0 डाक्टर हेडगेवार जी ने स्वयं को स्थापित न कर, संगठन को सर्वोपरि रखा
0 संघ के प्रारंभ मे विचारो का विरोध करने वाले भी जन्मजात देशभक्त
0 संघ के स्वयंसेवकों ने सनातन सभ्यता एवं संस्कृति की छाप छोड़ी है और निरंतर परिवर्तन दिखाई दे रहा
0 जगत जननी भारत माता विश्व के सिंहासन पर विराजमान हैं और पूरे दुनिया की शक्ति नतमस्तक हो रही है
मिर्जापुर।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मिर्जापुर के तत्वावधान में पथ संचलन कार्यक्रम का आयोजन वर्ष प्रतिपदा के पूर्व संध्या पर नगर में जोशो खरोश के साथ किया गया। लालडिग्गी स्थित लायंस मैदान मे भगवा ध्वज आरोहण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। तदुपरान्त स्वयंसेवको को नगर के लायंस स्कूल के मैदान मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक अनिल कुमार जी का पाथेय प्राप्त हुआ।
उद्बोधन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक अनिल कुमार जी ने कहा कि विश्व का कल्याण भारतीय संस्कृति से ही संभव है, और कोई भी संस्कृति विश्व कल्याण का मार्ग प्रशस्त नहीं कर सकती। संघ संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार जी से प्रेरणा लेकर और हिम्मत के साथ कठिन मार्ग पर चलकर अपनी आंखों के सामने ही यह देश परम वैभव को देखेगा और पूरी दुनिया मे भारत का जय जयकार होगा।
उन्होंने कहा कि संघ के स्वयंसेवकों ने सनातन सभ्यता एवं संस्कृति की छाप छोड़ी है और निरंतर परिवर्तन के रूप मे उसका असर दिखाई दे रहा है। हम भारतीय नववर्ष मनाते हैं, लेकिन अंग्रेजी का विरोध नहीं करते। जब भारतीय नववर्ष सर्वव्यापी हो जाएगा, तो शेष स्वतः गौण हो जाएंगे। ऐसा परिवर्तन देश के अंदर आ गया है। 10 वर्ष पहले 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के दिन जब मैं काशी में बीएचयू में मिलने गया था, तो अंदर का नजारा देखकर स्तब्ध था। लेकिन इस बार 14 फरवरी को बीएचयू में प्रांत की बैठक में गया, तो नजारा बदला दिखा। समाज का परिवर्तन दिखा। युवाओं ने पुलवामा के शहीदों की स्मृति में मोमबत्ती जला रखी थी, तो वही मालवीय जी के प्रतिमा के पास 500 विद्यार्थी इकट्ठा होकर रास्ता बंद करके वैलेंटाइन की जगह पुलवामा के शहीदों की स्मृति में जोश खरोश के साथ जुलूस निकाल रहे थे।
इस वर्ष 1 जनवरी को 8.30 लाख लोगों ने अयोध्या और 4.5 लाख लोगों ने काशी में प्रभु के दर्शन किए। यह परिवर्तन संकेत है सनातन की ओर ले जाने का। पूरे विश्व को शिक्षा देने के लिए भारत का नौजवान आगे बढ़ रहा है। योग आयुर्वेद ही नहीं, हमारी सभ्यता और संस्कृति का प्रचार भी पूरी दुनिया में हो रहा है। आज स्वामी विवेकानंद का सपना- “जगत जननी भारत माता विश्व के सिंहासन पर विराजमान हैं और पूरे दुनिया की शक्ति नतमस्तक हो रही है” यह न सिर्फ पूरा होता, बल्कि चार कदम आगे पूरा होता दिख रहा है।
