ज्ञान-विज्ञान

अंतर्राष्ट्रीय मैट्रोलोजी (मापन विज्ञान) दिवस पर आयोजित की गई वर्चुअल कार्यशाला

मिर्जापुर।

विज्ञान एवम प्रौद्योगिकी परिषद उत्तरप्रदेश द्वारा संचालित जिला विज्ञान क्लब मिर्ज़ापुर द्वारा अंतरराष्ट्रीय मैट्रोलोजी दिवस पर गूगल मीट पर ऑन लाइन कार्यशाला आयोजित की गई ।जिसमें 136 बाल वैज्ञानिक एवम विज्ञान संचारको ने प्रतिभगिता की। इस कार्यशाला में विशेषग्यो द्वारा मैट्रोलोजी दिवस का महत्व, दैनिक जीवन मे मापन की आवश्यकता, मापन की पद्धति, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र जैसे चिकित्सा, शिक्षा, इंजीनियरिंग में, किचेन में मापन पर पर प्रकाश डाला गया।

विशेषज्ञ के रूप में जिला विज्ञान क्लब समन्यवक एवम भौतिक विज्ञान प्रवक्ता सुशील कुमार पाण्डेय, असिस्टेंट प्रोफेसर भौतिकी डॉक्टर ए एन श्रीवास्तव, डॉक्टर निकिता सिंह,भूवैज्ञानिक आर के शुक्ल रहे। जिला विज्ञान क्लब समन्यवक सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि मापन विज्ञान का मूल है। विना मापन के कुछ भी मुमकिन नही है।अंतरराष्ट्रीय इकाई प्राडाली की आवश्यकता एवम महत्व को रेखांकित करने के लिए प्रतिवर्ष 20 मई को वैश्विक स्तर पर विश्व मैट्रोलोजी दिवस का आयोजन किया जाता है।

विश्व के 17 देशों के प्रतिनिधियों ने 20 मई 1875 को मीटर कनवेंस न पर हताक्षर किये थे। जिसके फलस्वरूप इंटरनेशनल इकाई पद्धति का गठन हुआ। इस वर्ष की थीम मैट्रोलोजी इन द डिजिटल इरा अर्थात डिजिटल युग मे मापन विज्ञान निर्धारित किया गया। प्रोफेसर ए एन श्रीवास्तव ने कहा कि मापन का जीवन मे महत्वपूर्ण स्थान है।

मापन की तीन पद्धतियां विकसित की गई ब्रिटिश पद्धति जिसे एफ पी एस पद्धति,एस आई पद्धति जिसका हम भौतिक में अधिक प्रयोग करते है।तीसरी सी जी यस पद्धति। मापन के विना हम जीवन के किसी क्षेत्र उनत्ति नही कर सकते।मापन के कारण ही हम वस्तुओं की शुद्धता एवम अशुद्ध होने का पता लगा सकते है।

डॉक्टर आर के शुक्ल ने कहा कि मापन से ही प्रकृति में हो रही परिघटनाओं का अध्ययन किया जाता है।मापन की सहायता से हम परिघटना का अनुमान लगाते है। इसके लिए बिभिन्न प्रकार की राशिया, सूत्र, समीकरण का उपयोग किया जाता है।जैसे वारिश के आने का पता लगाना होता है, तो विभिन्न प्रकार की तकनीकी में इन सभी सूत्रों के आधार पर उपकरण बनाये गए है। मापन के द्वारा ही हम कितनी वर्षा हुई जान पाते है।मापन आकड़ो को साफ करने का काम करता हैं।

डॉक्टर निकिता सिंह ने बताया कि चिकित्सा के क्षेत्र में ऑक्सि मीटर,पल्स मीटर,ग्लूको मीटर,थर्मामीटर के द्वारा ही हम मापन कर बीमारी का पता लगा पा रहे है। मापन की छोटी से लेकर बड़ी पद्धतियां विकसित कर ली गयी है।जिस कारण से ही सूक्ष्म वेक्टेरिया, परमाणु की त्रिज्या,पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी,पृथ्वी का व्यास का पता लगा सकते है। इसके लिए माइक्रोन, ऐंग्स्ट्रॉम, नैनो मीटर, प्रकाशवर्ष विकसित की गई।। किचेन में भी मापन का महत्व है, यदि खाने में नमक या हल्दी या मसाले अधिक होने पर खाने का स्वाद बिगड़ जाता है, इसमें भी सही माप की जरूरत पड़ती है। कार्यशाला के अंत मे जिला समन्यवक ने सभी प्रतिभागियों एवम विशेषग्यो का आभार प्रकट किया।

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