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पर्यावरण बचाने पटाखे नही, दीये जलाए एवम पौधे लगाए, जागरूकता हेतु आयोजित की गई ऑनलाइन कार्यशाला

मिर्जापुर।
     जिला विज्ञान क्लब मिर्ज़ापुर के तत्वाधान में बच्चो को जागरूक करने हेतु पर्यावरण को बचाने हेतु दीपावली पर दिए जलाए एवम पौधे लगाए पर आयोजित की गई कार्यशाला में 120 बाल वैज्ञानिको ने प्रतिभगिता की। जिला समन्यवक सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि पर्यावरण को बचाना आज हमारी सबसे बड़ी जरूरत है। प्रकृति का लगातार दोहन हो रहा है। पर्यावरण के बिना मानव जीवन का अस्तित्व सम्भव नही है। दीपावली साफ सफाई का पर्व है।  पटाखे पृथ्वी के जीवन कवच ओज़ोन परत को नुकसान पहुचाते है। पटाखों से हवा में तावा, कैल्सियम, गंधक, एल्युमीनियम, बेरियम प्रदूषण फैलाते है।
डॉक्टर डी के सिंह ने कहाकि पटाखों के धुएं के कारणवातावरण की दृश्यता कम होती है।हमे मानवीय नजरिया रखते हुए शुभ दीपावली अशुभ पटाखा की परंपरा शुरू करनी चाहिए। डॉक्टर शिप्रा रस्तोगी ने कहा कि नार्मल पटाखों में 160 डेसिबेल तक ध्वनि होती है जो हमे अत्यंत नुकसान पहुचाते है, ग्रीन पटाखे की 110 से 120 डेसिबल होती है। पटाखों के धुएं से फेफड़ों में सूजन आ सकती है। पटाखों की आवाज से एवम इनके तेज आवाज से पशुओं एवम पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।
डॉक्टर जी यस गोस्वामी ने कहा कि पटाखों के धुएं से दमा के मरीज, एलर्जिक राहाइनीतिस से पीड़ित मरीजों को समस्या बढ़ जाती है।जब पटाखों का धुआं सास के माध्यम से भीतर जाता है तो खून के प्रवाह में रुकावट आने लगती है। बच्चो एवम गर्भवती महिलाओं को पटाखे के धुएं से बच कर रहना चाहिए।
                        कार्यक्रम के अंत मे जिला समन्यवक सुशील कुमार पांडेय ने बाल वैज्ञानिको से कहा कि यदि हमारे कार्यो से प्रकृति एवम सभी के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है तो हम सभी ये सपथ ले कि दीपावली पर सरसों के तेल के दीये जलाएंगे एवम पटाखे के स्थान पर अपने घरों में पौधे लगाकर प्रकृति एवम सभी के जीवन को बचाएंगे।
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