मिर्जापुर।
विज्ञान एवम प्रौद्योगिकी परिषद उत्तर प्रदेश के द्वारा संचालित जिला विज्ञान क्लब मिर्ज़ापुर द्वारा आयोजित विश्व खाद्य दिवस के उपलक्ष्य में दूसरे दिन 116 बाल वैज्ञानिक एवम अध्यापकों ने प्रतिभगिता की। विशेषग्यो ने आज खाने से पहले जागरूकता, ऑक्सिटोसिन के दुरुपयोग आदि पर जानकरी दी गयी।
जिला विज्ञान क्लब समन्यवक सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि खेत अथवा बाग में खड़ी फसलों को किट और बीमारी से बचाने के लिए ज्यादातर किसान अंधाधुंध कीटनाशकों,फफूद नाशको का उपयोग करते है। जिससे उन फसलों पर अधिकतम अवशेष स्तर बढ़ जाता है। पकाए जा सकने वाले फल जैसे केला,पपीता,आम समेत फलो को सरकारी रोक के बावजूद कैल्सियम कार्बाइड जैसे घातक रसायन से पकाकर बेचा जाता है। जो मनुष्य के स्वास्थ्य को नुकसान पहुचाने के साथ साथ प्रकृतिक सन्तुलन बनाये रखने वाले पशु पक्षियों को भी नुकसान पहुचता है।
विशेषज्ञ डॉक्टर ए सी मिश्र ने बताया कि खाद्य पदार्थो मे छुपे हुए जान लेवा जहर से अनेक घातक बीमारी मनुष्यो में हो रही। है। सब्जियों फलो एवम अन्य विषैले पदार्थ में सबसे ज्यादा आत सम्बन्धी बीमारी होती है। इसके अलावा पेट मे कीड़े ,पेट मे दर्द,जी मचलाना,फ़ूड पॉइज़निंग,बुखार, अन्य शारीरिक एवम मानसिक बीमारी होती है। विशेषज्ञ डॉक्टर यू सी श्रीवास्तव ने बताया कि क्या होता है पेस्टिसाइड-ऐसा कोई जीव ,किट,वनस्पति जो किसी प्रकार से फसलों को नुकसान पहुचाता है उसे हम पेस्ट कहते है। फसलों को नुकसान पहुचाने वाले अनेक किट उनके नियंत्रण के लिए कीटनाशी रसायन का प्रयोग किया जाता है।
वर्तमान में ज्यादा रासायनिक पेस्टिसाइड का ही प्रयोग किया जाता है जो पेस्ट से निजात दिला देता है परंतु समूची सृष्टि के लिए हानिकारक है। विशेषज्ञ डॉक्टर सपना जैन ने कहा किअगर हम नही जानते कि जो फल या सब्जी किसी अन्य प्रकार के खाद्य पदार्थ का हम प्रयोग करने वाले है जो पेस्टिसाइड से मुक्त नही हैं हमें कुछ तरीके अपना कर उन्हें दूर करना चाहिए।इनकी अच्छी तरह से धुलाई करके कहना चाहिए।75 से 80 प्रतिशत पेस्टिसाइड पानी के नीचे धार से धो लेने पर समाप्त हो जाते है।
अंगूर,सेव,अमरूद,नाशपाती,टमाटर,बैगन,भिंडी जैसी सब्जियों को 2 से 3 बार धोना चाहिए । दूसरी विधि ब्लीचिंग है।जिसमे गर्म पानी या भाप में सब्जियों को रखते है।ब्लीचिंग के पहले सब्जियों को खूब धोए।तीसरा मेथड छिलना हो सकता है इससे पेस्टिसाइड को हटाया जा सकता है।बंद गोभी सरीखे पत्तेदार सब्जी या सलाद के बाहरी परत को अलग करके खाये।
विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉक्टर अमित कुमार ने कहा कि देश के विभिन्न इलाकों मुख्यतः कस्बाई व ग्रामीण इलाकों में दुधारू पशुओं में दूध की मात्रा बढ़ाने के लिए ऑक्सिटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग किया जा रहा है। जिसका मानव एवम पशुओं के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। ऑक्सिटोसिन एक प्रकृतिक हार्मोन है। इसका प्रयोग प्रसव के दौरान गर्भाशय को सिकोड़ने के लिए किया जाता है, ताकि प्रसव आसानी से हो जाये।इसे प्रसव के बाद रक्त रोकने के लिए भी दिया जाता हैं।