खास खबर

घंटाघर की गूंगी घड़ी के फिर से चलने की बची खुची उम्मीद भी हुई खत्म

0 आकाशीय बिजली गिरने से घड़ी ध्वस्त,  चपेट मे आने से घड़ी के शीशे भी टूट गये
0 जनता के चंदे से मात्र अठारह हजार रूपये में डेढ सौ साल पहले बने भारत के बेजोड़ घंटाघर की तरह गुरुत्वाकर्षण बल से चलने वाली घड़ी थी बेमिसाल
मिर्जापुर। 
 ऐतिहासिक घंटाघर की घड़ी पर रविवार को सायं आकाशीय बिजली गिरने से घड़ी ध्वस्त हो गई। आकाशीय बिजली की चपेट मे आने से घड़ी के शीशे टूट गये। हालांकि रात के अंधेरे में नुकसान का ठीक ठीक आकलन नही हो पाई। ऐतिहासिक घण्टाघर की घड़ी पर बिजली गिरने सेे बड़ी बड़ी लोहे की सुइयों की धज्जियां उड़ गयी। सोमवार सुबह से ही घड़ी को देखने वालों की भीड़ लग गई।
घन्टाघर के ऊपरी तल में चारो तरफ घड़ी लगी है। पश्चिमी तरफ़ की घड़ी पर पहली बार इस तरह की घटना हुई है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि घन्टाघर के ऊपर लगा तड़ी चालक खराब हो गया है। वही बगल में ही अपनी दुकान में सोल्ड़िंग कर रहे ब्यक्ति ने बताया कि बिजली गिरने के कुछ सेकेंड पहले उसको बहुत तेज करंट लगा और वह सब फेक दिया उसके तुरंत बाद ही घन्टाघर पर बिजली गिरी और अंदर से धुआं निकलने लगा अंधेरा होने के कारण कम दिखायी दे रहा था।
शहर कोतवाली के घंटाघर मुहल्ले मे स्थित मिर्जापुर को समय बताने वाली तीन सौ किलो के घंटा व 20 फीट लंबे पेंडुलम वाली घड़ी अपने अपमान से तो गूंगी हो ही गई है थी, कुदरत ने भी उसे नेस्तनाबूद ही कर दिया। जिस घड़ी को बनाने के लिए इंजिनियर नही मिल पा रहे थे, भला उसका पार्ट अब कहा मिलेगा।
   नगर के मध्य जनता के चंदे से मात्र अठारह हजार रूपये में डेढ सौ साल पहले बने भारत के बेजोड़ घंटाघर की तरह गुरुत्वाकर्षण बल से चलने वाली उसकी घड़ी भी बेमिसाल थी। जो आज से बीते जमाने की बात हो जाएगी।
   घंटाघर की मीनार पर गुरुत्वाकर्षण बल से चलने वाली लंदन की घड़ी भी घंटाघर की तरह ही बेजोड़ थी। मीनार की चारों दीवार पर लगी घड़ी को तत्कालीन सदस्य ने दान किया था। सवा सौ साल तक नगर को जगाने व समय बताने वाली घड़ी रख रखाव के अभाव में कबाड़ बन कर रह गयी थी, जो अब बनने के भी काबिल न रही।
   बताया जाता है कि विशाल घंटे वाली इस घड़ी की आवाज 20  किलोमीटर की चतुर्दिक परिधि में सुनाई देती थी। उस जमाने मे घर-घर में घड़ी नहीं थी। तब सरकारी कर्मचारी एवं व्यापारी इस घड़ी की गूंजने वाली आवाज को सुनकर समय जानते थे और कामकाज शुरू करते थे।
डेढ सौ वर्ष से अधिक समय तक लोगो को जगाने व समय बताने वाली घंटाघर की घड़िया अब तक बंद पड़ी थी , तो बनने की उम्मीद नगरवासी लगा रखे थे, लेकिन उम्मीद पर ऐसी बिजली आकाश से गिरी कि उम्मीद को नामुमकिन कर दिया। दरअसल जिस घड़ी को बनाने के लिए इंजिनियर नही मिल पा रहे थे, भला उसका पार्ट अब कहा मिलेगा।
     1866 में लंदन के मेसर्स मियर्स स्टेंन बैंक कंपनी की बनाई घड़ी अब बीते जमाने की बात बन चुकी है। बहरहाल आकाशीय बिजली की चपेट में आने से ध्वस्त हो चुकी घंटाघर की घड़ी को सुरक्षित रखवा दिया गया है।  नगर पालिका परिषद अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने बताया कि अकाशीय बिजली से क्षतिग्रस्त होकर नीचे गिर गई घड़ी को पुराने ट्यूबेल में रखवा दिया गया है।
।
Banner VindhyNews
error: Right Click Not Allowed-Content is protected !!