0 जन्म के पहले घंटे में जरूर पिलायें माँ का पहला पीला गाढ़ा दूध
0 स्तनपान से बच्चों को मिलती है बीमारियों से लड़ने की ताकत
मिर्जापुर।
जनपद में सरकारी व निजी अस्पतालों और आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सोमवार को विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया गया। 7 अगस्त तक चलने वाले इस अभियान के दौरान महिलाओं को नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने के लिये प्रेरित जायेगा।
मुख्य चिकित्साधिकारी डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने बताया कि मां का दूध शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास के लिये बेहद जरूरी है। मां का दूध शिशु को डायरियाए निमोनिया एवं कुपोषण से भी बचाता है। इसी दृष्टिकोण से पूरे जनपद में विश्व स्तन पान सप्ताह सात अगस्त तक मनाया जायेगा। कहा कि स्तनपान का शिशु एवं बालजीविता पर अहम प्रभाव पड़ता है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग वीणा वर्मा ने बताया कि जिले के 2668 केन्द्रों की 2600 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लोगों के घर-घर जाएंगी। यह कार्यकर्ता खासकर स्तनपान से होने वाले लाभ के बारे में जागरूक करेंगी। इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम शिशु स्तनपान की जिम्मेदारी, साक्षा जिम्मेदारी पर केन्द्रित है। एनएफएचएस आंकड़ों के अनुसार जिन शिशुओं को जन्म के एक घण्टे के अन्दर स्तनपान नहीं कराया जाता है उनमें नवजात मौत की दर 33 प्रतिशत अधिक रहती है।
जिला कार्यक्रम प्रबन्धक अजय ने कहा कि छह माह की उम्र तक शिशु को केवल स्तनपान कराने पर दस्त व निमोनिया के खतरे में क्रमशः 11 और 15 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है। अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों की बुद्धि उन बच्चों की अपेक्षा अधिक होती है। जिन्हें मां का दूध थोड़े समय के लिये प्राप्त होता है। स्तनपान से स्तन कैंसर से होने वाली मृत्यु कम हो सकती है। शिशु के दो वर्ष पूरे होने तक स्तनपान जारी रखा जा सकता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण यानि एनएफएचएस-2015-16 में आये परिणाम के अनुसार 6 महीने तक के बच्चों को जहां 31 प्रतिशत महिलाएं स्तनपान कराती थी वहीं 2019-21 में यह 71 प्रतिशत हो गया है।