मिर्जापुर।
जिला विज्ञान क्लब मिर्ज़ापुर द्वारा हड्डी तोड़ बुखार के फैलते कहर को देखते हुए जागरूकता हेतु आयोजित की गई एक दिवसीय ऑन लाइन कार्यशाला में डेंगू बुखार क्या है, इसके लक्षद क्या है, डेंगू का इलाज कैसे एवम इसके बचाव के उपाय क्या है पर विस्तृत जानकारी दी गयी।जिसमे 132 बच्चे एवम अधयापक एवम आमजन ने प्रतिभगिता की।
जिला समन्यवक सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि डेंगू बुखार गर्मी एवम बरसात के मौसम में यह एक खास तरह के वायरस से पैदा होने वाला बुखार है।ये वायरस टाइगर मच्छर की लार ग्रन्थि में अपना ठिकाना बना लेते है। डेंगू नामक इस वायरस की चार किस्म होती है लेकिन व्यवहार में सभी एक तरह के होते है। जब मादा टाइगर मच्छर मनुष्य को काटता है तब यह डेंगू वायरस मनुष्य के खून में पहुचकर अगले 4 से6 दिनों बाद डेंगू बुखार से पीड़ित कर देता है। बिना मच्छर के काटे डेंगू वायरस मनुष्य शरीर मे नही पहुचता इसलिए इस रोग पर नियन्त्रण पाने के लिए टाइगर मच्छर जिसे एडीज एजिप्टआई नाम से जाना जाता हैं। डेंगू वायरस एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में इसी मच्छर में फैल जाता है। काले रंग पर सफेद धारिया होना इस मच्छर की खास पहचान है और शायद इसीलिए इसे टाइगर नाम दिया गया हैं।
विशेषज्ञ डॉक्टर पी के मिश्र ने डेंगू बुखार के लक्षण के बारे में बताया कि किसी भी उम्र के स्त्री पुरुष को होने पर 1-2 दिन सिर दर्द, कमर टूटने और कुछ भी अच्छा न लगना जैसे लक्षण आने के बाद तेज बुखार, आंखों के पीछे तेज दर्द जो आंखे हिलाने डुलाने पर बढ़ता है, माथे और पीठ में तीव्र पीड़ा, मैश पेशियों एवम जोड़ो मेदर्द, कब्ज होना, भूख न लगना, भोजन में अरुचि, इसके अलावा गर्दन, छाती और चेहरे पर दाने उभरना, पेट दर्द होना जैसे लक्षण सामने आ सकते है। इन 5 से 7 दिनों में बुखार 102 से 104 फ़ारेनहाइट रहता है बाद में बुखार घट कर उतर जाता है, लेकिन मरीज भी अपने अंदर कमजोरी महसूस करता है।ये लक्षण साधारण डेंगू के है, लेकिन कु छ मामले में डेंगू का एक दूसरा रूप जिसे खूनी डेंगू कहते है में कुछ और लक्षद दिखाई देते है इसमे एक दो दिन के बाद त्वचा की महीन रक्त नालियां फटने से शरीर पर जगह जगह खून इकठ्ठा हो जाने से लाल लाल चकत्ते दिखाई पड़ने लगते है।मुह नाक और मसूड़ों से खून निकलता है। एकाध मामले में पेशाब से भी खून आने लगता है। यह स्थिति गंभीर होती है। जब स्थिति घातक हो जाती है तो मरीज बेहोशी में चला जाता है।
डेंगू का इलाज कैसे पर जानकारी देते हुए डॉक्टर अभिषेक सिंह ने कहा कि डेंगू के मरीज को पूरी तरह आराम करना चाहिए,बुखार के तीव्र अवस्था मे गीले कपड़े से रोगी का बदन पोछे,उसे हल्का खाना तथा पर्याप्त पेय पदार्थ दे।साधारण डेंगू बुखार में ज्वर एवम दर्द की तीव्रता पर काबू पाने के लिए चिकित्सक 4 या 6 घण्टे के अंतर पर पैरासिटामोल की गोलियां देते है।बेचैनी भी रोग का लक्षण है। इसे कम करने के लिए थोड़ी थोड़ी देर बाद पानी,जूस या सुप आदि दे सकते है। जब मरीज में रोग के लक्षण गंभीर पनपते है तब तुरन्त ही हॉस्पिटल में भर्ती कराना जरूरी है। मरीज के शरीर में पानी की न हो इसलिए नस के द्वारा ग्लूकोस, इलेक्ट्रो लाइट और अन्य घोल चढ़ाते है। प्लेट लेट्स की मात्रा कम होने पर पपीते के पत्ते का ताजा रस, बकरी का दूध, कीवी फल, पपीता, जौ के ग्रीन ग्रास के रस, तुलसी के पत्ती के रस, नारियल पानी आदि आयुर्वेदिक चीजो का प्रयोग कर प्लेटेलट्स उचित मात्रा में रख सकते है। सभी औषधियां योग्य चिकित्सक की देखरेख में लेना है।
डेंगू से बचाव के बारे में उपाय बताते हुए विशेषज्ञ डॉक्टर एन के पटेल ने बताया कि टाइगर मच्छर दिन में काटता है। इसकी पसंदीदा जगह रुका पानी होता है,वही वे पलते बढ़ते है। कूलर, किचन, जूठे बर्तन, गमले का पानी, किचन गार्डन या घर के आसपास की वे सारी जगहें जहाँ पानी रुक कर भरा हुआ हो,वहां टाइगर मच्छर रहते है। मादा एडीज मच्छर कही भी थोड़ा पानी देखते ही अंडे देने लगते हैं। अतःघर के आस पास पानी जमा न होने दे।समय समय पर मच्छर मारने की दवाई का छिड़काव करें।मच्छर दानी का प्रयोग करे। मच्छर घरो में कम आये इसके लिए लेमन ग्रास, गेंदे के फूल, लैवेंडर, लहसुन, तुलसी के पेड़ गमले में लगाये इनके महक से मच्छर दूर भागते है।