0 बोले: जीवन में स्थिति चाहे जो भी आये, गलत कार्यों का समर्थन नहीं करना चाहिए
मीरजापुर।
जीवन में कभी सही गलत का निर्णय करने का समय आए तो सही कार्य का समर्थन और गलत कार्य का विरोध करना चाहिए यह बातें जमालपुर क्षेत्र के बहुआर ग्राम में विनय श्रीवास्तव के आवास पर आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के बिस्राम दिवस के अवसर पर गुरुवार को काशी से पधारे कथा वाचक पं0 शशिकांत जी महाराज ने कहा।
उन्होंने कहा कि युद्ध के बाद बाण शैय्या पर लेटे पितामह ने पूछा कि प्रभु मैं आपका भक्त होने के बाद भी किस पाप का प्रायश्चित कर रहा हूं जबकि त्रेता में मांसभक्षी जटायु को आपने अपना पद प्रदान किया तो प्रभु ने कहा कि जटायु ने समाज की नारी के सम्मान के लिए संघर्ष किया जबकि आपने अन्याय होता रहा और चुप रहे। बाल ब्यास जी ने कहा कि भगवान ने सोलह हजार एक सौ आठ विवाह किये। जिसमे आठ पटरानियां थी,अन्य सभी रानियां थीं। अष्टधा प्रकृति ही आठ पटरानियाँ हैं। जो अष्टधा प्रकृति के वश में हो जाये वो इंसान है और जो अष्टधा प्रकृति को अपने वश में कर ले वहीं भगवान है।
उन्होंने कृष्ण सुदामा के प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि कृष्ण और सुदामा ने जो मित्रता की और उसको निभाया ताकि आने वाले युग में लोग उसका अनुसरण कर सकें इसके साथ ही उन्होंने बताया कि कृष्ण और सुदामा की मित्रता ऊंच-नीच भेदभाव को मिटाने वाला है। उन्होंने कहा कि आज मित्रता मात्र स्वार्थ पर आ गई है। लेकिन मित्रता का संबंध एक ऐसा संबंध है जिससे बड़ा संबंध ना तो कोई है और ना ही होगा । मित्रता अपने आप में एक परिपूर्ण रिश्ता है जैसे किसी भी वस्तु के लिए कोई भी स्थान नहीं होता है। भागवत में कृष्ण सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि स्वयं कृष्ण भगवान ने इस संसार को सच्ची मित्रता का पाठ पढ़ाया। मानव जीवन में भागवत कथा का बड़ा ही महत्व है। कथा सुनने से मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा मन का शुद्धिकरण होता है।
प्रत्येक मनुष्य को भागवत की संपूर्ण कथा का श्रवण करना चाहिए। भागवत से भक्ति एवं भक्ति से शक्ति की प्राप्ति होती है तथा जन्म जन्मांतर के सारे विकार नष्ट होते हैं। अमरावती देवी, विनय श्रीवास्तव, राकेश श्रीवास्तव, त्रिलोकी लाल श्रीवास्तव, डा0 मुकेश श्रीवास्तव, सौरभ श्रीवास्तव,अशोक श्रीवास्तव, नितेश श्रीवास्तव, सहित बड़ी संख्या में उपस्थित महिला व पुरुष भक्तों ने कथा का रस पान किया।