0 नंद घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की गाकर आनंदमय हुए भक्त
कछवा/मिर्जापुर।
श्री गीता सेवा धाम के तत्वावधान में जमुआ बाजार में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद् भागवत महापुराण कथा के चौथे दिन कथा वाचिका साध्वी ऋचा मिश्रा ने भगवान शिव लीला, वामन अवतार व श्री कृष्ण के जन्म की कथा सुनाई। सभी श्रोता भक्ति में लीन और भाव विभोर हो गए। सबसे पहले धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि जब-जब धरा पर अत्याचार, दुराचार, पापाचार बढ़ा है। तब-तब प्रभु का अवतार हुआ है। भगवान भोलेनाथ की महिमा का गुणगान करते हुए बताया कि भगवान शिव शंकर देवो के देव महादेव है, उनकी आराधना से सुख-समृद्धि, शक्ति और आनंद प्राप्त होता है। शिव की कृपा से रावण त्रिलोक पति हुआ था।
प्रभु श्रीराम ने शिव शंकर की आराधना की और त्रिलोकपति पर विजय पाई तो भगवान शिव शंकर ने हनुमान के रूप में मां सीता का पता लगाया और लक्ष्मण जी के लिए संजीवनी लाकर जीवन बचाया और भगवान शिव की कृपा जिस पर हो जाए क्या जीवन-मरण से भी मुक्त हो जाता है।
कथा के चरण में वामन अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि वामन विष्णु के अवतार व वामन आदित्य भाइयों में बारहवें और सबसे छोटे थे। त्रेता युग के प्रारंभ होने में भगवान विष्णु ने वामन रूप में देवी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए इसके साथ ही यह विष्णु के पहले ऐसे अवतार थे, जो मानव रूप में प्रकट हुए।
राजा बलि के अहंकार को चूर करने के लिए भी में तीन कदम जमीन मांगा, जिसके फलस्वरूप बामन को तीन पैरों वाला त्रिविक्रम रूप में एक पैर धरती पर दूसरा ही आकाश यानी देवलोक पर पर तीसरा बलि के सिर पर पड़ा जिससे बली पाताल लोक पहुंच गया। बलि के धर्म परायणता तथा वचनबद्धता के कारण उसे महात्मा की भी उपाधि दी गई थी।
अगले चरण में श्री कृष्ण की जन्म की लीला सुनाते हुए कथा वाचिका ने कहा कि प्रभु का अवतार अत्याचार को समाप्त करने और धर्म की स्थापना के लिए होता है। जब धरा पर मथुरा के राजा कंश के अत्याचार अत्यधिक बढ़ गया तब धरती की करुण पुकार सुनकर श्री हरि विष्णु ने देवकी माता के अष्टम पुत्र के रूप में भगवान श्री कृष्ण के रूप में जन्म लिया। श्री कृष्ण का जन्म कंश के काल कोठरी में हुआ था।
इसी प्रकार त्रेता युग में श्री राम के रूप में जन्म लिया था भगवान विष्णु आठवें अवतार के रूप में श्री कृष्ण का जन्म हुआ। श्री भगवत गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है। जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है इन उपदेश के लिए कृष्ण को जगतगुरु का भी सम्मान भी दिया गया है। वही कथा स्थल पर श्री कृष्ण के जन्म उत्सव को धूमधाम से झांकी के द्वारा दिखाकर प्रस्तुत किया गया।
श्री कृष्ण को एक टोकरी में रखकर पिता वासुदेव अपने सर पर लेकर यमुना नदी पार लड़की पालक मा यशोदा व पालक पिता नंद बाबा के घर सुरक्षित पहुंचने पर कथा स्थल पर मौजूद सभी श्रोता गणों ने श्री कृष्ण का जयकारा लगाते हुए नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, हाथी-घोड़ा पालकी जय यशोदा लाल की गाकर आनंदमयी हुए। कथा का प्रवचन सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में क्षेत्र सहित आसपास के सभी गांव के लोग मौजूद रहे।