एजुकेशन

उत्पीड़न मामले में महिला का एफआईआर दर्ज न करना भी अपराध की श्रेणी: रतन कुमार श्रीवास्तव

मड़िहान, मिर्जापुर।
देवरी कला स्थित एसडीसीसीपी एजुकेशन फाउंडेशन के सभागार में महिला जागरूकता अभियान के तहत विधिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। सेवानिवृत्त डीआईजी रतन कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में उपस्थित छात्राओं को महिला उत्पीड़न पर विस्तृत कानूनी जानकारी दी गयी।
बताया गया कि निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा कानून में बड़े बदलाव व कड़ा बनाया गया है। पहले लड़कियों का पीछा करना अपराध की श्रेणी में नही था। यदि थानों पर एफआईआर नही होती, तो महिलाओं की सुविधा के लिए इंडियन पैनल कोर्ट की स्थापना की गई है। महत्वपूर्ण बात बताया गया कि एफआईआर न लिखना भी अपराध की श्रेणी में आता है।
    पहले की अपेक्षा यौन अपराध बढ़ रहा है। ऐसी परिस्थितियों में आप को एलर्ट रहना होगा। फेसबुक पर फ्रेंड बनाकर अथवा शादी का झांसा देकर महिलाओं के साथ अपराध तेजी से बढ़ा है। इसीलिए थानों पर महिला अधिकारी की नियुक्ति की गई है कि पीड़िता अपनी बातों को उनके समक्ष रख सके, और अपराधियों को सजा दिलाने में सुविधा हो।
     देर से एफआईआर दर्ज होने पर घटना का एविडेन्स अथवा साक्ष्य मिटाने की कोशिश की जाती है। किसी भी घटना में मौन रहना यानी आपकी सहमति या स्वीकृति मान लिया जाता है। बताया गया कि अन्य की अपेक्षा छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न तेजी से बढ़ रहा है। घटना में सजा दिलाने के लिए एविडेन्स रखना आवश्यक है। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार अनिल सिंदूर, राकेस चंद श्रीवास्तव, डाक्टर एमवी शर्मा, डाक्टर केके यादव, डायरेक्टर डाक्टर रेखा शर्मा एवं छात्राएं उपस्थित रही।
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