मिर्जापुर।
राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के द्वारा पूरे देश में पुरानी पेंशन बहाली के नाम एक पेड़ लगाने का कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमे देश के सभी एनपीएस कार्मिकों ने अपने संस्थान विभाग स्कूल कालेज गांव शहर जहां भी जिसको उचित जगह मिली एक पेड़ पुरानी पेंशन बहाली के नाम लगाया गया जो कि देश हित में पर्यावरण संरक्षण में अत्यंत सराहनीय कार्य रहा है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष बी पी सिंह रावत ने कहा है कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए विगत तीन वर्षो से राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा एक पेड़ पुरानी पेंशन बहाली के नाम कार्यक्रम को शानदार रूप से आयोजित करते आ रहा है जो कि देश के अब तक के कार्मिक संगठनों के इतिहास में सबसे बड़ा रचनात्मक कार्यक्रम है।
बी पी सिंह रावत ने कहा है कि पुरानी पेंशन बहाली मांग के लिए सड़को पर विरोध प्रदर्शन राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में अब तक अनेकों कार्यक्रम आयोजित करते आये है, लेकिन एक पेड़ पुरानी पेंशन बहाली के नाम रचनात्मक कार्यक्रम से माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी तक पुरानी पेंशन बहाली की आवाज जरूर पहुंचेगी। इसी उद्देश्य से संगठन लगातार इस कार्यक्रम को विगत वर्षो से आयोजित करता आ रहा है।
जब पेड़ बड़ा होता है, तो छांव देता है स्वच्छ हवा देता है फल देता है औषधि देता है हर तरफ से पेड़ जीवन दायक है अत्यंत लाभकारी है पेड़ के बिना जीवन की कल्पना करना असम्भव है इसी तरह एनपीएस कार्मिकों को भी बुढ़ापे मे पुरानी पेंशन मिलनी चाहिए जो कार्मिकों का अधिकार है एनपीएस पूरी तरह से बाजार आधारित है एनपीएस का लगातार विरोध किया जा रहा है। बी पी सिंह रावत ने कहा है कि केंद्र सरकार एवं सभी राज्य सरकारों को छत्तीसगढ़ सरकार एवं राजस्थान सरकार की तरह जल्द पुरानी पेंशन बहाली का एतिहासिक निर्णय लेना चाहिए बी पी सिंह रावत ने कहा है कि आज का पेड़ लगाने का कार्यक्रम पूरी तरह से सफल कार्यक्रम रहा है इस कार्यक्रम को सफल बनाने में एनपीएस कार्मिकों के परिवार जनों ने भी पूर्ण सहयोग किया है जिनमे छोटे छोटे बच्चो ने बढ़ चढ़ कर पेड़ लगाने में भागीदारी की।
इसके लिए सभी एनपीएस कार्मिक साथियों को बधाई दी है। विभिन्न राज्यों में इस ऐतिहासिक पौधारोपण कार्यक्रम को सफल बनाने में संजय शर्मा, वीरेंद्र दुबे, अनिल स्वदेशी, राकेश कंधारिया, विनोद कन्नौजिया, मृग नयनी सलाथिया, मुकेश प्रसाद बहुगुणा, डा पंकज प्रजापति, अछूतानंद हजारिका, आशीष मणि त्रिपाठी, अजय कुमार द्विवेदी, पंकज सिंह, विमलेश कुमार, सीताराम पोखरियाल, बसंत चतुर्वेदी, मोहर सिंह सलावद, गुल जुबेर डेंग, शोभनाथ यादव, सुमन यादव, शशि रंजन कुमार, अंकिता पटेल, महेंद्र रेवाड़ी एस किशोर नायक ने मुख्य रूप से सहयोग किया।