चुनार में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास पीठ पर सुशोभित पंडित विष्णु धर दिवेदी ने कहाकि यह रास जीवात्मा और परमात्मा का मिलन है। भगवान श्री कृष्ण 96000 गोपियों के साथ रास बिहार करके दुनिया को संदेश दिया कि जीवात्मा और परमात्मा के साथ जो सामंजस्य है वही राष्ट्र का वास्तविक स्वरूप है। इसके बाद भगवान मथुरा जाते हैं और कंस का उद्धार होता है।
भगवान श्याम सुंदर अपने गुरुकुल परंपरा में विद्याध्ययन कर लेते हैं और सुदामा से मित्रता भी हो जाती है, इसके बाद भगवान श्याम सुंदर ने देखा कि मगध नरेश जरासंध मथुरा पर 17 बार आक्रमण किया, तो भगवान श्री कृष्ण ने बहुत ही सुंदर समुद्र के अंदर द्वारकापुरी बसाई, जहां पर बलराम भैया का विवाह रेवती से हुआ। उसके बाद महाराज भीष्मक की कन्या रुक्मणी ने भगवान को पत्र के द्वारा बताया कि हम आपको चाहते हैं भगवान श्याम सुंदर ने इस पत्र पर तुरंत कार्यवाही करते हुए कहा कि जो जीव अपने अंतरंग से हमको चाहता है उसके लिए हम दिन रात प्रयासरत रहते हैं। ऐसे जीव का कल्याण कैसे हो उसका फल मैया रुकमणी भगवान श्याम सुंदर का बहुत ही सुंदर पाणिग्रहण संस्कार से ही पता चलता है।