अभिव्यक्ति

हिंदी केवल हमारी मातृभाषा ही नहीं,  राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का प्रतीक: डॉ. पंकज कुमार

0 हिंदी दिवस के अवसर पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन का किया गया आयोजन
0 हिन्दी की महता पर डाला गया विस्तृत प्रकाश
अहरौरा, मिर्जा़पुर।
  क्षेत्र के अग्रणी संस्था “कविता गाँव में” की ओर से हिंदी दिवस के अवसर पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें नामचीन कवियों ने कविता पाठ कर सभी का मन मोह लिया। कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि श्रीमती मीना चौबे प्रदेश मंत्री बीजेपी एवं मुख्य वक्ता डॉक्टर पंकज कुमार जिला सूचना अधिकारी भदोही रहे। कार्यक्रम की शुरुवात मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित कर के किया गया। मीना चौबे ने कहाकि हिंदी भाषा में जो आत्मीयता का भाव झलकता है एवं संप्रेषण शक्ति है वह दूसरी भाषाओं में नहीं है।
 मुख्य वक्ता डॉ. पंकज कुमार ने कहा कि हिंदी सिर्फ एक भाषा नहीं, अपितु हमारी आत्मीय भावों, विचारों की सहज, सरल अभिव्यक्ति है” भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां अलग अलग धर्म व जाति के लोग रहते हैं। अलग अलग भाषाएं, बोलियां बोलने वाले, अलग अलग वेश-भूषा, खानपान व संस्कृति के लोग रहते हैं। ये हिंदी भाषा ही है जो देश के सभी लोगों एकता के सूत्र में पिरोती है। देश को एक रखने में हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है। हिंदी केवल हमारी मातृभाषा ही नहीं बल्कि यह राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का प्रतीक है।
हिंदी दिवस का दिन हर भारतीय नागरिक के लिए गर्व करने के पल हैं। आइए जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हिंदी का प्रयोग कर हिंदी भाषा की स्थिति एवं विकास को बल प्रदान करें।
वाराणसी से आई श्रीमती प्रियंका सिंह ने सुनाया-  हर एक दिशा है दीवार नई, मुझे उसमें द्वार बनाने दो, सागर की बांहें थाम लूं मैं, मुझे अपनी लय में आने दो। सुनकर काव्यपाठ कर लोगो की तालियां अर्जित की। ओज कवि प्रकाश लाल श्रीवास्तव प्रकाश मिर्जापूरी ने सुनाया कि सकल भाषाओं के माथ की बिंदी है। हमारे देश भारत की प्राणप्रिया हिंदी है।
इसी क्रम में श्री प्रकाश विशेष ने सुनाया कि भले नाचता हो ए भैरव विनाशी। प्रलय का अगर घन घहरता रहेगा। तूफानों में तन कर तिरंगा हमारा फहरता रहा है, फहरता रहेगा। गीतकार पीयूष ने कहा कि ये अपनी राष्ट्रभाषा है भुलाएं ना सजाएं हम।  ना धूमिल शान हिंदी का हमेशा ही बचाएं हम। हमारी मां है ये इसको बचाकर है हमें रखना। हमेशा इसके गौरव को चलो ऊपर उठाएं हम। सतेंद्र श्रीवास्तव शेष ने सुनाया कि शारदे नव प्रभात दो, कलि कुंजर को मन मराल दो हिम सा उन्नतश्वेत भाल दो शरद निशा के शुभ मयंक को, तारामय जगमग प्रवाल दो।  एकता श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी दिल को छूने वाली भाषा है। हिंदी हमारे हृदय में रची बसी है। अध्यापक शिवेश नंदन ने कहा कि हमें हिंदी को बढ़ावा देने का पूर्ण सहयोग करने के लिए तत्पर रहना चाहिए। ओम प्रकाश यादव एवं रवींद्र अकेला ने भी कविता पाठ सुनाया।
कार्यक्रम के पश्चात एकता श्रीवास्तव ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर आलोक श्रीवास्तव, आर्यन , उमाशंकर प्रजापति, अजय सिंह, राजेंद्र सिंह, निर्मलेश चंद्र पाण्डेय सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
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