0 झिलमिलाते दियों के बीच मंत्रोच्चार से गुंजायमान हुआ वातावरण
मिर्जापुर।
कछवां स्थित गड़ौली धाम सुख, शांति और आध्यात्म का केंद्र बन चुका है। इस धाम में पहुंचते ही ऐसा लगता है कि जैसे हम किसी अलौलिक जहां में आ गए हैं। न किसी बात की चिंता और न ही फिक्र। दीन-दुनिया से मतलब नहीं। दिल से लेकर दिमाग तक सिर्फ और सिर्फ प्रभु मिलन की ही आस। यहां आते ही मोह-माया के बंधन से दूर लोग प्रभु की भक्ति में लीन हो जाते हैं। सचमुच यह धाम अब प्रभु का धाम बन चुका है। देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन अंतरराष्ट्रीय दीपोत्सव एवं तुलसी विवाह समारोह का भव्य आयोजन कछवां स्थित गढ़ौली धाम में किया गया। ओ.एस.बालकुन्दन फाउंडेशन काशी के संस्थापक एवं प्रदेश भाजपा के सहप्रभारी सुनील ओझा के नेतृत्व में इस भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
गौ गंगा गौरीशंकर का पावन संगम तट जब एक साथ पांच लाख दियों की रोशनी से नहाकर जगमगाया तो श्रद्धालु भावविभोर हो गए। उन्हें ऐसा प्रतीत हो रहा था मानों अंबर के तारे इस धरती पर उतर आए हों और जलधारा से अठखेलियां कर रहे हों। श्रद्धालुओं ने इस अविस्मरणीय पल को अपने कैमरे में कैद किया और सेल्फी के माध्यम से इन यादगार पलों को संजोया। झिलमिलाते दियों के बीच मंत्रोच्चार और हरि ओम की गूंज ने वहां आए सभी श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
विधि-विधानपूर्वक सम्पन्न हुआ तुलसी विवाह
प्रबोधिनी एकादशी पर माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह रीति-रिवाज के साथ सम्पन्न हुआ। हनुमान मंदिर से बारात निकली तो श्रद्धालुओं का समूह बाराती बने। बैंड-बाजे की धुन पर झूमते बाराती और गूंजते मंगलगीत। बारातियों का समूह गाजे-बाजे के साथ नाचते झूमते हुए वैवाहिक स्थल पर पहुंचा और विधि-विधानपूर्वक वैवाहिक कार्यक्रम में सम्मिलित होकर आध्यात्मिक सुख को प्राप्त किया।
श्री ओझा ने बताया कि “हिंदू सनातन परम्परा के अनुसार प्रबोधिनी एकादशी यानी देव उठनी एकादशी को भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा से जागते हैं और भगवान जिस दिन जागते हैं, उस दिन से सभी शुभ (मांगलिक) कार्य शुरू होते हैं।” कहा कि “इसी दिन तुलसी और शालीग्राम का विवाह किया जाता है और इसके पश्चात ही मानव विवाह (मांगलिक कार्य) की शुरूआत होती है।”
सुनील ओझा ने तुलसी विवाह के मौके पर “5 दिया माता तुलसी के नाम” की कल्पना की, उनकी इस कल्पना का ग्रामीणों को जैसे ही पता चला। लोगों ने अपनी पूरी आस्था के साथ इसमें शिरकत किया और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का बना दिया।
अंतरराष्ट्रीय दीपोत्सव ने रचा नया इतिहास
शनिवार को किसे पता था कि मिजार्पुर में गंगा किनारे सटे गांव गड़ौली के ग्रामीण, अंतरराष्ट्रीय दीपोत्सव करके एक नया इतिहास रच देंगे। अंतरराष्ट्रीय दीपोत्सव का यह उत्सव भगवान शालिग्राम और माता तुलसी के विवाह के मौके पर लाखो दियों के अनुपम छटा बिखेरती रौशनी के बीच गऊ-गंगा-गौरी शंकर की परिकल्पना को लेकर स्थापित गड़ौली धाम में रचा गया। ग्रामीणों की लोक आस्था और विश्वास इतना प्रबल था कि लोग इस आयोजन को वर्षों तक याद रखेंगे। दीपोत्सव का कार्यक्रम दर्जनों देशों में भी लोगों ने अपने तरीके से दीप प्रज्वलन कर मनाया। इस कार्यक्रम का दर्जनों देशों में सीधा प्रसारण भी हुआ और कई देशों में तो भगवान शालिग्राम और माता तुलसी के विवाह के मौके पर दीप जलाकर लोग इस अंतरराष्ट्रीय दीपोत्सव में शामिल हुए।
सुरक्षा की दृष्टि से किए गए अभूतपूर्व और व्यापक इंतजाम
गड़ौली धाम में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय दीपोत्सव एवं तुलसी विवाह कार्यक्रम में उमड़े जनसैलाब को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था के व्यापक इंतजाम किए गए थे। बड़ी संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालुओ की गाड़ियों को कार्यक्रम स्थल से लगभग एक किलोमीटर पूर्व बनाए गए पार्किंग स्थल पर सभी गाड़ियों की पार्किंग कराई गई। ड्रोन कैमरों की सहायता से संपूर्ण स्थल की निगरानी की गई और चाक-चौबंद व्यवस्थाओं को ध्यान में रखकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात भी किए गए।दूर दराज से आए श्रद्धालुओ ने इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए आयोजन समिति के अध्यक्ष सुनील ओझा को धन्यवाद देकर उनकी सराहना और प्रशंसा की
इस भव्य आयोजन में शामिल होने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालुओ का समूह आया, जिन्होंने समारोह की दिव्यता और भव्यता से आनंदित होकर कार्यक्रम संयोजक सुनील ओझा का आभार प्रकट किया और उनके इस सराहनीय प्रयास के लिए धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में मंत्री अनिल राजभर, विधायकगण लक्ष्मण आचार्य, सौरभ श्रीवास्तव, सुशील सिंह, रमाशंकर पटेल, भूपेश चौबे, क्षेत्र अध्यक्ष महेश श्रीवास्तव, महापौर मृदुला जायसवाल, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्य, महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय, जिला अध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा, प्रदेश कोषाध्यक्ष मनीष कपूर, अशोक चौरसिया, राकेश शर्मा, डॉ सुदामा पटेल, नवरतन राठी, अशोक पटेल, अभिषेक मिश्रा, जगदीश त्रिपाठी, नवीन कपूर, मनोज शाह व अन्य की उपस्थिति रही।