मिर्जापुर।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के दक्षिणी परिसर में विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय पैरामेडिकल सम्मेलन (पैरामेडिकोन) का आयोजन किया गया, जिसका शुभारंभ दिनांक 7 अप्रैल 2022 को 11 बजे दीप प्रज्वलन एवं महामना पंडित मदन मोहन मालवीय को माल्यार्पण के साथ किया गया। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के चिकित्सा प्रयोगशाला प्रोद्योगिकी एवं औषधि निर्माण (फार्मेसी) विभाग के द्वारा किया गया। कार्यक्रम कुल 12 सत्र में हुआ, जिसमें 16 सारांश ¼ abstract ½ और 184 पेपर का प्रस्तुतीकरण होगा। इस कार्यक्रम में लगभग 400 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया जिसमे देश और विदेश के प्रतिभागी शामिल थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता दक्षिणी परिसर के प्रोफेसर इंचार्ज प्रोफेसर विनोद कुमार मिश्र ने किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाराजा सुहेल देव राज्य विश्विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार शर्मा एवं विशिष्ट अतिथि प्रोफ़ेसर चार्ल्स ओलुवासेउनादेतुनजी एड़ो राज्य विश्वविद्यालय नाइजेरिया के थे। कार्यक्रम में प्रोफेसर आशुतोष तिवारी का विशेष व्याख्यान रहा।
इस अवसर पर प्रो. एम. पी. अहिरवार (समन्वयक डी. डी. यू. कौशल केंद्र एवं कार्यक्रम संयोजक प्रथम पैरामेडिकोन), डॉ. मनोज कुमार सिंह, डॉ. बी. एम. एन. कुमार एवं कई संस्थानों के निदेशक, शिक्षक एवं विद्यार्थीयों ने शामिल हो कर कार्यक्रम को सफल बनाया। विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर विश्वविद्यालय के चिकित्सा प्रयोगशाला प्रोद्योगिकी एवं फार्मेसी आयुर्वेद के पूर्ववर्ती छात्रों का प्रथम सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें छात्रों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। जिसमे छात्रों के विभिन्न समूहों ने अपने पूर्ववर्ती छात्रों का अभिनंदन किया और इस अवसर पर उनकी स्मारिका का विमोचन किया गया।
इस कार्यक्रम में डॉ. कमल नयन द्विवेदी, डा. माइकल सेवजारवी (स्विडेन), डॉ. निजामुद्दीन (जर्मनी), डॉ. अंशुमन मिश्रा ( स्विडेन), डॉ. वि. के. जोशी आयुर्वेद, डॉ. वाहिद अली (केजिएमयू), डॉ. दिलीप झा (इमामी ग्रुप), डॉ. मयंक सिंह (यूएस) ने भी व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. एम. के. नन्दी (संयोजक फार्मेसी) एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. राघवेंद्र रमन मिश्रा ने किया। इस कार्यक्रम में मुख्य परिसर एवं दक्षिणी परिसरों के दर्जनो से अधिक प्राध्यापकगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने मे विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थियों ने स्वयंसेवक (वॉलंटियर) बनकर महत्वपूर्ण योगदान दिया।