संघ स्थापना का जिक्र करते हुए क्षेत्र प्रचारक ने कहाकि जब हेडगेवार सच्चे देशभक्त थे और अपने ही समान लोगो का संगठन खडा करने का जज्बा आया, तो कलकत्ता मे सुभाष जी से मिलने गये तो वे अनमने मन से मिले और कहा कि देशभक्त हिन्दू समाज का संगठन खडा करना चाहता है, तो सुभाष जी ने कहा था कि उद्देश्य महान लेकिन काम कठिन है, विचार उत्तम है लेकिन असंभव है और गाडी का गेट बंदकर सुभाष जी चले गये। लेकिन डाक्टर साहब के मन मे निराशा नही आयी। उन्होने संगठन की स्थापना की और स्थापना के दो वर्ष बाद पहली बार नागपुर महानगर मे रेलवे स्टेशन के पास से संचलन (रूट मार्च) निकाला। संयोग से जिस समय संचलन उदघोष के साथ प्लेटफार्म नं एक से गुजर रहा था, संयोग से सुभाष जी की ट्रेन वहा रूकी, उन्होने चार कदम आगे बढकर पूछा तो बताया गया कि हेडगेवार आया हुआ है। सुभाष के मुह से निकला- हो गया। और ट्रेन की सिटी बजी और सुभाष फिर सवार होकर रवाना हो गये। कहाकि एक समय था, जब सुभाष जी ने डाक्टर साहब से चलते चलते मुलाकात किया था और एक समय वह आया जब डाक्टर साहब अंतिम सास ले रहे थे तब श्रद्धेय गुरू जी की उपस्थिति मे उनसे मिलने आए। उस समय आरएसएस देश के सभी बडे शहरो मे पहुच चुका था।
उन्होने कहाकि डाक्टर हेडगेवार जी ने स्वयं को स्थापित न कर, संगठन को सर्वोपरि रखा और आज वह संगठन दुनिया का सबसे बडा संगठन है। आज भले ही भारत का एक एक व्यक्ति संस्थापक को न जानता होकर, लेकिन आर एस एस को बच्चा बच्चा जानता है। कार्यकर्ता नामक पुस्तक के आखरी पृष्ठ की चर्चा करते हुए क्षेत्र प्रचारक ने कहाकि दत्तोपंत ठेगडी जी राज्यसभा सदस्य थे, अवकाश के समय सब चाय पी रहे थे। एक कम्यूनिस्ट सासंद और सांसद मेनन वहा बैठे थे।
कम्यूनिस्ट सासंद ने ठेंगडी से पूछा कि हेडगेवार किस चिड़िया का नाम है, तो उन्होने एवार्ड किया, लेकिन जब दोबारा पूछा तो ठेगडी ने जवाब दिया कि जानना क्या चाहते हो? सासंद ने कहा हेडगेवार के बारे मे और साथ मे कुछ और भी। तब मेनन ने जवाब दिया कि हेडगेवार की मृत्यु 1940 मे हुई और नेहरू की मृत्य 1964 मे हुई, लेकिन दोनो के नाम पर मरने वाले लोग कितने है? महत्व इस बात का है कि व्यक्ति के चले जाने के बाद परछाई कितनी दूर तक जाती है। परछाई की कैडर आर एस एस के पास है। संघ के प्रारंभ मे विचारो का विरोध करने वाले भी जन्मजात देशभक्त थे। इसके अनेक प्रसंग है।
पाथेय उपरान्त संघ प्रार्थना एवं विकिर के साथ पथ संचलन निकाला गया। संचलन लायंस मैदान से गणेशगंज चौराहा, मुकेरी बाजार, गुरहटटी बाजार, धुंधीकटरा, बसनही बाजार, त्रिमोहानी, शहीद उद्यान, केबी कालेज, नवीन चौराहा से लालडिग्गी होते लायंस मैदान मे पहुचकर संपन्न हुआ।
इस अवसर पर मंचासीन विभाग संघचालक तिलकधारी जी, जिला संघचालक शरद चंद्र जी रहे। प्रांत घोष प्रमुख मिलन जी, प्रांत बौद्धिक प्रमुख कुलदीप जी, सह विभाग प्रमुख धर्मराज जी, विभाग कार्यवाह सच्चिदानंद जी, विभाग प्रचारक प्रतोश जी, सह जिला संघचालक अशोक सोनीजी, जिला कार्यवाह चंद्र मोहन जी, जिला प्रचारक धीरज जी, सौमित्र वाजपेयी जी, बृजभूषण जी, विनीत सिंह जी, रमाशंकर पटेल जी, श्याम सुंदर जी, विवेक बनवाल जी भवेश जी, मनोज जयसवाल जी, रामचंद्र शुक्ला जी, मनोज श्रीवास्तव जी, माता सहाय जी, गंगेश, संतोष, शैलेश, अनिल जी, नीलेश जी, धर्मराज जी, सोहन जी, दिलीप शुक्ला जी सहित हजारों की संख्या में स्वयंसेवक बंधु मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ राजकुमार भारती (ऑर्थो सर्जन ट्रामा सेंटर) ने किया।