी को जिताने के लिए चर्चा के अनुसार जगदीश सिंह का टिकट कटवा कर मुखर भाजपा विरोधी राम नगीना पटेल को इसलिए टिकट दिलवा दिया गया कि भाजपा के लोग इनको स्वीकार नहीं करेंगे और ललितेश पति जीत जाएंगे और उनका यह प्लान शत प्रतिशत सफल हुआ और ललितेशपति त्रिपाठी 2012 में विधायक बन गए।
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इसी प्रकार आगे फिर 2017 का चुनाव आया, माहौल गरमाया और इस बार जगदीश सिंह पटेल के प्रति सहानुभूति और बढ़ गई। मोदी लहर अलग से चल रहा था, लेकिन फिर यहां के षड्यंत्रकारी और साजिश कर्ताओं ने पुनः कांग्रेसी प्रत्याशी ललितेश पति त्रिपाठी को जिताने हेतु जगदीश सिंह का टिकट कटवाने हेतु भाजपा के प्रमुख विरोधी समाजवादी पार्टी के जिला उपाध्यक्ष रमाशंकर सिंह पटेल को भाजपा में षड्यंत्र व घुसपैठ कर रमाशंकर पटेल को कमजोर प्रत्याशी समझकर टिकट दिलवा दिये और समझे कि पिछली बार की तरह भाजपा पुनः विभेद हो जाएगी और ललितेश पति त्रिपाठी का सहयोग करेंगे, तो ललितेश पति त्रिपाठी जीत जाएंगे।
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परंतु 2017 में जबरदस्त मोदी लहर रहने के कारण ललितेश का न कोई जादू काम किया और न ही षड़यंत्र कारियों का षड्यंत्र और यहां की भोली-भाली जनता अब काफी पढ़ी-लिखी और समझदार हो जाने के कारण सारी साजिश फेल हो गई और रमाशंकर पटेल को विजय श्री का ताज पहना दिया।
अब आगे पुनः 2022 का चुनाव आसन्न है। षड्यंत्रकारी और साजिशकर्ता दोनों की गठजोड़ भाजपा में घुसपैठ कर पुनः भाजपा को यथार्थ से भटकाने और अपने मकसद को पूर्ण करने हेतु सक्रिय हैं। देखना यह है कि अब इस बार भाजपा पुनः साजिश कर्ताओं के षड़यंत्र के आधार पर कार्य करती है या जनता के भावनाओं का ध्यान रखकर जन भावना का कदर रखती है।
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