धर्म संस्कृति

जीवन में जब भी जीव को अभिमान आता है, तो भगवान उससे दूर हो जाते हैं: बाल व्यास शशिकान्त जी महाराज

0 संत और भगवंत चार तरह से कृपा करते हैं – बाल व्यास शशिकांत

0 जब जीव को अभिमान होता है, ईश्वर उसके जीवन से गायब हो जाता है

मिर्जापुर।

संत, गुरु और ईश्वर चार तरह से कृपा करते हैं उक्त बाते जमालपुर क्षेत्र के बहुआर ग्राम में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिवस बुधवार को काशी से पधारे कथा वाचक बाल व्यास शशिकान्त जी महाराज ने कहा। उन्होंने कहाकि संत, गुरु और भगवान की कृपा चिंतन, दृष्टि, शब्द और स्पर्श के द्वारा प्राप्त होती है। जीवन में अभिमान से बचने के लिए लोगों से कहा। बताया कि जब जब मनुष्य प्रकृति का उल्लंघन करता है प्रकृति उसे दंड अवश्य देती है।

उन्होंने कहा कि भगवान राम और भगवान श्री कृष्ण में एक अंतर है, भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम है जबकि भगवान श्री कृष्ण लीला पुरुषोत्तम हैं। भगवान राम ने जो किया वह करना चाहिए और भगवान श्री कृष्ण ने जो कहा वह करना चाहिए । भगवान श्री कृष्ण कभी माखन चुराते हैं तो कभी चीर चुराते हैं पर फिर भी भगवान श्री कृष्ण को कोई दोष नहीं है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण योग योगेश्वर और सामर्थ्यवान हैं और सामर्थ्यवान को कोई दोष नहीं लगता। यदि कोई भगवान श्री कृष्ण के जीवन की लीलाओं को स्वयं के जीवन में धारण करने लगे तो उसकी विडंबना ही अलग है। इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने जो कहा हमें वह करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जिस समय भगवान श्री कृष्ण रास की लीला को संम्पन्न कर रहे थे गोपियों को अभिमान हुआ और भगवान बीच से अंतर्ध्यान हो गए। जीवन में जब भी जीव को अभिमान आता है तो भगवान उससे दूर हो जाते हैं। इसलिए जीवन में कभी अभिमान नहीं होना चाहिए हमें सदैव भगवान के चरणों में शरणागत रहना चाहिए। मंगलमय ढंग से माँ रुक्मिणी और भगवान श्री कृष्ण का विवाह संपन्न कराया। भारी संख्या में भक्तों ने कथा का आनंद लिया।

इस अवसर पर अमरावती देवी, सुषमा श्रीवास्तव, अंशू श्रीवास्तव, विनय श्रीवास्तव, राकेश श्रीवास्तव, इं0 संजय श्रीवास्तव, प्रमोद श्रीवास्तव, अशोक श्रीवास्तव, डा0 मनोज व बड़ी संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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